भोपाल : केरवा-क​लियासोत बांध क्षेत्र में अतिक्रमण !

एनजीटी ने अतिक्रमण पर एक महीने में रिपोर्ट मांगी, 14 रसूखदारों से जवाब तलब …

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केरवा और कलियासोत डेम के बफर एरिया में अवैध निर्माण और अतिक्रमणों पर तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के लिए एक महीने की अंतिम मोहलत दी है। 20 सितंबर को इस केस की दोबारा सुनवाई के यह रिपोर्ट देनी होगी। इसके साथ ही उन 14 रसूखदार अवैध निर्माणकर्ताओं को भी अपना पक्ष एनजीटी के सामने रखना होगा, जिन्हें हाल में नोटिस थमाए गए हैं।

एनजीटी ने कहा ​कि अगली सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन दोनों वर्चुअल मोड पर उपस्थित रहेंगे। फैसले में कहा गया है कि मुख्य सचिव को 5 लाख रुपए की कॉस्ट के बदले एक माह की मोहलत देते हैं। वे खुद तय करें कि हलफनामा दाखिल न करने के लिए कौनसा विभाग या एजेंसी जिम्मेदार है।

सुनवाई के चौथे दिन मंगलवार को जारी हुए एनजीटी के आदेश में लिखा- ‘हमें अपना असंतोष रिकॉर्ड पर रखते हुए खेद है कि मुख्य सचिव ट्रिब्यूनल द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने बताया है कि 27 जुलाई के आदेश के बाद ही उन्हें इस केस के बारे में पता चला था, इसलिए वे कुछ और वक्त चाहते हैं।

लेकिन ये जानकर हम हैरान हैं कि जब आदेश पारित होने के 20 दिनों की अवधि में राज्य के सर्वोच्च अधिकारी विषय से ही अवगत नहीं हैं। मप्र शासन के जिम्मेदार अफसरों को यह अहसास होना चाहिए कि अदालतें और ट्रिब्यूनल केसों की सिर्फ तारीख आगे बढ़ाने वाली संस्थाएं नहीं हैं, बल्कि वे निर्णय लेने वाली संस्थाएं हैं।

वकीलों और सरकार के जिम्मेदार अफसरों को न्यायालय की मदद के लिए ईमानदार प्रयास करने चाहिए, ताकि बिना किसी देरी के लोगों को न्याय मिल सके। बार-बार तारीख आगे बढ़ाते रहने से न्याय का मूल उद्देश्य ही भटक जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *