इमारतों पर लाल निशान लगाकर भूला नोएडा प्राधिकरण … सर्वे में 1757 जर्जर इमारतों को किया था चिह्नित, 114 इमारतों किया जाना था तुरंत ध्वस्त

नोएडा में एक तरफ गलत निर्माण के चलते सुपरटेक एमराल्ड के दोनों टावर 22 मई को गिरा दिए जाएंगे। वहीं, नोएडा में पहले से जर्जर और असुरक्षित 1,757 इमारतों पर प्राधिकरण का ध्यान नहीं है। चौंकाने वाली बात ये है कि 4 साल पहले प्राधिकरण ने खुद सर्वे कर ये आंकड़ा बताया था। इसके बाद इमारतों को सील किया गया। उन पर लाल निशान से असुरक्षित लिखा गया। हाल ही में गुरुग्राम और दिल्ली के बवाना में हुआ हादसा भी इसी तरह की लापरवाही का नतीजा ही है।

शाहबेरी में इमारत गिरने के बाद प्राधिकरण ने किया था सर्वे

नोएडा प्राधिकरण ने शहर में 4 श्रेणियों में जर्जर इमारतों का सर्वे कराया था। इसमें कुल 1,757 इमारतों को चिह्नित किया गया था। इसमें 114 इमारतें ऐसी थीं, जिनको ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन अब तक किसी भी इमारत को ध्वस्त नहीं किया गया। इसमें पहला असुरक्षित और जर्जर दूसरा अधिसूचित व अर्जित भवन पर अवैध कब्जा, तीसरा अधिसूचित व अनर्जित पर बनी इमारत व चौथा ग्राम की मूल आबादी में बनी बहुमंजिला इमारतों को शामिल किया गया था। सर्वे के परिणाम चौंकाने वाले थे। पहली श्रेणी में कुल 56 जर्जर व असुरक्षित इमारत थी। कुल मिलाकर 1,757 इमारतों की एक सूची बनाई गई। ध्वस्तीकरण अब तक नहीं किया जा सका।

ध्वस्तीकरण का नोटिस लिए खड़ा युवक।
ध्वस्तीकरण का नोटिस लिए खड़ा युवक।

कई गांवों में चस्पा किए गए थे नोटिस

शहर के गांवों के अलावा कई स्थानों पर सैकड़ों इमारतों को अवैध जर्जर करार देकर नोटिस जारी किए थे। इसमें सर्वाधिक इमारतें हिंडन विहार व गढ़ी चौखंडी गांव की थीं। यहां धड़ल्ले से अवैध निर्माण किया जा रहा था। यहां बनाई गई इमारतें 7-8 मंजिला तक हैं। उस दौरान इनका निर्माण कार्य रुकवाया गया। साथ ही नोटिस जारी कर ध्वस्तीकरण के निर्देश दिए गए, लेकिन अब तक इमारतों को गिराया नहीं जा सका। इसी तरह निठारी, हरौला में दर्जनों अवैध इमारतों को नोटिस जारी कर गिराने का निर्देश दिया था।

गांवों का सर्वे अब तक नहीं हो सका पूरा

प्राधिकरण ने ग्राम की मूल आबादी में 3 मंजिला से अधिक 1,326 इमारतों को चिह्नित किया था। इन सभी इमारतों का सत्यापन कराया जा रहा था। कागजी तौर पर यह देखा जा रहा था कि जिस जमीन पर इनका निर्माण किया गया है, वह प्राधिकरण अधिसूचित जमीन है या नहीं। अब तक इन इमारतों का सत्यापन का कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका है। अधिसूचित व अर्जित क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों की संख्या भी 114 थी, जिनको जल्द से जल्द गिराने के निर्देश थे। इनको भी नहीं गिराया जा सका है।

जर्जर गिरी बिल्डिंग का मलबा हटाती टीम।
जर्जर गिरी बिल्डिंग का मलबा हटाती टीम।

क्या हुआ था शाहबेरी में

17 जून 2018 को शाहबेरी गांव में छह मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई थी। इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद प्रशासन ने 74 बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद ही नोएडा और ग्रेटर नोएडा में तमाम जर्जर इमारतों को नोटिस जारी किए गए।

दिल्ली और गुरुग्राम के हादसों से नहीं ले रहे सबक

गुरुग्राम के सेक्टर-109 स्थित चिंटल पैराडीसो नामक रिहायशी सोसायटी में अचानक छठे फ्लोर के लिविंग रूम की छत गिरी। इसके बाद उतना ही हिस्सा पहले फ्लोर तक एक के बाद एक गिरता चला गया। हादसे में 2 की मौत हो चुकी है। इसी तरह दिल्ली के बवाना में भी जेजे कॉलोनी में बने फ्लैट गिर गए। इस हादसे में भी कई लोग घायल हुए। इतना होने के बाद भी नोएडा प्राधिकरण ध्यान नहीं देता है। यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

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