ग्वालियर. । किशोरावस्था को जीवन की नींव माना जाता है। 12 से लगभग 20 वर्ष तक की उम्र में शरीर को जिस तरह से रखा जाए, उसका असर भविष्य में देखने को मिलता है। इसलिए शरीर को बुढ़ापे तक स्वस्थ और रोगमुक्त बनाए रखने के लिए किशोरावस्था में उचित पोषण बहुत जरूरी है। विषय विशेषज्ञों की मानें तो इस अवस्था को लेकर कुछ माताएं लापरवाह होती हैं। वे बच्चे को कुछ भी खाने के लिए देती हैं, उसे ही संपूर्ण आहार मानती हैं, जबकि यह पूरी तरह से गलत है। इस अवस्था में शरीर में तमाम बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में शरीर को अधिक पोषण और पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। माता-पिता को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस आयु वर्ग के बच्चों को अच्छा पोषण प्राप्त हो सके। काफी, चाय, बहुत ज्यादा तला-भुना, मसालेदार खाना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। प्रोटीन स्रोत : दाल, दही, सोया उत्पाद और मेवे ये प्रोटीन के प्रमुख स्त्रोत हैं। इनसे बढ़ती उम्र के बेहद जरूरी अमीनो अम्ल मिलता है। स्वस्थ वसा : फैटी एसिड भी शरीर के लिए उतने ही जरूरी हैं।

पानी: वैसे तो पानी हर उम्र के लिए ज्यादा आवश्यक है, लेकिन किशोरावस्था में पानी की खपत को अनदेखा नहीं कर सकते। कील, मुंहासे इस दौर की आम समस्याएं हैं, जिनसे निपटने और शरीर से जहरीले पदार्थ को बाहर निकालने में पानी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। संपूर्ण थाली : डायटीशियन प्रिया अरोरा कहती हैं अक्सर अभिभावकों को समझ नहीं आता कि बच्चों को क्या खिलाएं और क्या नहीं। स्वादिष्ट ही नहीं पौष्टिक आहार जरूरी है। कोशिश होनी चाहिए कि बच्चों को संपूर्ण आहार मिले।

अनाज : तरह-तरह के अनाज खाने से भिन्न पोषक तत्व बढ़ती उम्र में बच्चे को सही पोषण देते हैं। डेयरी और

डेयरी उत्पाद : लैक्टोज सहनशीलता को ध्यान रखते हुए डेयरी उत्पाद को रोजाना के आहार में शामिल करना चाहिए। अगर दूध या उससे बने पदार्थ पचाने में कोई समस्या हो तो डाक्टर या आहार विशेषज्ञ से सलाह लें।

फल और सब्जियां : फल एवं सब्जियां विटामिन, खनिज, फाइबर और अधिकतर फलों से विटामिन सी की आपूर्ति होती है। स्कूली बच्चों को फलों का सेवन अनिवार्य रूप से कराना चाहिए।

 

डा. याशी जैन कहती हैं कि अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि किशोरावस्था में उनका बच्चा साथियों के दबाव, सामाजिक प्रभाव में धूमपान, शराब का सेवन जैसी आदतों में न पड़े। किशोर को भी यह समझना होगा कि यह सिर्फ नैतिकता का मुद्दा नहीं है, क्योंकि किशोर अवस्था में शरीर को मिला पोषण आने वाले वयस्कता में भी साथ रहता है।