लोकसभा चुनाव 2024 : बीजेपी के लिए ये राज्य बनेंगे चुनौती ..?

 बीजेपी के लिए ये राज्य बनेंगे चुनौती, 2019 में यहां नहीं खुला था खाता, जानें क्या है इसकी वजह
 देश के कुल 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर नजर डाली जाए तो 11 ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बीजेपी पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी.

Lok Sabha Elections: हाल में हुए कुछ सर्वे को कसौटी माना जाए तो सत्ताधारी बीजेपी की 18वीं लोकसभा के लिए अगले साल अप्रैल-मई में संभावित आम चुनाव में स्थित मजबूत नजर आ रही है. इसके बावजूद देश के कुल 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर नजर डाली जाए तो 11 ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बीजेपी पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. आखिर क्या थी इस वजह, इसका अंदाजा पिछले चुनाव के रिजल्ट का आकलन करने पर ही जाने पाएंगे.

इन 11 जगह बीजेपी को नहीं मिली थी एक भी सीट
केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों को मिलाकर कुल 11 क्षेत्रों में सत्ताधारी बीजेपी का खाता भी नहीं खुल पाया था. इनमें दक्षिण के तीन प्रमुख राज्य तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल शामिल हैं. इसके अलावा पूर्वोत्तर के भी कई राज्य ऐसे हैं जहां बीजेपी को अपनी उपस्थिति दर्ज करानी बाकी है. इसकी एक बहुत बड़ी वजह यह भी है यहां हिंदू वोट बैंक की कमी और क्षेत्रीय जातियों और उनकी पार्टियों का विधासभा में सत्तासीन होना.

इन आठ जगह 9 सीटों के लिए होता है मतदान 
इन राज्यों में सिक्किम, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड के अलावा पुड्डुचेरी भी शामिल हैं. इनके अलावा केंद्र शासित प्रदेशों में लक्षदीप, अंडमान एंड निकोबार, दादर नागर हवेली में भी बीजेपी को अपने लिए वोटबैंक और सीट दोनों को जुटाना कड़ी चुनौती होगी. कहने तो इन आठ जगह महज 9 लोकसभा सीटें हीं हैं, लेकिन सत्ता संघर्ष में हर एक सीट का अपना महत्व होता है.

कांग्रेस को मिलीं थीं 3 सीटें
कांग्रेस ने अंडमान निकोबार, पुड्डुचेरी और मेघालय में एक-एक सीट जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. कांग्रेस की जीत का यहां प्रमुख आधार आदिवादी जनजाति और क्रिश्चियन वोट माना जाता है. बीजेपी को इन जगह अपना आधार मजबूत करना पड़ेगा. वहीं महज एक लोकसभा सीट के लिए यहां की स्थानीय पार्टियों को हराना किसी भी राष्ट्रीय एवं बड़ी पार्टी के लिए असंभव का प्रतीत होता है. यह तभी मुमकिन है जब ये स्थानीय दल किसी बड़े गठबंधन जैसे इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) या फिर नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) में शामिल हो जाएं.

अरुणाचल, मणिपुर, त्रिपुरा में बीजेपी रही आगे
बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में वहां की दोनों सीटें जीतकर पूर्वोत्तर में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं. इसके अलावा बीजेपी ने मणिपुर में भी एक सीट जीतने में सफलता पाई है. एक सीट उसने अपने गठबंधन के साथी दल एनपीएफ को दी थी, जो एनडीए के खाते में आई. अगर भारत के सीमावर्ती राज्यों की ओर देखा जाए तो बीजेपी का पिछले चुनाव में जम्मू-कश्मीर में भी अच्छा प्रदर्शन रहा था. यहां वह 6 में से 3 सीटें जीतने में सफल रही.

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल बड़ी चुनौती
कर्नाटक और तेलंगाना को छोड़ दें तो दक्षिण किले के तीन ऐसे मजबूत गेट हैं जिन्हें भेदना बीजेपी के लिए संभव नहीं हो पा रहा है. इनमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल शामिल हैं. इसकी वजह मुसलमानों के साथ-साथ क्रिश्चियन वोट बैंक पर स्थानीय पार्टियों की मजबूत पकड़ है.

हालिया सर्वे पर नजर डाली जाए तो तमिलाडु में डीएमके के नेता एमके स्टालिन, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर सीपी के जगन मोहन रेड्डी और केरल में कांग्रेस पार्टी फिर से कमाल करते दिख रही है. केरल में इन तीनों प्रदेशों की तुलना में सर्वाधिक मुस्लिम वोट करीब तीस परसेंट तक हैं. यहां बीजेपी की सीधी टक्कर कांग्रेस से होती है. जिसका उसको फायदा मिलता है. इसके बावजूद बीजेपी को 2024 में यहां पर अपना खाता खुलता नजर आ रहा है.

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