कौन हैं डॉ. आलोक त्रिपाठी? ज्ञानवापी सर्वे में ASI टीम को कर रहे लीड?

कौन हैं आलोक त्रिपाठी जो ज्ञानवापी सर्वे में ASI टीम को कर रहे लीड? ढूंढ़ निकाले थे रॉयल जहाज के अवशेष
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने वाली एएसआई टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. आलोक त्रिपाठी की चर्चा हर तरफ हो रही है. कौन हैं आलोक त्रिपाठी?

 देश के सबसे पुराने शहरों में सुमार वाराणसी (काशी) के बीचो बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कर रही है. इस अभियान का नेतृत्व पुरातत्व विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी कर रहे हैं. ये वो शख्स हैं जो समय की रेत के नीचे छिपे रहस्यों और खोए हुए खजाने को उजागर करने का हुनर रखते हैं.

ज्ञानवापी सर्वे की टीम का नेतृत्व कर रहे एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी को अंडरवाटर आर्कियोलॉजिकल विंग के उत्खनन और सर्वेक्षण में विशेषज्ञता हासिल है. उन्हें लक्षद्वीप के बांगरम आइलैंड के समुद्र में प्रिसेंस रॉयल जहाज के अवशेष ढूंढने में सफलता मिली थी.

कौन हैं डॉ. आलोक त्रिपाठी?

डॉ. त्रिपाठी इस समय एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल के पद पर भी कार्यरत हैं. अंडरवाटर आर्कियोलॉजिकल विंग के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्य की सराहना बड़े स्तर पर हो चुकी है. डॉ. आलोक त्रिपाठी ने असम यूनिवर्सिटी सिलचर में बतौर प्रोफेसर अपनी सेवाएं दीं. वहां वे इतिहास विभाग में प्रोफेसर थे.

डॉ. आलोक को तीन साल के लिए एएसआई का अतिरिक्त महानिदेशक नियुक्त किया गया. उन्होंने प्राचीन गुफाओं के रास्ते होने वाले व्यवसाय के बारे में भी खासा रिसर्व किया है. वे इतिहास के जाने-माने प्रोफेसर के रूप में पहचाने जाते हैं.

तमिलनाडु में प्राचीन मंदिरों के अवशेषों का कर चुके हैं सर्वे

डॉ. आलोक त्रिपाठी को बचपन से ही आर्कियोलॉजिस्ट बनने का शौक था. उन्हें पुरानी चीजों के बारे में जानने और उस पर शोध करने का ऐसा शौक हुआ कि इतिहास का प्रोफेसर होने के बाद भी वे ऑर्कियोलिकल डिपार्टमेंट से जुड़े.

एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मैं उस समय से पुरातत्वविद बनना चाहता था, जब चौथी कक्षा में था. तमिलनाडु के मामल्लापुरम तट पर सुनामी के बाद प्राचीन मंदिरों के अवशेष उभरे थे. डॉ. आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में एएसआई की टीम ने इसका सर्वे किया था.

वे कहते हैं कि समुद्र में कई राज छिपे हैं, जो हमें उस युग के बारे में बताते हैं. भारत का समुद्र पुरातात्विक अवशेषों से समृद्ध है. उनका मानना है कि यहां अभी भी बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है. आर्कियोलॉजिकल रिसर्च विज्ञान पर बहुत अधिक निर्भर है. तमिलनाडु के मामल्लापुरम एवं अरिकामेडु, गुजरात के द्वारका, महाराष्ट्र के एलीफेंटा और कई अन्य स्थलों पर उन्होंने शोध कार्य किए हैं.

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