राजधानी में प्रदूषण के साथ बढ़ रही लापरवाही ?

राजधानी में प्रदूषण के साथ बढ़ रही लापरवाही

निर्माण स्थल पर धूल पर नियंत्रण पाने के उपाय नहीं, खुले में जलाया जा रहा कचरा

अगले तीन दिन तक प्रदूषण का स्तर मध्यम स्तर पर रहने का अनुमान

नई दिल्ली। मौसम सर्द होते ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है। इसे प्रशासन व लोगों की लापरवाही और गंभीर बना रही है। मंगलवार को दिल्ली का प्रदूषण सूचकांक बढ़कर 155 पर पहुंच गया, जोकि एनसीआर में फरीदाबाद के बाद सबसे कम है। आने वाले दिनों में इस स्तर में तेजी से उछाल की आशंका है।

मंगलवार को शास्त्री पार्क में खुले में पड़े कबाड़ में आग की सूचना मिली। बताया गया कि कूड़े में स्थानीय लोगों ने ही आग लगा दी। वहीं नई दिल्ली के राजेंद्र प्रसाद रोड के पास चल रहे निर्माण कार्य में पानी का छिड़काव न होने के कारण सड़कों तक धूल का गुब्बार दिख रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि दिल्ली में सोमवार को प्रदूषण सूचकांक 146 था, जो मंगलवार को बढ़कर 155 हो गया। वहीं एनसीआर की बात करें तो फरीदाबाद में 86, गाजियाबाद में 169, ग्रेटर नोएडा में 250, गुरुग्राम में 240 और नोएडा में 159 प्रदूषण सूचकांक दर्ज किया गया। बोर्ड के अनुसार अगले तीन दिन तक प्रदूषण का स्तर मध्यम स्तर पर रहने का अनुमान है।

पर्यावरण मंत्री ने लाॅन्च किया ग्रीन वाॅर रूम
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में प्रदूषण के खिलाफ विंटर एक्शन प्लान के बेहतर क्रियान्वयन के लिए ग्रीन वाॅर रूम लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि ग्रीन वाॅर रूम में मॉनिटरिंग के लिए 17 सदस्यीय टीम को लगाया गया है, यह 24 घंटे काम करेगा। पिछले आठ साल में उठाए गए कदमों से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में भारी कमी आई है। दिल्ली में 5 अक्तूबर से एंटी डस्ट अभियान भी शुरू किया जाएगा। ऐसी निर्माण साइट जो धूल प्रदूषण से संबंधित नियमों का पालन नहीं करेंगी, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गोपाल राय ने कहा कि ग्रीन वार रूम का नेतृत्व डॉ. नंदिता मोइत्रा करेंगी। यह टीम प्राथमिक प्रदूषकों के स्तर, प्रदूषण पर अंकुश लगाने के उपायों और ग्रीन दिल्ली एप के माध्यम से प्राप्त शिकायतों की स्थिति की निगरानी करेगी। दिल्ली में कई एजेंसियां प्रदूषण से निपटने के लिए काम करती हैं। यह रूप सभी में समन्वय करेगा। ग्रीन वाॅर रूम में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने व खुले में कचरा जलाने से संबंधित सैटेलाइट डाटा का भी विश्लेषण किया जाएगा। इस ग्रीन वॉर रूम के मेंबर, ग्रीन दिल्ली एप पर जितनी शिकायतें आएंगी, उसे संबंधित विभागों तक पहुंचाने और उसे मॉनिटर करने का काम करेंगे। एप दिल्ली के 28 विभाग का संयुक्त प्लेटफाॅर्म है। ग्रीन दिल्ली एप पर जितनी शिकायतें आती हैं, उन पर सभी 28 विभागों के साथ मिलकर संयुक्त कार्रवाई की जाती है। इसमें दिल्ली नगर निगम, केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के विभाग हैं। इस एप को संचालित करने के लिए हर विभाग में नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

एप पर आईं 70684 शिकायतें
मंत्री ने बताया कि एप पर अभी तक 70684 शिकायतें आई हैं, जिसमें से 90 प्रतिशत शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है। ग्रीन दिल्ली एप पर सबसे ज्यादा शिकायतें एमसीडी की 45208 आई हैं। उसके बाद पीडब्ल्यूडी की 10928 और डीडीए की 4289 आई हैं। लोगों से अपील है कि ग्रीन दिल्ली एप को अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करें। दिल्ली में कहीं भी निर्माण कार्य चल रहा है और नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है या अन्य प्रदूषण से संबंधित शिकायत ग्रीन दिल्ली एप पर करें।

दिल्ली में प्रदूषण के लिए एनसीआर जिम्मेदार
मंत्री ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए 70 फीसदी जिम्मेदार एनसीआर है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में दिल्ली के स्रोतों का योगदान मात्र 31 प्रतिशत है, जबकि एनसीआर के शहरों का योगदान सर्वाधिक है।

नैनो कण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
वाहनों के धुएं से निकलने वाले नैनो कण फेफड़ों के लिए खतरनाक हैं। इसे लेकर साल 2021 में एक अध्ययन किया गया था जो जर्नल अर्बन क्लाइमेट में प्रकाशित हुआ। इस अध्ययन को उत्तर पश्चिमी दिल्ली में बवाना में किया गया। यह अध्ययन 1 अप्रैल, 2021 से 30 जून, 2021 तक और 3 अक्तूबर से 30 नवंबर 2021 तक दो अवधि में रहा। इस अध्ययन में 10 से 1000 एनएम तक के नैनो प्रदूषकों के विभिन्न आकारों को देखा गया। इसमें पाया गया कि कोरोना महामारी के बाद सभी सड़कों पर चलने वाले वाहनों से निकलने वाले नैनो कण लोगों की समस्याओं को बढ़ा रहे हैं। इन्हें आंखों से देखा नहीं जा सकता। ये हमारे फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं। रक्तप्रवाह और मस्तिष्क तक हवा के साथ पहुंच सकते हैं। शोध के दौरान प्रदूषण का स्रोत वाहन के अलावा बायोमास जलाना, ईंधन, आतिशबाजी सहित अन्य भी शामिल रहे।

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