इंदौर : 6 हजार करोड़ रुपए सालाना का जीएसटी …फिर भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव ..?

6 हजार करोड़ रुपए सालाना का जीएसटी, लाखों लोगों को रोजगार …

फिर भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं सांवेर रोड के 3000…

औद्योगिक विकास और सुविधाओं का बखान कर प्रदेश में नए निवेश को आमंत्रित किया जा रहा है जबकि हकीकत ये है कि दशकों पहले स्थापित हो चुके उद्योग अब भी आधारभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर के सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के हाल ऐसे ही हैं।

सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र को बसाए करीब 50 वर्ष हो चुके हैं पर अब भी यहां सड़क, पानी और सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं।

एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र के आंकड़ों के अनुसार, क्षेत्र के उद्योग कम से कम 900 करोड़ का राजस्व चुका रहे हैं। बावजूद मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं। न पीने का पानी है, न जल-मल निकासी की व्यवस्था। दस वर्ष से ज्यादा हो गए, नगर निगम इस पूरे क्षेत्र को अपने अधीन ले चुका है। अंधेरी सड़कों के कारण कर्मचारियों में भय पैदा हुआ तो उद्योगपतियों को ही क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट लगवानी पड़ी।

कन्फेक्शनरी

150 उद्योग

30% करते हैं निर्यात

10 हजार लोगों को रोजगार

प्लास्टिक, पॉलिमर एंड पैकेजिंग

1000 उद्योग

35 हजार लोगों को रोजगार

35% तक निर्यात

फार्मा

120 उद्योग

50 फीसदी करते हैं निर्यात

25 हजार लोगों को रोजगार

बीमारियों का कारण बन रहा गंदा पानी

शहर के सबसे बड़े सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों पीने का पानी नहीं मिलने से परेशान है। यहां संचालित छोटे-बड़े करीब 3000 उद्योगों को हर महीने करीब 50 लाख रुपए पीने के पानी के लिए खर्च करना पड़ते हैं। उत्पादन के लिए टैंकर और बोरिंग का सहारा है। देश के सबसे स्वच्छ शहर के बावजूद सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के अनेक उद्यमियों को पिछले कई दिनों से जहरीला पानी पीने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।

जल विशेषज्ञों की मानें तो 500 टीडीएस तक का पेयजल स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त होता है लेकिन सांवेर रोड के अनेक क्षेत्रों से लिए गए पानी के नमूनों में 1700 से 2000 तक टीडीएस का पानी पाया गया है। यह सामान्य के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक कठोर पानी है। इसके सेवन से पथरी एवं किडनी सहित पेट की अनेक बीमारियां जन्म ले सकती हैं। प्रदूषण निवारण मंडल, जिला प्रशासन, नगर निगम के जल यंत्रालय ने भी माना है कि सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र का भूमिगत जल प्रदूषित हो चुका है। प्रदूषित भी इतना कि पानी की हार्डनेस 1700 से 2000 टीडीएस तक पहुंच गई है। इसके कारण यह पानी पाइप लाइन में तो अवरुद्ध होता ही है, भूल से यदि इसका सेवन कर लिया जाए तो अनेक बीमारियों को भी जन्म दे सकता है।

करोड़ों रुपए खर्च कर बनाया ट्रीटमेंट प्लांट फिर भी गंदगी

सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में संचालित उद्योगों से निकलने वाले केमिकल युक्त व सीवरेज के पानी के उपचार के लिए निगम द्वारा यहां पर कामन इफ्युलेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है, लेकिन प्लांट तक पानी पहुंचाने वाली सीवरेज पाइप लाइन व चैंबरों से गंदा पानी ओवरफ्लो होता रहता है। इसके कारण उद्योगों के कर्मचारी व अन्य लोग परेशान होते हैं। उद्योगों के संचालकों का कहना है कि नगर निगम द्वारा सीवरेज लाइन की सफाई सही तरीके से नहीं करवाई जाती है। जो पाइप लाइनें डाली गई हैं, उनका आकार छोटा होने के कारण गंदा पानी ओवरफ्लो होता है।

करोड़ों रुपए खर्च कर वर्ष 2017 में यहां के उद्योगों की सहूलियत के लिए लगाए गए चार एमएलडी क्षमता के कामन एफ्युलेंट ट्रीटमेंट प्लांट के होने के बाद भी औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों पर ओवरफ्लो होते सीवरेज चैंबर व गंदा पानी इस पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। वर्तमान में सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के बी, सी, ई व एफ सेक्टर में करीब 40 किलोमीटर हिस्से में डाली गई सीवरेज पाइप लाइन से एफ्युलेंट ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी पहुंचाया जाता है। ए, डी सेक्टर व कुम्हेड़ी, बरदरी क्षेत्र में पाइप लाइन नहीं होने से यहां के उद्योग अभी हर रोज 25 से 35 टैंकरों के माध्यम से पानी प्लांट तक पहुंचा रहे हैं। क्षेत्र के 6 सेक्टर (ए से ई) में र्नमदा पानी की तीन टंकियां तो हैं, लेकिन सप्लाय नहीं होता।

फूड और फूड प्रोसेसिंग

1200संगठित, असंगठित इकाइयां

30 हजार लोगों को रोजगार

20% नमकीन का निर्यात

इंजीनियरिंग एंड मशीनरी

600 उद्योग

25 फीसदी तक निर्यात

25 हजार लोगों को रोजगार

पीने के पानी के लिए भी तरस रहे

उद्योगपतियों के अनुसार वे व्यावसायिक दर से पानी का बिल जमा करने को तैयार हैं, लेकिन निगम कनेक्शन नहीं देता। दरअसल, जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि उद्योगों को पानी दिया गया तो आगे की कालोनियों में कम दबाव से जलापूर्ति होगी। ऐसे में उद्योगों को सभी अनदेखा कर रहे हैं। उद्योगों में न निगम को न ही विधायकों को वोट बैंक नजर आ रहा है। इसका दुष्प्रभाव ये है कि सभी दो हजार उद्योग जमीन से पानी निकाल रहे हैं। क्षेत्र में भूजल स्तर सैकड़ों फीट नीचे जा चुका है। ज्यादातर जगह दूषित जल आ रहा है। नगर निगम पर्यावरण के अहम पहलू भी अनदेखा कर रहा है।

लाख मजदूर और हजारों कर्मचारियों को रोजगार …

पुराने ट्रांसफॉर्मर और खराब लाइनें

सेक्टर ई और एफ में पुराने ट्रांसफॉर्मर से परेशानी – सांवेर रोड से ई, एफ भी में कई ट्रांसफॉर्मर पुराने हो चुके हैं, जिससे फॉल्ट अधिक होते हैं। कुछ लाइनें भी खराब हैं। कई बार एक कारखाने की लाइन में खराबी आने से पूरे क्षेत्र की बिजली बंद हो जाती है। कुछ समय पहले उद्योगपतियों के प्रतिनिधि मंडल ने बिजली कंपनी के सीएमडी अमित तोमर से मुलाकात कर अपनी परेशानियां बताई थीं, अगले दिन कुछ अफसरों ने दौरा भी किया था और जल्द निराकरण का आश्वासन भी दिया था, लेकिन एक बार फिर परेशानी बढ़ रही है। सेक्टर ए में जरूर कुछ ट्रांसफार्मर बदले गए हैं, लेकिन अन्य सेक्टर में परेशानी अधिक है। सेक्टर बी एवं ई में ट्रांसफॉर्मर खुले होने से आगजनी की घटनाएं होने का डर बना रहता है।

करोड़ की सालाना हिस्सेदार शहर की जीडीपी में

बिजली की ट्रिपिंग से उत्पादन पर 10 फीसदी तक असर

सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में एक बार फिर बिजली की ट्रिपिंग की समस्या बढ़ गई है। ट्रिपिंग के अलावा सेक्टर-ई और एफ में तो बिना सूचना के 3 से 4 घंटे तक बिजली गुल हो रही है। बिजली की ट्रिपिंग के कारण उद्योगों के उत्पादन पर 8 से 10 फीसदी तक की कमी हो रही है। अचानक बिजली बंद होने से प्लास्टिक और लोहे से जुड़े उद्योगों को खासा नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। अचानक मशीनें बंद होने से रॉ मटेरियल खराब हो रहा है। रोलिंग मिल में एक बार बिजली जाने से बड़ा नुकसान होता है, क्योंकि ये मशीनें एक बार ठंडी होने के बाद उन्हें फिर उत्पादन के लिए तैयार करने में काफी समय लगाता है। इस तरह काफी वक्त खराब होता है। मैन पॉवर के नुकसान के साथ ही उत्पादन में रोज का 15 फीसदी तक की कमी आई है। अचानक बिजली गुल होने से मशीनें खराब होने की भी शिकायतें भी आ रही हैं, जिन्हें ठीक कराने में काफी खर्च आता है। बिजली कंपनी को कई बार शिकायत करने पर भी कोई स्थाई समाधान नहीं हो पाया और बड़ी मुश्किल से लाइट चालू हो पाती है।

विशेषज्ञों का कहना है बिजली की ट्रिपिंग और बत्ती गुल होने से उद्योगों को 20 से 25 लाख रुपए प्रतिदिन का नुकसान हो रहा है। ट्रिपिंग को लेकर बिजली कंपनी के जिम्मेदारों का कहना है बारिश की वजह से फॉल्ट होने के कारण परेशानी बढ़ी है। जल्द ही समस्या का निराकरण किया जाएगा।

हजार करोड़ का कारोबार हर साल

खस्ता हाल सड़कों ने बढ़ाई मुश्किलें

उद्योग विभाग, नगर निगम व बिजली कंपनी के अफसरों की लापरवाही के कारण बारिश में शहर के आसपास के औद्योगिक इकाईयों की मुश्किलें बढ़ गई है। सांवेर रोड के औद्योगिक क्षेत्र में सड़कों का निर्माण न होने के कारण कच्ची सड़कों पर कीचड़, पानी व गड्ढों के कारण उद्योगों में जाने वाले कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कर्मचारी भी फैक्ट्री में समय पर नहीं आ पा रहे हैं। कर्मचारी साइकिल व मोटरसाइकिल छोड़ पैदल ही फैक्ट्री में पहुंच रहे हैं।

इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र में कच्चा माल व तैयार माल की ट्रकों से आवाजाही भी बाधित हो रही है। सड़कों की दुर्दशा होने के कारण उद्योगों तक कच्चा माल पहुंचने में और तैयार माल ले जाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ट्रकों की आवाजाही में भारी दिक्कत हो रही है। कई ट्रक खराब सड़कों में फंस जाते हैं। इसके कारण अब ट्रांसपोर्ट कंपनियां भी इस क्षेत्र में अपने वाहनों को भेजने को तैयार नहीं है।

हजार करोड़ का सालाना जीएसटी प्राप्त होता है

शहर के सबसे बड़े सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में

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इंदौर रीजन के टॉप फाइव इंडस्ट्रीयल सेक्टर

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बिजली की कटौती से हर दिन 25 लाख तक का नुकसान } पीने के पानी के लिए ही खर्च करने पड़ रहे हैं हर महीने 50 लाख सड़कों पर अतिक्रमण बड़ी समस्या

इंदौर के औद्योगिक क्षेत्र सांवेर की क्षमताओं, संभावनाओं, आकांक्षाओं और चुनौतियों को समर्पित आज का यह चार पेज का विशेषांक

05

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करोड़ का एक्सपोर्ट हर माह

हजार करोड़ का सालाना जीएसटी प्राप्त होता है

फीसदी यूनिट 24 घंटे होती हैं संचालित

उद्योगसंचालित

में स्थापित

300

06

40

3000

1975

इंदौर शहर के सांवेर औद्योगिक क्षेत्र जहां स्थापित हैं कई औद्योगिक इकाईयां। यहां एमएसएमई सेक्टर की फूड इंडस्ट्री, प्लॉस्टक रिसाइकल इंडस्ट्री, इंजीनियरिंग टूल इंडस्ट्री, सहित कई प्रकार की स्टील इंडस्ट्री संचालित हो रही हैं। यहां के उद्योगपतियों की मांग है कि प्रदेश का सबसे बड़ा एमएसएमई सेक्टर होने के बावजूद यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर दोयम दर्जे के हैं, जहां काम करने की बेहद जरूरत है

3000 उद्योग संचालित होते हैं। इनमें बड़ी इकाइयों से लेकर छोटे और मध्यम उद्योग शामिल हैं। 06 सेक्टर में फैले इस औद्योगिक क्षेत्र से हर महीने करीब 300 करोड़ का एक्सपोर्ट होता है और 6 हजार करोड़ रुपए का जीएसटी प्राप्त होता है। 3 लाख मजदूरों और 30 हजार कर्मचारियों को रोजगार देने वाला यह औद्योगिक क्षेत्र बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है। शहर की इकोनॉमी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं पर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र (एआइएमपी) का प्रतिनिधि मंडल लगातार प्रयासरत है, इसके बावजूद भी इन सभी समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं मिल पा रहा है।

सेक्टर में फैले उद्योग

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जिला प्रशासन से जुड़ी समस्या हल कर देंगे

मेरे द्वारा सांवेर औद्योगिक क्षेत्र का दौरा किया गया था, ये सारे लोक ईश्यू हैं और हम इन सारे मामलों को संबंधित विभागों को भेज कर सॉल्व कर सकते हैं। नगर निगम और उद्योग विभाग से संबंधित मामलो में इन सब विभाग प्रमुखों से बात कर मामले को समझेंगे,जो समस्या जिला प्रशासन से जुड़ी होगी वो हम दूर करेंगे। वैसे वहां कुछ काम हुए हैं। प्रशासन और सरकार की ओर से उद्योगपतियों को जो भी सहुलियतें मुहैया कराई जा रहीं हैं, उनसे काफी फायदा पहुंच रहा है।

जल्द ही दौरा कर समस्याएं देखेंगे

सांवेर रोड शहर का अहम औद्योगिक क्षेत्र है। इसकी समस्याओं को लेकर लगातार उद्योगपतियों से चर्चा चल रही है। सड़क और पानी की समस्या यहां प्रमुख है। नर्मदा से पानी दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही उद्योगपतियों के साथ पूरे क्षेत्र का दौरा कर समस्याओं को समझा जाएगा। इनका उचित निराकरण करेंगे।

टी इलैयाराजा कलेक्टर इंदौर

पुष्यमित्र भार्गव

महापौर, इंदौर

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