लापरवाही ….. पॉलीथिन पर प्रतिबंध सिर्फ खानापूर्ति, धड़ल्ले से हो रहा उपयोग

पॉलीथिन पर प्रतिबंध सिर्फ खानापूर्ति, धड़ल्ले से हो रहा उपयोग …

भिण्ड. पर्यावरणविदों के अनुसार पॉलीथिन जमीन जाए या किसी जानवर के पेट में, नष्ट नहीं होती। अध्ययनों में यह तथ्य सामने आया है कि पॉलीथिन एक हजार साल तक नष्ट नहीं होती है। इसके बावजूद नगरपालिका एवं जिला प्रशासन स्तर पर पॉलीथिन के उपयोग पर प्रभावी प्रतिबंध लगाने में नाकाम रहा है। पिछले छह माह में नगरपालिका की इस दिशा में कोई कार्रवाई भी नहीं हुई है। जो लोग पॉलीथिन का उपयोग करते हैं वे भी यह मानते हैं यह हानिकारक है, लेकिन व्यवहार में आ चुकी है। यदि नगरपालिका यदि बिक्री पूरी तरह बंद हो जाए तो लोग मजबूरी में कपड़े या जूट का थैला लेकर आएंगे ही।

नपा ने कभी नहीं चलाया अभियान, जागरूकता के भी प्रयास नहीं

पर्यावरण के लिए गंभीर खतरे को देखते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को एक साल 20 दिन हो गए हैं। यह प्रतिबंध व्यवहार में कहीं भी प्रभावी नहीं दिख रहे हैं। अमानक पॉलीथिन का न केवल धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है बल्कि कोई जांच और कार्रवाई भी प्रभावी तरीके से नहीं हो रही है। जिम्मेदार पूरी तरह इस पर उदासीनता बरत रहे हैं।

फैक्ट फाइल

2000 से ज्यादा छोटी बड़ी दुकानों पर अमानक पॉलीथिन

20 से ज्यादा दुकानों पर थोक में मिलती है पॉलीथिन

30 रुपए पैकेट के हिसाब से बेची जा रही अमानक पॉलीथिन

200 किलो पॉलीथिन की औसत रोज हो रही खपत जिले में।

200 से ज्यादा दुकानों पर सब्जी मंडी क्षेत्र में हो रहा उपयोग।

पॉलीथिन के यह हैं दुष्प्रभाव

-प्लास्टिक बैग के अंदर सिंथेटिक पालीमर नामक पदार्थ पर्यावरण के लिए हानिकारक है।

-हल्के होने से आसानी से उडकऱ समुद्र एवं अन्य जलस्रोतों में पहुंचकर जीवों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

-मिट्टी की उर्वरा शक्ति को कम करते हैं। बीजों को हानि पहुंचाकर पेड़-पौधों की वृद्धि प्रभावित करते हैं।

-भोजन के अवशेषों के साथ पशु इन्हें खाते हैं तो यह गले में फंस जाती है और दम घुटने से उनकी मृत्यु हो जाती है।

सब्जी मंडी, हाथ ठेले वाले अधिक कर रहे उपयोग

अमानक पॉलीथिन का उपयोग सब्जी मंडी में सर्वाधिक होता है। सब्जी व फल विक्रेता थैला लेकर जाने वाले लोगों को भी सामान पॉलीथिन में ही पैक करके देते हैं। मिर्च खरीदने वाले अभिनव शर्मा का कहना था कि बाइक की डिक्की में थैला पड़ा रहा है, लेकिन थैला निकालने से पहले ही विक्रेता ने पॉलीथिन में बांध दी। पूर्व सैनिक रामौतार सिंह कहते हैं कि पॉलीथिन पर प्रतिबंध के आदेश का पालन कड़ाई से होना चाहिए।

जब लोग नहीं मानते हैं तो प्रशासन को सख्ती करनी चाहिए। विक्रेताओं पर जुर्माना करना चाहिए और क्रेताओं को जागरूक करना चाहिए। लेकिन यहां तो छह माह में ऐसा कोई प्रयास दिखा ही नहीं।

 

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