गुरुग्राम। अंसल बिल्डर पर 3.40 करोड़ का जुर्माना लगाने की संस्तुति ?
अंसल बिल्डर पर 3.40 करोड़ का जुर्माना लगाने की संस्तुति …
एचएसपीसीबी, सीपीसीबी और स्थानीय प्रशासन की रिपोर्ट के बाद की कार्रवाई
गुरुग्राम। पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर अंसल बिल्डर पर 3.40 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोकने की संस्तुति राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) से की गई है। प्राधिकरण के आदेश पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने स्थानीय प्रशासन के साथ संयुक्त निरीक्षण किया था। इस संयुक्त टीम ने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट प्राधिकरण को सौंपी थी। इस मामले में सुनवाई के लिए एनजीटी ने अब 8 दिसंबर की तारीख नियत की है।
बिल्डर ने गुरुग्राम के सेक्टर-67 स्थित दो टाउनशिप में निर्धारित क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं लगवाया। साथ ही बिना उपचारित किए ही सीवर के पानी को आसपास फेंक रहा है। इसके खिलाफ एनजीटी में सोसाइटी की रेजीडेंट वेलफेयर सोसाइटी ने ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। अंसल एसेंसिया की रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) की लीगल कमेटी की ओर से एनजीटी में 31 मार्च 2023 को याचिका प्रस्तुत की गई थी।
इसमें कहा गया था कि सेक्टर-67 स्थित अंसल एसेंसिया और अंसल वर्सिला सोसाइटी में तीन हजार से अधिक लोग रहते हैं। 2013 में यहां कब्जा देना शुरू किया गया था। यह दोनों सोसाइटियां 242 एकड़ क्षेत्र में हैं। बिल्डर को यहां पर 45 केएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना था। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में भी बिल्डर ने यही आश्वासन दिया था। इसके बाद भी कम क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट बनाया है। वह भी ठीक से काम नहीं कर रहा है। आरडब्ल्यूए के प्रधान धर्मेंद्र तंवर कहते हैं कि बिल्डर द्वारा सोसाइटी के सीवर के पानी आसपास खाली पड़े प्लाॅट, साइट, खाली जमीनों में बिना उपचारित किए ही डाला जा रहा है। यहां पर अस्पताल, स्कूल और सोसाइटियों के लिए खाली पड़ी जमीनें भी हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।
ब्याज मुक्त रखरखाव के पैसे का भी पता नहीं
आरडब्ल्यूए के प्रधान धर्मेंद्र तंवर के अनुसारए यह नियम है कि सोसाइटी का एक खाता होगा। इसमें सिक्योरिटी बतौर बिल्डर धनराशि रखेगा जो रखरखाव में काम आएगी। ब्याज मुक्त रखरखाव के मद में 15 करोड़ रुपये खाते में थे। इस पैसे से तब तक रखरखाव होना था, जब तक बिल्डर टाउनशिप को आरडब्ल्यूए या सरकार को नहीं सौंप देता है। इस पैसे का अब कुछ पता नहीं है। यह मामला आयुक्त कार्यालय में विचाराधीन चल रहा है।
40 करोड़ तक बैठ सकती थी जुर्माने की रकम
धर्मेंद्र तंवर कहते हैं कि जुर्माने का आकलन करने वाली समिति ने यह आकलन 2020 से अब तक का किया है। अगर 2013 से पर्यावरण को पहुंच रही क्षति का आकलन किया जाए तो जुर्माने की रकम 40 करोड़ तक बैठ सकती है। इसके साथ ही बिल्डर ने सिंचाई विभाग की जमीन में भी प्लाॅट काट दिए हैं। इसके लिए भी उच्च न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन है।