इंदौर में अपर कलेक्टर रहे बेड़ेकर व तहसीलदार, टीआई FIR दर्ज !

इंदौर में अपर कलेक्टर रहे बेड़ेकर पर FIR
आलीराजपुर में गलत तरीके से की थी एफआईआर, तहसीलदार, टीआई पर भी केस

लोकायुक्त एनके गुप्ता के समक्ष शिकायत की गई थी कि अधिकारियों ने बगैर तथ्यों की जांच किए सीधे एफआईआर दर्ज कर ली। लोकायुक्त ने संज्ञान लेने के बाद अफसरों को नोटिस भी जारी किए थे। अधिकारियों को सुनवाई के दौरान कहा भी था कि प्रकरण को वापस लिया जाए। लोकायुक्त ने प्रारंभिक जांच के बाद अफसरों के खिलाफ पद के दुरुपयोग का केस दर्ज किया है।

त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था के सदस्य द्वारा शिकायत की गई थी कि सहकारिता एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से संस्था विरुद्ध थाना खजराना में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया गया है। संस्था की ग्राम खजराना में 15 एकड़ आवासीय उपयोग की जमीन को न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था द्वारा पूर्व में ही खरीदा जा चुका था।

प्रकरण दर्ज करवाने के पहले सहकारी निरीक्षक जैन (जो कि खुद ही न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था के प्रशासक थे) ने खुद ही झूठी रिपोर्ट तैयार कर ली। तत्कालीन नायब तहसीलदार और तत्कालीन अपर कलेक्टर के निर्देश पर थाने में प्रकरण दर्ज करवा दिया, जबकि उक्त जमीन को त्रिशला गृह निर्माण संस्था द्वारा रजिस्टर्ड विक्रय पत्र से खरीदकर तहसीलदार से नामांतरण भी कराया गया था।

केस दर्ज करने संबंधी आवेदन 2017 में खारिज भी हो चुका था

उक्त जमीन की खरीदी के विरुद्ध केस दर्ज करने सबंधी आवेदन को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी द्वारा वर्ष 2017 में भी खारिज कर दिया था। वर्ष 1998 में जिस गैर रजिस्टर्ड व बिना स्टाम्प ड्यूटी के इकरारनामा के आधार पर, न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था द्वारा जमीन खरीदी का दावा बताया गया, वह इकरारनामा वैध नहीं था। इस प्रकार का विवाद सिविल प्रकृति का होकर सिविल कोर्ट में चलने योग्य था न कि अपराध दर्ज करने योग्य। लोकायुक्त ने जांच में यह तथ्य भी गलत पाया कि जमीन शासकीय है। यह भी गलत पाया कि पूर्व में उक्त जमीन सीलिंग में आई थी और सीलिंग से मुक्त हुई थी।

डीसीपी के लिए लगी है अर्जी

इस मामले में डीसीपी अभिषेक आनंद की भी शिकायत की गई थी। पुलिस द्वारा जेएमएफसी सतीश वसुनिया की कोर्ट के समक्ष अर्जी दायर की गई है। इसमें कहा गया कि इस मामले में आनंद की कोई भूमिका नहीं है। न्यायालय द्वारा इस अर्जी पर सुनवाई की जाना बाकी है।

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