उज्जैन : बिना पात्रता के एलोपैथी इलाज कर रहे 250 से ज्यादा डॉक्टर !
इलाज में सावधानी जरूरी:मरीजों की मौत हो रही फिर भी बिना पात्रता के एलोपैथी इलाज कर रहे 250 से ज्यादा डॉक्टर
मक्सी रोड, आगर रोड, बड़नगर तहसील तथा कायथा आदि में ऐसे डॉक्टर्स प्राइवेट क्लीनिक व अस्पताल का संचालन कर रहे हैं, जो कि एलोपैथी में मरीजों के इलाज के लिए पात्र नहीं हैं। उनके क्लीनिक के लाइसेंस तक नहीं है। बावजूद इसके मरीजों को अपने क्लीनिक में भर्ती कर इलाज कर रहे हैं। दवाइयों का प्रयोग करने के बाद मरीज के हालत बिगड़ने पर दूसरे अस्पतालों में रैफर कर रहे हैं। ऐसे में मरीज उचित इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के तहत जिले में करीब इस तरह के 250 क्लीनिक संचालित हो रहे हैं। मरीजों की मौत के लगातार मामले सामने आने के बाद जिले में संचालित ऐसे क्लीनिक व अस्पताल की जांच के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से दल गठित कर दिए हैं। साथ ही जिले के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) को चिट्ठी लिखकर आदेश दिए हैं कि हर हाल में 15 दिन में अपने-अपने ब्लॉक में बगैर लाइसेंस के संचालित हो रहे क्लीनिक व अस्पताल की जांच कर कार्रवाई करें।
डॉक्टर्स के पास में डिग्री है या नहीं, यह भी जांच की जाए। एलोपैथी में पात्र नहीं होने के बावजूद मरीज का इलाज करना पाया जाता है तो क्लीनिक को सील किया जाए। इस दौरान आवश्यकता पड़े तो पुलिस व प्रशासन के अमले की मदद लेकर कार्रवाई करें और 15 दिन में कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करें।
मरीजों की जान से खिलवाड़… ये मामले, इलाज के बाद मरीजों की मौत
मामला-1
मक्सी रोड पर पंवासा के समीप अमृत नगर में रहने वाले सावन यादव उम्र 19 साल का क्षेत्र में ही क्लीनिक संचालित करने वाले झोलाछाप डॉक्टर ने इलाज करते हुए मरीज को भर्ती कर लिया। डॉक्टर ने मरीज को बाेतल लगाई, जिससे मरीज को ठंड लगने लगी। इसके बाद डॉक्टर ने मरीज को जो दवाई दी, उसके बाद तो उसे और तकलीफ होने लगी। उक्त डॉक्टर से मरीज की स्थिति नहीं संभली तो प्राइवेट अस्पताल में रैफर कर दिया, जहां उसकी मौत हो गई।
मामला-2
देवास रोड स्थित नागझिरी के आदर्शनगर में रहने वाले डॉक्टर ने तो इलाज के लिए क्लीनिक पर पहुंची बीमार महिला के साथ में दुष्कर्म तक कर दिया। मामले में महिला की रिपोर्ट पर नागझिरी थाना पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेजा गया था।
मामला-3
कायथा में संचालित क्लीनिक पर मरीज दिलीप गुर्जर उम्र 31 साल को परिवार के लोग लेकर पहुंचे थे, जहां पहले तो डॉक्टर ने मरीज का इलाज शुरू कर दिया और जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तो उसे रैफर कर दिया। इसी दौरान उसकी मौत हो गई। परिवार के लोगों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने मरीज को गलत इंजेक्शन लगाया था, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ी और उसने दम तोड़ दिया। बीएमओ के आदेश पर टीम ने जांच की तो डॉक्टर के पास में न तो डिग्री पाई गई और न क्लीनिक संचालन का लाइसेंस पाया गया। इस पर क्लीनिक सील कर दिया।
पूर्व में 38 क्लीनिक बंद करवाए फिर संचालित होने लगे
जिले में पूर्व में सात टीमों का गठन किया जाकर करीब 38 क्लीनिक पर जांच की गई थी। इसमें कार्रवाई करते हुए उक्त क्लीनिक को बंद करवाया गया था और दो मामलों में एफआईआर तथा करीब 22 के खिलाफ कोर्ट में प्रकरण पेश किए गए थे।
दल गठित किए हैं और साथ ही जिले के बीएमओ को चिट्ठी लिखकर आदेश दिए हैं कि 15 दिन में अपने-अपने ब्लॉक में बगैर लाइसेंस के संचालित हो रहे क्लीनिक व अस्पताल की जांच कर कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश करें।
सीएमएचओ