बंगाल में पैसों के बदले दी गई नौकरियां !
बंगाल में पैसों के बदले दी गई नौकरियां, करोड़ों का घोटाला; जानें ‘कैश फॉर जॉब’ की पूरी कहानी
पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला, दमकल भर्ती घोटाला, नगरपालिका भर्ती घोटाला, मनेरगा में भ्रष्टाचार, कॉपरेटिव बैक में घोटाला, ग्रुप डी की नियुक्ति में भ्रष्टाचार जैसे कई आरोप लगे हैं. मंत्री सहित कई नेता और अफसरों की गिरफ्तारियां हुई हैं. कोर्ट के आदेश के बाद ईडी और सीबीआई पूरे मामले की जांच कर रही है, लेकिन लोग अब चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले.
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई हैं. साल 2011 में वाममोर्चा को अपदस्थ करने के बाद सत्ता में आई तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर पिछले 12 सालों से भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं. शिक्षक भर्ती घोटाला, दमकल भर्ती घोटाला, नगरपालिका भर्ती घोटाला, मनेरगा में भ्रष्टाचार, कॉपरेटिव बैक में घोटाला, ग्रुप डी की नियुक्ति में भ्रष्टाचार जैसे कई आरोप लगे हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट और कुछ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई और ईडी इन मामलों की जांच कर रही है. पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी सहित टीएमसी के आला नेताओं की गिरफ्तारी हुई है. करोड़ों के घोटाले हुए और पैसों के बदले नौकरियां दी गई हैं. कई अभी भी जेल की सलाखों के पीछे हैं. कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है.
ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि आखिर बंगाल में कैश फॉर जॉब की कहानी कैसे शुरू हुई. भ्रष्टाचार में टीएमसी के नेता, मंत्री, कार्यकर्ता आला अधिकारी से लेकर स्टॉफ सभी का नेक्सस काम कर रहा था और इस नेक्सस ने भ्रष्टाचार की पूरी कहानी लिखी.
मंत्री की गिरफ्तारी से शुरू हुई कहानी
शिक्षक भर्ती घोटाले में भ्रष्टाचार का पहला खुलासा जुलाई, 2022 में हुआ. ईडी ने पूर्व मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के तात्कालीन शिक्षा और उद्योग मंत्रीपार्थ चटर्जी के घर पर रेड मारी. उसके बाद उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर पर भी छापेमारी की गई और अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से 50 करोड़ रुपए के कैश, सोना सहित कई घरों के कागजात जब्त किए गये.
उसके बाद पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन जिस तरह से 24 घंटों तक रुपयों की गिनती होती रही. उससे पूरे देश की नजर इस घटना पर गई और इसकी सुर्खियां बनी थी.
बाद में ईडी और सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे. उस समय साल 2014 में बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन ने शिक्षक भर्ती के लिए नौकरी का आवेदन निकाला. यह भर्ती प्रक्रिया साल 2016 से शुरू हुई और आरोप लगे कि शिक्षा मंत्री ने स्कूल सर्विस कमीशन के आला पदाधिकारियों और टीएमसी नेताओं के साथ मिलकर पूरे घोटाले को अंजाम दिया.
जांच में खुलासा हुआ है कि टीएमसी के निचले स्तर के नेताओं ने ऐसे उम्मीदवारों से संपर्क बनाया, जिन्हें कम नंबर मिले थे. उन उम्मीदवारों से टीएमसी के कुछ आरोपी नेताओं ने पैसे लिए और उनकी लिस्ट मंत्री और अधिकारियों के पास पहुंचे. मंत्री और अधिकारियों को मंजूरी के बाद नंबर बदले गए और जिन उम्मीदवारों को कम नंबर मिले थे. उनके नंबर बढाए गए और उसी के आधार पर मेरिट लिस्ट भी जारी हुआ.
नौकरियों के बदले पैसों का हुआ बंदरबाट
जिन उम्मीदवारों को कम नंबर मिले थे. उनसे टीएमसी के कार्यकर्ताओं के माध्यम से पैसे लिए गए और उन्हें पैसों के एवज में नौकरियां दी गईं. ऐसे उम्मीदवारों को नौकरियां दी गईं, जो टीईटी की परीक्षा पास नहीं की थी और इस नौकरी की बंदरबाट में टीएमसी के नेता से लेकर आला अधिकारी तक शामिल थे. बाद में इनमें से कइयों की गिरफ्तारियां भी हुईं और फिलहाल वे जेल की सलाखों के पीछे हैं.
आरोप है कि बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला 32000 प्राथमिक शिक्षकों को अनैतिक रूप से नौकरी दी गई. ग्रुप सी में कार्यरत 842 लोगों की नौकरी दी गई. दमकल विभाग और नगरपालिका में भर्ती में धांधली हुई. सीबीआई और ईडी ने जब जांच शुरू की, तो घोटालों के तार जुड़ते चले गए और शिक्षक भर्ती घोटाले के साथ-साथ नगरपालिका में भर्ती, दमकल में भर्ती के मामले सामने आये. आरोप लगा कि नगरपालिका में टीएमसी नेताओं की सिफारिश के बाद नौकरियां दी गईं.
नगरपालिका विभाग में अनैतिक रूप से नौकरी देने के मामले में पहले मंत्री रथिन घोष के घर पर ईडी ने छापेमारी की और अब सीबीआई ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले मंत्री और कोलकाता नगर निगम के मेयर फिरहाद हकीम के घर पर छापेमारी की है. फिरहाद हकीम के घर पर छापेमारी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि वह तृणमूल कांग्रेस के न केवल आला नेता हैं, बल्कि ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के काफी करीब माने जाते हैं.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने विशेष कर न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने भ्रष्टाचार के आरोपों के गंभीरता से लिया और कई मामलों में सीबीआई और ईडी जांच का आदेश दिया, हालांकि कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बहाल रखा और इस मामले में गिरफ्तारियों के बाद अब इनकी जांच चल रही हैं और कोर्ट में मामला चल रहा है.
कोर्ट में लटका मामला, अब फैसले का इंतजार
बंगाल में नौकरियों में घोटाला का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा. बीजेपी ने इसका मुद्दा बनाते हुए तृणमूल कांग्रेस पर हमला बोला, हालांकि टीएमसी ने पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित करार दिया, लेकिन पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद उन्हें पार्टी से निकाला. इसी तरह से कई नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है, लेकिन टीएमसी पूरे मामले की ईडी और सीबीआई की राजनीतिक उद्देश्य से प्ररित होकर कार्रवाई करार दे रही है.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय ‘कैश फॉर जॉब’ घोटाले को लेकर कहते हैं कि शिक्षक भर्ती घोटाला, मनेरगा घोटाला, नगरपालिका में घोटाला. कॉपरेटिव बैक और ग्रुड डी स्टॉफ में घोटाले के कई मामले आये हैं और इन मामलों की सुनवाई कोर्ट में हो रही है. कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं, लेकिन अब लोग यह सवाल कर रहे हैं कि इन मामलों पर फैसला कब आएगा. तृणमूल कांग्रेस आरोप लगा रही है कि राजनीतिक उद्देश्य ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन लोग अब निष्कर्ष देखना चाह रहे हैं. लोगों की यह धारणा बनती जा रही है कि जानबूझ कर मामले को लटकाया जा रहा है.
उनका कहना है कि जिस तरह से इन भ्रष्टाचार के मामलों को खींचा जा रहा है. उससे यह संदेश जा रहा है कि इस देश में सभी के लिए कानून समान नहीं है. ईडी या सीबीआई बुलाती है, लेकिन राजनीतिक नेता समन पर जाने से इनकार कर रहे हैं. उनके खिलाफ ईडी भी हार्ड स्टेप नहीं ले पा रहा है. ऐसे में लोगों के मन में आशंका पैदा हो रही है और टीएमसी इसका राजनीतिकरण का तमगा देने में कामयाब हो रही है, जबकि हजारों लोगों को नौकरियां से वंचित किया गया और इसमें नेता से लेकर अफसर तक शामिल रहे. न्यायालय में मामले चल रहे हैं और लोग अब यह देखना चाह रहे हैं कि दोषियों को सजा मिले और वंचितों को उनका हक मिले.