पीयूष जैन ने सिंडीकेट बनाकर की अरबों की टैक्स चोरी !
पीयूष जैन ने सिंडीकेट बनाकर की अरबों की टैक्स चोरी …
महज 15 लाख का ITR और 5 हजार कैश था कंपनी का स्टेटस, बोगस बिल-पर्चों से किया पूरा खेल
आइए आपको बताते हैं, पीयूष जैन ने सिंडीकेट बनाकर किस तरह से अरबों की टैक्स चोरी की। स्कूटर से चलने वाला रातों-रात अरबों का मालिक बन गया। पढ़ें पीयूष जैन पर कानपुर से दैनिक भास्कर की खास रिपोर्ट…।
रुपए इतने मिले कि गिनने में 5 दिन लग गए
महानिदेशालय जीएसटी इंटेलीजेंस (DGGI) अहमदाबाद ने पीयूष के घर से 197 करोड़ बरामद किया तो पूरा देश हैरत में पड़ गया। आखिर इतना कैश कैसे कोई रख सकता है। इतनी रकम कि अफसरों को गिनने में 5 दिन लग गए और कैश को ले जाने के लिए DCM मंगानी पड़ी। पीयूष जैन ने पूछताछ के दौरान बताया था कि पूरी रकम उसकी ही है। लेकिन, जांच में परत दर परत सामने आया कि सिर्फ पीयूष जैन ही नहीं 13 अन्य लोग और कंपनियां भी इस खेल में शामिल हैं। पीयूष जैन ने सिंडीकेट बनाकर अरबों रुपए की टैक्स चोरी की और अरबों का मालिक बन बैठा। किसी को इसकी भनक भी नहीं लगी।
चार कारोबारियों ने सिंडीकेट बनाकर किया टैक्स चोरी का खेल
अरबों की टैक्स चोरी करने के खेल में पीयूष जैन के साथ ही चार कंपनियां शामिल हैं। चार कंपनियों ने सिंडीकेट बनाकर अरबों रुपए की टैक्स चोरी की और अरबों के मालिक बन बैठे। डीजीजीआई की जांच में सामने आया कि पीयूष जैन मुंबई की जिस फर्म से कच्चा माल खरीद रहे थे, उसका नाम सुनील ए हिरानी की कंपनी मेसर्स कुशल चंद्र इंटरनेशनल प्रा. लि. है। जबकि माल तैयार होने के बाद यह कानपुर के त्रिमूर्ति फ्रेगरेंस प्रा. लि. कानपुर के मालिक दीपक अग्रवाल और शैलेंद्र मित्तल को कंपाउंड बेच रहे थे। इसमें सबसे अहम भूमिका ट्रांसपोर्टर मेसर्स गणपति रोड कैरियर्स प्रा. लि. और इसके मालिक प्रवीन कुमार जैन के साथ ही रजन जैन की रही। बोगस बिल और पर्चों पर ट्रांसपोर्ट किए जा रहे करोड़ों के माल को किसी ने हाथ तक नहीं लगाया। इन चारों कंपनियों और इनके मालिकों ने मिलकर पूरा खेल किया।
2760 करोड़ का कारोबार करके 497 करोड़ रुपए का टैक्स चुराया
चारों कारोबारियों ने मिलकर कच्चे बिल-पर्चे और बोगस बिलों से 2017 से लेकर 2021 तक 2760 करोड़ का कारोबार करके 497 करोड़ रुपए का टैक्स चुराया। कोई पीयूष के रहन-सहन को भी देखकर भांप नहीं पाता था कि इनकी हैसियत क्या है। स्कूटर से चलने वाले साधारण से व्यक्ति के घर में नोटों का खजाना भरा है। छापेमारी के बाद सभी नजदीकी दंग रह गए थे।
पीयूष की तीन कंपनियां और पूरा परिवार फंसा
इस केस में सिर्फ पीयूष जैन ही नहीं उनका पूरा परिवार फंस गया है। इतना ही नहीं तीनों कंपनियों और पांचों सदस्यों के खिलाफ चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल हो गई है। पहली फर्म ओडोकेम इंडस्ट्रीज में पीयूष जैन उनके भाई अमरीश जैन और पिता महेश जैन डायरेक्टर थे। जबकि दूसरी कंपनी ओडास्मिथ आईएनसी कन्नौज प्रोपराइटर पीयूष की पत्नी कल्पना जैन और तीसरी कंपनी फ्लोरा नेचुरल पीयूष की भाभी विजय लक्ष्मी के नाम थी। तीनों कंपनियों और पीयूष व उसके परिवार के सभी पांच लोगों को केस में आरोपी बनाया गया है।
पीयूष 15 लाख का भरता था ITR
डीजीजीआई की जांच में सामने आया कि अरबों रुपए की टैक्स चोरी और घर में 197 करोड़ रुपए कैश रखने वाला इत्र कारोबारी पीयूष जैन महज 15 लाख रुपए का इनकम टैक्स रिटर्न यानी ITR भरता था। पत्नी का भी ITR केवल 8 लाख रुपए का था। पिता महेश चंद्र जैन का भी ITR महज 14 लाख रुपए का था। आपको जानकर हैरत होगी कि पीयूष ने अपने पास कैश सिर्फ 5 हजार रुपए दिखाया था। पुराने स्कूटर से चलता था।
दो साल में 50 करोड़ ब्याज मिला
सरकारी वकील अमरीश टंडन ने बताया कि पीयूष जैन से बरामद 197 करोड़ रुपए को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में राष्ट्रपति के नाम पर एफडी बनवाकर जमा कर दी गई है। बैंक ब्याज के मुताबिक, दो साल में करीब 50 करोड़ रुपए बढ़ गया है। इस रकम को अपने पास जमा कराने के लिए आयकर विभाग कई बार डीजीजीआई को चिट्ठी लिख चुका है, लेकिन उसे इनकार कर दिया गया था। दिसंबर 2021 में डीजीजीआई अहमदाबाद की टीम ने छापेमारी करके यह रकम बरामद की थी। इसके बाद इसे SBI में जमा कराया गया था।
देश की सबसे बड़ी रिकवरी और चार्जशीट
आपको जानकार हैरत होगी कि कानपुर में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर से बरामद 197 करोड़ रुपए को डीजीजीआई ने अब तक की देश में सबसे बड़ी रिकवरी होने का दावा किया है। अब मामले में पीयूष जैन और अन्य 13 लोगों के खिलाफ 1.60 लाख पन्नों की चार्जशीट दाखिल होने के बाद यह दावा किया है कि देश की सबसे बड़ी चार्जशीट डीजीजीआई ने स्पेशल सीजीएम कोर्ट कानपुर में जमा की है। डीजीजीआई की टीम चार्जशीट को दो गाड़ियों से बक्सों में भरकर कानपुर पहुंची थी। इसके बाद इन बक्सों को कोर्ट में जमा कराया गया था।
साल 2021 में हुई छापेमारी में कैसे पीयूष जैन तक पहुंची DGGI की टीम, आगे जानते हैं…
21 दिसंबर को कानपुर में पहला छापा
जीएसटी चोरी की पहली भनक अहमदाबाद में लगी थी। इसलिए वहां की टीम ने छापेमारी को अंजाम दिया। इसे ‘ऑपरेशन बिग बाजार’ नाम दिया गया। 21 दिसंबर 2021 को टीम ने पहला छापा मारा, मगर टीम के सदस्य इससे पहले 2 दिनों तक कानपुर शहर से दूर कानपुर देहात के होटलों में डेरा डाले बैठे थे।
23 दिसंबर को खुला पूरा मामला
ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन के घर मिले डॉक्यूमेंट के आधार पर 22 दिसंबर को पीयूष जैन के ठिकानों पर छापे मारे गए। उनके घर से इतनी भारी मात्रा में कैश मिला, जिसे देखकर डीजीजीआई अधिकारियों के भी होश उड़ गए। कैश मिलने के बाद 22 दिसंबर काे ही इनकम टैक्स के अधिकारियों को भी कार्रवाई में शामिल किया गया। भारी मात्रा में कैश बरामद होने के बाद 23 दिसंबर को देर रात डीजीजीआई ने प्रेस नोट जारी कर पीयूष जैन के घर से रकम बरामद होने की जानकारी दी।