ग्रेटर नोएडा : 36 बिल्डरों ने सोसाइटियों में नहीं बनाया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट !

36 बिल्डरों ने सोसाइटियों में नहीं बनाया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

एनजीटी और प्राधिकरण के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे बिल्डर
– शोधित किए बिना ही नालों में बहाया जा रहा गंदा पानी ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित 36 बिल्डर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) और ग्रेनो प्राधिकरण के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन्होंने सोसाइटियों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बनाया है। सीवर के गंदे पानी को बिना शोधित किए ही नालों में बहाया जा रहा है। बिल्डरों पर नकेल कसने के लिए अब प्राधिकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सर्वे कराया है।

एनसीआर में प्रदूषण करने वाली संस्थाओं के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल हर रोज जुर्माना समेत कई कठोर कार्रवाई करता है। बिल्डरों के लिए नियमावली है कि किसी भी प्रोजेक्ट से निकलने वाले सीवर के पानी को शोधित करने के बाद ही नालों में डाला जाएगा। लेकिन ग्रेटर नोएडा व ग्रेटर नोएडा वेस्ट के 36 बिल्डरों ने सीवर के पानी को शोधित करने की कोई व्यवस्था नहीं की है। लोगों की शिकायत पर प्राधिकरण ने सख्ती की। फिर भी बिल्डरों ने सीवर के पानी को शोधित करने के लिए कोई प्रबंध नहीं किया। इससे आजिज होकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बिल्डरों के प्रोजेक्टों का निरीक्षण किया। इनमें 36 ऐसे प्रोजेक्ट मिले हैं, जिनमें 10 से 15 साल होने के बावजूद आज तक सीवर के गंदे पानी को शोधित करने की व्यवस्था नहीं की गई है।

एनजीटी ने मांगी निकायों से रिपोर्ट

सीवर के गंदे पानी को नहर-नालों में डालने से खफा होकर एनजीटी ने एनसीआर के सभी प्राधिकरण, नगर परिषद, नगर पालिकाओं व नगर निगमों से रिपोर्ट मांगी है। इसमें सभी निकायों से जानकारी मांगी गई है कि सीवर के गंदे पानी को कहां डाला जा रहा है।

नहरों में डाला जा रहा कचरा
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से गांवों में सीवर की लाइन तो डाल दी है, लेकिन 125 में से मात्र 20 से 25 गांवों में कनेक्शन चालू किए गए हैं। अधिकतर गांवों में सीवर के गंदे पानी को नहरों और नालों में डालने का काम किया जा रहा है। इससे लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है।

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