ग्वालियर : एक करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी चोरी !
एक करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी चोरी के मामले में आइजी पंजीयन ने लिया संज्ञान, जांच के आदेश
खबर का असर : डायवर्सन व संपत्ति सड़क पर होने के तथ्यों को छिपाया …
दो साल में 3452 दस्तावेज में तथ्य छिपाकर 9.85 करोड़ की चोरी
पंजीयन कार्यालय में दो साल में 3452 दस्तावेज में तथ्यों को छिपाकर 9 करोड़ 85 लाख रुपए की स्टाम्प ड्यूटी चोरी की गई है। स्टाम्प ड्यूटी चोरी के प्रकरण भी जिला पंजीयक के यहां दर्ज हो चुके हैं। इनका परीक्षण कर आदेश भी हो चुके हैं।
दस्तावेज लेखन करते वक्त पक्षकार, लेखक की मिली भगत व विभाग के अधिकारियों की अनदेखी से ऐसा हो रहा है।
किसी दस्तावेज लेखक पर नहीं हुई कार्रवाई
स्टाम्प ड्यूटी चोरी का मामला आता है तो दस्तावेज लेखक पर पहले कार्रवाई होती है, लेकिन 9 नौ करोड़ 85 लाख रुपए की शासन को हानि पहुंचाने के बाद दस्तावेज लेखकों पर कार्रवाई नहीं की गई।
जिला पंजीयक कार्यालय में तथ्यों को छिपाकर 50 लाख से एक करोड़ रुपए के बीच की स्टाम्प ड्यूटी चोरी के आरोप के मामले में पंजीयन महानिरीक्षक (आइजी) ने संज्ञान लिया है। आइजी एम सेलवेंद्रम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। आइजी ने जांच कराने की पुष्टि की है। पत्रिका द्वारा छह सितंबर के अंक में 35000 वर्गमीटर पर निर्माण, 600 वर्गमीटर बताकर एक करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी चोरी, शीर्षक से खबर प्रकाशित करने के बाद मामले को गंभीरता से लिया गया है।
पटवारी हल्का नंबर-43 के ग्राम बरुआ पिछोर (सिथौली) सर्वे क्रमांक नंबर 72, 73/2, 73/3, 73/1 की जमीन का पंजीयन 26 अगस्त-2022 को बैंक द्वारा कराया गया। दस्तावेज पंजीयन होने के बाद लंबे समय तक इसकी जानकारी बाहर नहीं आई। इस जमीन के मालिक दीपक सिंह की जानकारी में यह मामला आया तो रजिस्ट्री सहित संपत्ति के मौके की स्थिति लेकर वह जिला पंजीयक के सामने पहुंचे। संपत्ति का पूरा ब्यौरा देखने के बाद जिला पंजीयक भी हैरान रह गए। जब संपत्ति का प्राथमिक आंकलन किया गया तो 50 लाख से एक करोड़ के बीच की स्टाम्प ड्यूटी चोरी होने की संभावना जताई गई। डायवर्सन व संपत्ति सड़क पर होने के तथ्यों को छिपाया गया था।
मुझे फंसाया जा रहा
दस्तावेज का पंजीयन करने वाले उप पंजीयक दुष्यंत दीक्षित का कहना है कि एक मामले के तीन शिकायती आवेदन दिए गए। पहले शिकायत बैंक के खिलाफ थी। दस दिन बाद शिकायतकर्ता को बुलाकर मेरे खिलाफ शिकायत कराई गई। इसमें जानबूझकर फंसाया जा रहा है। बैंक ने संपत्ति नीलाम की और बैंक दस्तावेजों के आधार पर पंजीयन हुआ है। बैंक जो ब्यौरा देगी, उसे ही आधार मानकर संपत्ति का पंजीयन किया जाएगा। मैंने जिला पंजीयक को अपना स्पष्टीकरण भी दे दिया है।