मप्र की 35 सीटें ऐसी…जहां जनता विधायक या पार्टी को दोबारा मौका नहीं देती
20 साल का ट्रेंड:मप्र की 35 सीटें ऐसी…जहां जनता विधायक या पार्टी को दोबारा मौका नहीं देती …
इनमें सबसे ज्यादा 12 सीटें ग्वालियर-चंबल की
मप्र में विधानसभा की लगभग 35 सीटें ऐसी हैं, जहां की जनता मौजूदा विधायक को लगातार दोबारा मौका नहीं देती है। इन सीटों पर पिछले 20 सालों से यह ट्रेंड बरकरार है। 1998 के बाद से हर चुनाव में जनता बारी-बारी से कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस को मौका देती हैं। कई कभार किसी तीसरे को भी मौके दिया है। इनमें कई दिग्गज भी शामिल हैं, जो पांच साल के अंतराल पर एक चुनाव जीतते और एक हारते आ रहे हैं।
इनमें मौजूदा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के टिकट वाली मुरैना की दिमनी, जल संसाधन मंत्री मंत्री तुलसी सिलावट की सांवेर, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया, विंध्य प्रदेश की मांग करने वाले चर्चित विधायक नारायण त्रिपाठी की मैहर, खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह की सीट अनूपपुर, कांग्रेस के पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया की जबलपुर पश्चिम सीट भी शामिल हैं। इस तरह की सर्वाधिक 12 सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की है। भिंड और मुरैना की ज्यादातर सीटों पर यही ट्रेंड बना हुआ है। कई सीटों पर तो उपचुनाव में भी यह ट्रेंड बरकरार रहा है।
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इन 24 सीटों पर भी यही हालात हैं
श्योपुर, सबलगढ़, जौरा, मुरैना, सेवढ़ा, करैरा, कोलारस, बंडा, पृथ्वीपुर, उदयपुरा, देपालपुर, गुढ़, पृथ्वीपुर, नेपानगर, महेश्वर, जोबट, थांदला, गरोठ, घटिया, तराना, नागदा-खाचरौद, बड़वारा, बदनावर, धरमपुरी।
विंध्य की 5 और मालवा-निमाड़ की ऐसी 10 सीटें हैं
विंध्य की 5, बुंदलेखंड की 2, भोपाल संभाग की उदयपुरा, महाकौशल 5 और मालवा-निमाड़ की करीब 10 सीटें ऐसी हैं, जहां जनता दाेबारा मौका नहीं देती है।
उपचुनाव में भी यही ट्रेंड
इन 35 सीटों में से 9 सीटें ऐसी हैं, जहां 2020 में उपचुनाव हुए थे। उपचुनाव में भी 6 सीटों इनमें से जौरा, दिमनी, मुरैना सुमावली, करैरा और पृथ्वीपुर में यही ट्रेंड बरकरार रहा। मौजूदा विधायक व पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। सिर्फ तीन सीटों पर ही मौजूदा विधायक रिपीट हुए, लेकिन उनकी पार्टियां बदल गई थीं। इनमें मेहगांव, अनूपपुर, सांवेर शामिल थीं।