लहार में त्रिकोणीय होगा मुकाबला ?
लहार विधानसभा में उम्मीद नई, उम्मीदवार पुराने
….पूर्व विधायक रसाल सिंह बसपा की सदस्यता के बाद बने लहार विधानसभा के प्रत्याशी
बीजेपी प्रत्याशी अम्बरीष शर्मा, कांग्रेस के प्रत्याशी और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह, बसपा प्रत्याशी रसाल सिंह फिर एक बार मैदान में।
भिंड की लहार विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अम्बरीष शर्मा को बनाए जाने पर पूर्व विधायक रसाल सिंह ने विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने रविवार को पार्टी से इस्तीफा दिया और सोमवार की दोपहर में बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता अपने समर्थकों के साथ ली। शाम को बहुजन समाज पार्टी द्वारा उन्हें लहार विधानसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया है।
वर्ष 2018 की तर्ज पर लहार विधानसभा में 2023 का चुनाव होने जा रहा है। इस बार क्षेत्र के तीन दिग्गज नेता आमने-सामने है। इस बार रसाल सिंह और अम्बरीष शर्मा की पार्टी बदली है। जबकि कांग्रेस पार्टी का तीस साल पुराने लीडर डॉ गोविंद सिंह, दोनों ही नेताओं के लिए चुनौती बने हैं।
अब पूर्व विधायक रसाल सिंह एक बार फिर से लहार विधानसभा में जनता से वोट मांगने जाएंगे। इस बार वे बसपा के प्रत्याशी हैं। यह उनका लहार विधानसभा में तीसरा चुनाव है। इससे पहले उन्होंने वर्ष 2013 में भारतीय जनता पार्टी का चुनाव लड़ा था। वर्ष 2013 में कांग्रेस के विधायक डॉ गोविंद सिंह, बीजेपी के उम्मीदवार रसाल सिंह और बसपा प्रत्याशी रोमेश महंत आमने-सामने थे। उक्त चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ गोविंद सिंह ने 53 हजार 12 मत प्राप्त किए थे। बीजेपी प्रत्याशी रसाल सिंह 46 हजार 7 सौ 39 वोटों पर रहे थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी रोमेश महंत ने 35 हजार से अधिक मत हासिल किए थे।
नेताजी की नाराजगी पर वोटर ने साधी चुप्पी
पिछले दो चुनाव में बीजेपी से प्रत्याशी रहे रसाल सिंह, कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. गोविंद सिंह के सामने हार चुके है। 2018 का चुनाव रसाल सिंह ने हार का कारण है अम्बरीष शर्मा को ठहराया था। इसलिए इस बार वे बसपा के बैनर तले मैदान में आए हैं। बीजेपी के दो बढ़े नेताओं की नाराजगी से सीधे तौर पर बीजेपी के कार्यकर्ता प्रभावित हो रहे है। बीजेपी के क्षेत्रीय लीडर को -आमने सामने देख अब क्षेत्र के मतदाताओं ने चुप्पी साध रखी है। आपसी सहमति न बनने पर सीधे फायदा कांग्रेस को होता आ रहा है। इस बार क्षेत्र का मतदाता पहले से सजग दिख रहा है। बतादें, वर्ष 2018 में बीजेपी प्रत्याशी रसाल सिंह को 53 हजार अधिक मत लेकर पिछले चुनाव से ज्यादा बढ़त बनाई थी। इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी अम्बरीष शर्मा को 31 हजार से ज्यादा मत मिले थे।
अब बीजेपी का कार्यकर्ता बीजेपी के पूर्व विधायक मथुरा प्रसाद महंत व उनके बेटे रोमेश महंत की ओर टकटकी निगाह से देख रहा है। अभी तक पिता-पुत्र ने अपना रूख साफ नहीं किया है। वे बीजेपी के चुनाव कार्यालय शुभारंभ पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आगमन पर कार्यक्रम से दूर रहे हैं।
पुराने चेहरे फिर मैदान में
- -इस चुनाव में फिर से वर्ष 2018 की भांति पुराने चेहरे मैदान में। सन् 1990 से क्षेत्र की जनता का विश्वास जीतने में डॉ गोविंद सिंह सफल रह रहे है। इस बार फिर से वे क्षेत्र में किए जाने विकास की दम पर जनता से कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे है। इस बार उनके पर नेता प्रतिपक्ष का पद है। लहार विधानसभा में उम्मीदवारी के साथ प्रदेश की कई सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सभाओं में भाग लेंगे।
- – पूर्व विधायक रसाल सिंह का लहार क्षेत्र में तीसरा चुना है। वे लगातार पंद्रह साल से क्षेत्र में सक्रिय राजनीति कर रहे है। इससे पहले वे चार बार रौन विधानसभा (जोकि परमीशन में लहार विधानसभा और मेहगांव विधानसभा में बिलय हो गई।) विधायक रहे हैं। रसाल सिंह पूर्व में दो चुनाव लहार क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले लड़ चुके है। इस बार वे बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं।
- – बीजेपी प्रत्याशी अम्बरीष शर्मा का तीसरा चुनाव है। पहला चुनाव में वर्ष 2003 में बीजेपी के उम्मीदवार बनकर लड़ा था। उक्त चुनाव में कांग्रेस के डॉ गोविंद सिंह और बीएसपी के प्रत्याशी रमाशंकर सिंह के बीच टक्कर हुई थी। उक्त चुनाव में पूर्व विधायक मथुरा प्रसाद महंत ने रमाशंकर सिंह का सपोर्ट किया था। इस चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे थे। दूसरा चुनाव अम्बरीष शर्मा ने 2018 में बीएसपी के बैनर तले लड़ा था। इस चुनाव में उन्होंने बढ़त बनाई और 31 हजार से अधिक वोट प्राप्त किए। हालांकि तीसरे नंबर पर रहे थे। यह तीसरा चुनाव है। इस बार उन पर बीजेपी ने भरोसा जताया है।
रसाल सिंह ने निजी कारणों से पार्टी छोड़ी
- पूरे मामले पर बीजेपी जिलाध्यक्ष देवेंद्र नरवरिया का कहना है कि लहार में बीजेपी का कार्यकर्ता बहुत मजबूत है। रसाल सिंह निजी कारणों से दूर हुए है। पूर्व विधायक मथुरा प्रसाद महंत और राेमेश महंत से चर्चा हुई है। टिकट न होने पर मन दु:खी हर किसी का होता है। वे बीजेपी के कर्मठ कार्यकर्ता है। वे बीजेपी के लिए काम करेंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया है।
- कांग्रेस जिलाध्यक्ष मानसिंह कुशवाह का कहना हैकि इस चुनाव में बहुत मजबूत है। भिंड जिले की पांचों विधानसभा में कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीतेंगे। कांग्रेस का निष्ठावान कार्यकर्ताओं उसकी मेहनत की दम पर जिले में हमारे सभी प्रत्याशी मजबूत है।
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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है,जहां पार्टियां अपने-अपने दमदार प्रत्याशी उतार कर हर हाल में जीत दर्ज करना चाह रहीं है। भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट पर पूर्व विधायक रसाल सिंह के अचानक हाथी पर सवार होकर आ जाने से चुनाव अब दो पर दो न होकर त्रिकोणीय हो गया है।
बता दें कि लहार से भारतीय जनता पार्टी ने सात बार के अजेय विधायक डॉ. गोविंद सिंह के तिलिस्म को तोड़ने के लिये उनके विरोध मेें अम्बरीश शर्मा (गुड्डू) को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था, मगर लहार से ही टिकट की दावेदारी कर रहे पूर्व विधायक रसाल सिंह ने टिकट न मिलने से नाराज होकर एक दिन पूर्व पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
साथ ही गत दिवस लहार में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ले ली थी और बीती देर रात बहुजन समाज पार्टी की ओर से घोषित की गई पांच लोगों की सूची में उनको अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।
लहार में लगातार पांचवी बार तीनों दल मैदान में
लहार विधानसभा से लगातार पांचवी बार तीनों दल मैदान में होंगे, जहां कांग्रेस प्रत्याशी का चेहरा आज तक नहीं बदला गया|बात करें तो 2003 के चुनाव में कांग्रेस से जहां डॉ.गोविन्द सिंह थे तो दूसरे नंबर पर रहे बसपा के रमाशंकर सिंह ने उनको कड़ी टक्कर दी थी और भाजपा के अम्बरीश शर्मा (गुड्डू) तीसरे नंबर पर रहे थे।
इसके बाद 2008 के चुनाव में डॉ. गोविंद सिंह के सामने भाजपा ने मुन्नी देवी त्रिपाठी को मैदान में उतारा जो 3 हजार वोट तक नहीं ले पायीं और इस बार गोविन्द सिंह को कड़ी टक्कर बसपा के रोमेश महंत से मिली और इसके बाद 2013 व 2018 के चुनाव में भाजपा ने रसाल सिंह को प्रत्याशी बनाया जिन्होंने दोनों ही बार गोविन्द सिंह को कड़ी टक्कर दी।
मगर 2013 में रोमेश महंत ने और 2018 में अम्बरीश शर्मा ने हाथी पर सवार होकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और 30 हजार से ज्यादा वोट हासिल किये,अब भाजपा ने अम्बरीश को प्रत्याशी बनाया है तो रसाल हाथी पर सवार हैं और सामने वही पुराना चेहरा डॉ.गोविन्द सिंह है|