हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान से भी नीचे भारत:पिछले साल से भी बुरा हाल !

 हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान से भी नीचे भारत:पिछले साल से भी बुरा हाल; सरकार नकार रही, लेकिन सच्चाई क्या है

‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की हालत पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी बदतर’

ये खबर आने के कुछ ही देर बाद की एक और हेडिंग…

‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स को सरकार ने खारिज किया, कहा- यह वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शाता’

इन दो खबरों की हेडलाइन से साफ है कि 125 देशों के हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 111 है। भारत पिछले साल से भी 4 पायदान नीचे खिसका है। पड़ोसी देशों पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल ने भारत से बेहतर रैंकिंग हासिल की है। हांलाकि, सरकार ग्लोबल हंगर इंडेक्स को नकार रही है और भुखमरी मापने के तरीके पर ही सवाल खड़े कर रही है।

 हंगर इंडेक्स क्या है, इसे सरकार इसे क्यों खारिज कर रही है और क्या सच में इस रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या होता है?
दुनियाभर के देशों में भुखमरी के हालात को लेकर हर साल रिपोर्ट जारी की जाती है। इसे ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी GHI नाम दिया गया है। ये रिपोर्ट जर्मनी का गैर-सरकारी संगठन ‘वेल्ट हंगर हिल्फ’ और आयरलैंड का गैर-सरकारी संगठन ‘कंसर्न वर्ल्डवाइड’ मिलकर जारी करते हैं। इन दोनों संस्थाओं का मुख्य मकसद दुनियाभर के अलग-अलग देशों में 4 पैमानों पर गरीबी और भुखमरी के बारे में पता करना है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 में भारत की स्थिति क्या है?
125 देशों के इंडेक्स में भारत का स्थान 111वां है। भारत उन 34 देशों में भी शामिल है जहां पर भुखमरी की समस्या काफी गंभीर मानी गई है। भारत नेपाल से 43 और पाकिस्तान से 9 पायदान नीचे है। भारत का GHI स्कोर 28.7 है, जो सारियस कैटेगरी में आता है।

हंगर इंडेक्स कैसे तैयार किया जाता है?

किसी देश का GHI स्कोर 4 पैमानों पर कैलकुलेट किया जाता है…

1. कुपोषण: अंडरनरिशमेंट यानी एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर के लिए जरूरी कैलोरी नहीं मिलना। आबादी के कुल हिस्से में से उस हिस्से को कैलकुलेट किया जाता है जिन्हें दिनभर की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कैलोरी नहीं मिल रही है।

2. बाल मृत्यु का दर: बाल मृत्यु का दर का मतलब हर 1 हजार जन्म पर ऐसे बच्चों की संख्या जिनकी मौत जन्म के 5 साल की उम्र के भीतर ही हो गई।

3. उम्र के हिसाब से वजन कम होना: चाइल्ड वेस्टिंग यानी बच्चे का अपनी उम्र के हिसाब से बहुत दुबला या कमजोर होना। 5 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे, जिनका वजन उनके कद के हिसाब से कम होता है। ये दर्शाता है कि उन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिला इस वजह से वे कमजोर हो गए।

4. उम्र के हिसाब से कम लंबाई: चाइल्ड स्टंटिंग यानी ऐसे बच्चे जिनका कद उनकी उम्र के लिहाज से कम हो। यानी उम्र के हिसाब से बच्चे की हाइट न बढ़ी हो। हाइट का सीधा-सीधा संबंध पोषण से है। जिस समाज में लंबे समय तक बच्चों में पोषण कम होता है वहां बच्चों की लंबाई बढ़नी कम हो जाती है।

इन चारों आयामों को मिलाकर 100 पाइंट का स्टैंडर्ड स्कोर दिया जाता है। स्कोर स्केल पर 0 सबसे अच्छा स्कोर होता है, वहीं 100 सबसे बुरा।

ये हंगर इंडेक्स सिर्फ भोजन की कमी नहीं, बल्कि भोजन में सही मात्रा में न्यूट्रिशन की कमी है या नहीं इस बात को भी बताता है।

अब 4 स्लाइड में हंगर इंडेक्स के डेटा से समझिए पड़ोसी देश की तुलना में भारत किस पैमाने पर कहां खड़ा है….

भारत सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को क्यों गलत बताया है?
12 अक्टूबर 2023 को भारत सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग को नकार दिया। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि गलत जानकारी देना ग्लोबल हंगर इंडेक्स का हॉलमार्क बन गया है। मंत्रालय ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर 3 प्रमुख सवाल खड़े किए हैं…

  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स के 4 में से 3 पैमाने बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं। ऐसे में ये डेटा पूरे देश के लोगों में का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।
  • इस रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण इंडिकेटर आबादी में कुपोषितों का अनुपात है। यह ओपिनियन पोल पर आधारित है। सरकार का कहना है कि इतने बड़े देश में ये ओपिनियन पोल महज 3000 नमूनों के आधार पर कर लिया गया है। ऐसे में पूरे भारत के लिए इसे सही नहीं माना जा सकता है।
  • इस इंडेक्स के दो प्रमुख इंडिकेटर्स स्टंटिंग और वेस्टिंग, एक कॉम्प्लेक्स प्रॉसेस से निकाले जाते हैं। जिसमें भुखमरी के अलावा साफ-सफाई, पर्यावरण, जेनेटिक्स और खाने का यूटिलाइजेशन भी शामिल होता है।
  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स का चौथा इंडिकेटर यानी चाइल्ड मोर्टेलिटी की वजह भुखमरी होती है, इसके भी कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।

क्या ग्लोबल हंगर इंडेक्स के डेटा पर भरोसा किया जा सकता है?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के चार इंडिकेटर्स में से तीन इंडिकेटर्स के आंकड़े विश्वसनीय हैं। ये डेटा भारत सरकार के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे से भी कमोबेश मैच करते हैं। जैसे…

  • GHI में उम्र के हिसाब से कम वजन वाले बच्चों यानी चाइल्ड वेस्टिंग का आंकड़ा 18.7% दिया गया है। जबकि भारत सरकार के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक ये आंकड़ा 19.3% है।
  • GHI में उम्र के हिसाब से कम लंबाई वाले बच्चे यानी चाइल्ड स्टंटिंग का आंकड़ा 35.5% है, जबकि सरकार के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक भी ये आंकड़ा 35.5% है।
  • GHI के मुताबिक भारत में चाइल्ड मोर्टेलिटी रेट 3.1% है, जबकि सरकार के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक चाइल्ड मोर्टेलिटी रेट 3.9% है।

चौथे इंडिकेटर यानी कुपोषण के डेटा पर समय-समय पर सवाल जरूर खड़े होते हैं। क्योंकि FIES-SM से लिया गया ये डेटा जमीनी रिसर्च के बजाए आंकड़ों के विश्लेषण से निकाले जाते हैं। अंतिम बार ये विश्लेषण 2020 और 2021 में हुआ है।

पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक, कोई भी मैथडोलॉजी पूरी तरह परफेक्ट नहीं होती है, लेकिन जिस आधार पर हंगर इंडेक्स को तैयार किया गया है, ये बहुत स्टैंडर्ड और वैलिड मैथडोलॉजी है। साथ ही सभी देशों के लिए एक ही मैथडोलॉजी के आधार पर रैंकिंग तैयार की गई है। इसलिए अगर मैथडोलॉजी में कहीं कोई समस्या है, तो वो सभी देशों पर लागू होती है।

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