अटेर मेहगांव व ग्वालियर से ज्यादा निर्दलीय आजमाते हैं किस्मत !
अटेर, मेहगांव व ग्वालियर से ज्यादा निर्दलीय आजमाते हैं किस्मत
जमानत भाजपा कांग्रेस के उम्मीदवार ही बचा पाते हैं, समीकरणों पर बीएसपी के उम्मीदवार
इन विधानसभा में सबसे ज्यादा रहते हैं उम्मीदवार
विधानसभा उम्मीदवार निर्दलीय
मेहगांव 35 23
अटेर 34 27
लहार 23 17
विजयपुर 16 10
पोहरी 21 9
ग्वालियर 22 8
पिछोर 15 9
(यह आंकड़ा 2018 के विधानसभा चुनाव का है।)
इस तरह से मैदान में आते हैं निर्दलीय
● भाजपा व कांग्रेस के जो उम्मीदवार मैदान में होते हैं, उस समाज से सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार आते हैं। साथ ही बहुतायत वाले समाज को किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। उस समाज के निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाते हैं।
● नामांकन फॉर्म खींचने के समय काफी फॉर्म भी खिंचते हैं।
2018 में दतिया विधानसभा में उम्मीदवारों की संख्या 10 रही। अंचल में सबसे कम उम्मीदवार इसी विधानसभा में थे। एक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में था। आरक्षित सीटों पर निर्दलीय व उम्मीदवारों की संख्या कम रहती है।
● दूसरे राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों से भी बड़ी संख्या में उम्मीदवार मैदान में रहते हैं। समाजवादी पार्टी, शिवसेना, आजाद भारत पार्टी, प्रगतिशील मानव समाज पार्टी, राष्ट्रीय रक्षा मोर्चा आदि पार्टियां मैदान में रहती हैं। क्षेत्रीय पार्टियों के उम्मीदवार 500 ही वोट में सिमट गए। इस बार 2023 के चुनाव में आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। आप ने भी उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा लंबे अरसे से अंचल में अपना दम दिखा रही है।
● 2018 के चुनाव में सपाक्स ने भी उम्मीदवार उतारे थे। सपाक्स के उम्मीदवारों को डाक मतपत्र में काफी वोट मिले थे। इस बार सपाक्स मैदान में नहीं।
ग्वालियर. विधानसभा चुनाव 2023 के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए उम्मीदवारों को पांच दिन और मिलेंगे। 30 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है। राष्ट्रीय पार्टी व क्षेत्रीय पार्टियों सहित निर्दलीय नामांकन दाखिल करेंगे, लेकिन अंचल की सात विधानसभा ऐसी हैं, जिसमें सबसे ज्यादा उम्मीदवार व निर्दलीय अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन ये निर्दलीय अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते हैं और 1000 वोट के भीतर ही सिमट जाते हैं। मेहगांव, अटेर, लहार, विजयपुर, पोहरी, पिछोर व ग्वालियर सीट शामिल है। 2018 के चुनाव में इन तीन विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवारों की भरमार थी। हालांकि निर्दलीयों को मिलने वाला वोट कम अंतर से हार-जीत होने वाली विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालते हैं। 2023 में भी इन विधानसभा में निर्दलीय मैदान में आ सकते हैं।
1000 वोट
के भीतर ही सिमट जाते हैं निर्दलीय
विधानसभा उम्मीदवार निर्दलीय
मेहगांव 35 23
अटेर 34 27
लहार 23 17
विजयपुर 16 10
पोहरी 21 9
ग्वालियर 22 8
पिछोर 15 9
(यह आंकड़ा 2018 के विधानसभा चुनाव का है।)
इस तरह से मैदान में आते हैं निर्दलीय
● भाजपा व कांग्रेस के जो उम्मीदवार मैदान में होते हैं, उस समाज से सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार आते हैं। साथ ही बहुतायत वाले समाज को किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। उस समाज के निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाते हैं।
● नामांकन फॉर्म खींचने के समय काफी फॉर्म भी खिंचते हैं।
2018 में दतिया विधानसभा में उम्मीदवारों की संख्या 10 रही। अंचल में सबसे कम उम्मीदवार इसी विधानसभा में थे। एक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में था। आरक्षित सीटों पर निर्दलीय व उम्मीदवारों की संख्या कम रहती है।
● दूसरे राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों से भी बड़ी संख्या में उम्मीदवार मैदान में रहते हैं। समाजवादी पार्टी, शिवसेना, आजाद भारत पार्टी, प्रगतिशील मानव समाज पार्टी, राष्ट्रीय रक्षा मोर्चा आदि पार्टियां मैदान में रहती हैं। क्षेत्रीय पार्टियों के उम्मीदवार 500 ही वोट में सिमट गए। इस बार 2023 के चुनाव में आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। आप ने भी उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा लंबे अरसे से अंचल में अपना दम दिखा रही है।
● 2018 के चुनाव में सपाक्स ने भी उम्मीदवार उतारे थे। सपाक्स के उम्मीदवारों को डाक मतपत्र में काफी वोट मिले थे। इस बार सपाक्स मैदान में नहीं।
ग्वालियर. विधानसभा चुनाव 2023 के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए उम्मीदवारों को पांच दिन और मिलेंगे। 30 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है। राष्ट्रीय पार्टी व क्षेत्रीय पार्टियों सहित निर्दलीय नामांकन दाखिल करेंगे, लेकिन अंचल की सात विधानसभा ऐसी हैं, जिसमें सबसे ज्यादा उम्मीदवार व निर्दलीय अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन ये निर्दलीय अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते हैं और 1000 वोट के भीतर ही सिमट जाते हैं। मेहगांव, अटेर, लहार, विजयपुर, पोहरी, पिछोर व ग्वालियर सीट शामिल है। 2018 के चुनाव में इन तीन विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवारों की भरमार थी। हालांकि निर्दलीयों को मिलने वाला वोट कम अंतर से हार-जीत होने वाली विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालते हैं। 2023 में भी इन विधानसभा में निर्दलीय मैदान में आ सकते हैं।
1000 वोट
के भीतर ही सिमट जाते हैं निर्दलीय
मेहगांव 35 23
अटेर 34 27
लहार 23 17
विजयपुर 16 10
पोहरी 21 9
ग्वालियर 22 8
पिछोर 15 9
(यह आंकड़ा 2018 के विधानसभा चुनाव का है।)
इस तरह से मैदान में आते हैं निर्दलीय
● भाजपा व कांग्रेस के जो उम्मीदवार मैदान में होते हैं, उस समाज से सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार आते हैं। साथ ही बहुतायत वाले समाज को किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। उस समाज के निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाते हैं।
● नामांकन फॉर्म खींचने के समय काफी फॉर्म भी खिंचते हैं।
2018 में दतिया विधानसभा में उम्मीदवारों की संख्या 10 रही। अंचल में सबसे कम उम्मीदवार इसी विधानसभा में थे। एक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में था। आरक्षित सीटों पर निर्दलीय व उम्मीदवारों की संख्या कम रहती है।
● दूसरे राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों से भी बड़ी संख्या में उम्मीदवार मैदान में रहते हैं। समाजवादी पार्टी, शिवसेना, आजाद भारत पार्टी, प्रगतिशील मानव समाज पार्टी, राष्ट्रीय रक्षा मोर्चा आदि पार्टियां मैदान में रहती हैं। क्षेत्रीय पार्टियों के उम्मीदवार 500 ही वोट में सिमट गए। इस बार 2023 के चुनाव में आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। आप ने भी उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा लंबे अरसे से अंचल में अपना दम दिखा रही है।
● 2018 के चुनाव में सपाक्स ने भी उम्मीदवार उतारे थे। सपाक्स के उम्मीदवारों को डाक मतपत्र में काफी वोट मिले थे। इस बार सपाक्स मैदान में नहीं।
ग्वालियर. विधानसभा चुनाव 2023 के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए उम्मीदवारों को पांच दिन और मिलेंगे। 30 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है। राष्ट्रीय पार्टी व क्षेत्रीय पार्टियों सहित निर्दलीय नामांकन दाखिल करेंगे, लेकिन अंचल की सात विधानसभा ऐसी हैं, जिसमें सबसे ज्यादा उम्मीदवार व निर्दलीय अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन ये निर्दलीय अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते हैं और 1000 वोट के भीतर ही सिमट जाते हैं। मेहगांव, अटेर, लहार, विजयपुर, पोहरी, पिछोर व ग्वालियर सीट शामिल है। 2018 के चुनाव में इन तीन विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवारों की भरमार थी। हालांकि निर्दलीयों को मिलने वाला वोट कम अंतर से हार-जीत होने वाली विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालते हैं। 2023 में भी इन विधानसभा में निर्दलीय मैदान में आ सकते हैं।
1000 वोट
के भीतर ही सिमट जाते हैं निर्दलीय
अटेर, मेहगांव व ग्वालियर से ज्यादा निर्दलीय आजमाते हैं किस्मत