महिला आरक्षण बिल पास करने वाली बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में कितनी महिलाओं को बनाया उम्मीदवार
महिला आरक्षण बिल पास करने वाली बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में कितनी महिलाओं को बनाया उम्मीदवार
चार राज्यों में मतदान की तारीख बेहद करीब है तो वहीं मिजोरम में मतदान हो चुका है. इस बीच महिला आरक्षण पर बात करने वाली दोनों पार्टियों ने महिलाओं पर कितना दांव लगाया है.
पांच राज्यों की विधानसभा सीटों में महिला उम्मीदवारों की कितना भागिदारी …
पूरे देश में चुनाव की सरगर्मी तेज हो चुकी है. मिजोरम में वोटिंग हो चुकी है तो वहीं छत्तीसगढ़ में भी एक चरण के वोट डाले जा चुके हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण और मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना में अभी मतदान बाकी है.
पिछले महीने ही महिला आरक्षण बिल यानी नारी वंदन अधिनियम के पास होने के बाद ये पहली बार है जब देश में चुनाव हो रहे हैं. इस अधिनियम को बीजेपी ने इन विधानसभा चुनावों में भुनाने की खूब कोशिशें की, लेकिन इस बार चुनाव में महिलाओं को टिकट देने में पार्टी किस स्थान पर है और 2018 के मुकाबले क्या बैठ रहे हैं इस बार के समीकरण इस रिपोर्ट में जानते हैं.
किन राज्यों में सीधी भिड़ंत
तीन राज्यों यानी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी भिड़ंत देखने को मिल रही है. लेकिन तेलंगाना में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा बीआरएस भी चुनावी रेस में शामिल है.
इसके अलावा मिजोरम में ये पहली बार है जब चुनावी लड़ाई दो क्षेत्रीय पार्टियों जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेपीएम) मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के बीच है. अगर सीटों पर नजर दौड़ाएं तो मध्यप्रदेश में 230, राजस्थान में 200, तेलंगाना में 119, छत्तीसगढ़ में 90 और मिजोरम में 40 सीटों पर चुनाव होने हैं. ऐसे में कैंडिडेट्स को देखकर लगता है कि बीजेपी ने टिकट वितरण में नारी वंदन विधेयक को ध्यान में नहीं रखा है.
राजस्थान में कितनी महिला कैंडिडेट्स?
200 सीटों वाले राजस्थान में जहां कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रही है वहीं सीएम फेस उजागर न करके बीजेपी फिर नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मिलने की उम्मीद लगाए बैठी है.
वहीं कैंडिडेट्स पर नजर डालें तो यहां कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 28, बीजेपी ने 20 और आप ने 19 महिलाओं को टिकट दिया है. हालांकि राज्य में नारी वंदन विधेयक कोई बड़ा मुद्दा नहीं माना जा रहा है, लेकिन कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी पेपर लीक, कानून व्यवस्था, ध्रुवीकरण और भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाकर पेश कर रही है.
हालांकि कांग्रेस एंटी इनकंबेंसी जैसे मुद्दों से निपटने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस, शहरी रोजगार गांरटी, सरकारी कर्मचारियों के लिए वृद्धा पेंशन स्कीम की शुरुआत करने जैसी कई योजनाओं का ऐलान कर चुकी है.
2018 की तुलना में कम महिला कैंडिडेट्स को चुनावी रण में उतारने वाली बीजेपी के पास राज्य में 5 बार सांसद और 2 बार सीएम रह चुकीं वसुंधरा राजे एक महिला चेहरा थीं लेकिन पार्टी न केवल उनसे दूरी बनाए हुए है बल्कि उनके करीबियों की टिकट को भी काट लिया गया है.
हालांकि राजनीतिक एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि दोनों पार्टियों को महिलाओं का महत्व तो पता है और उन्हें आकर्षित करने के लिए कई योजनाएं भी लाई जा रही हैं लेकिन जब टिकट देने की बात आती है तो दोनों महिलाओं को बराबरी का औधा नहीं दे पा रही हैं.
क्या कहता है मध्यप्रदेश का टिकट गणित
230 सीटों के साथ इस विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश सबसे बड़ा राज्य है. पिछली बार यानी 2018 में हुए चुनाव में राज्य में कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी, लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को बीजेपी में शामिल करके बीजेपी फिर सत्ता में आ गई. हालांकि अब पार्टी फिर सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है.
फिलहाल राज्य के मौजूदा सीएम शिवराज सिंह चौहान को महिलाओं का महत्व पता है. इसलिए शिवराज सिंह चौहान महिलाओं को केंद्र में रखकर लाडली बहन योजना, लाडली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह जैसी योजनाएं लाकर उन्हें लुभाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जब टिकट वितरण की बात आती है तो पार्टी इसमें कांग्रेस से पीछे नजर आती है.
मध्यप्रदेश में टिकटों पर एक नजर डालें तो बीजेपी ने 230 में से 30 सीटों पर महिला उम्मीदवार, कांग्रेस ने 28 और आप ने 10 सीटों पर महिलाओं को उम्मीदवार बनाकर उतारा है.
राज्य में बीजेपी के पास तो महिलाओं के नाम पर उमा भारती जैसे बड़े चेहरे हैं लेकिन कांग्रेस के पास कोई महिला चेहरा नहीं है.
छत्तीसगढ़ में किस पार्टी ने कितनी महिलाओं को बनाया उम्मीदवार?
मध्यप्रदेश से अलग हुए राज्य छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत वोट बैंक आदिवासियों का है. 90 सीटों वाले इस राज्य में 7 और 17 नवंबर को दो चरणों में चुनाव होना है. 7 नवंबर को राज्य में पहले चरण का मतदान हो चुका है और 17 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होना है.
राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही है. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने 15 साल से छत्तीसगढ़ की मुख्यमंत्री की सीट पर बैठे रमन सिंह को हराकर भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया था.
राज्य में कांग्रेस का दावा है कि उसने महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई हैं. हालांकि जब टिकट वितरण की बात आती है तो राज्य में कांग्रेस की 18 तो बीजेपी की 15 महिला कैंडिडेट्स ही चुनाव लड़ रही हैं.
लेकिन यहां भी महिलाओं को लुभाने के लिए कांग्रेस ने 500 रुपए में गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने, महिला स्व-सहायता समूह का कर्ज माफ करने और 10 लाख रुपए तक का इलाज सरकार द्वारा करवाए जाने जैसी योजनाओं का ऐलान किया है.
तो वहीं जीतने पर बीजेपी ने हर विवाहित महिला को 12,000 रुपए देने के अलावा रानी दुर्गावती योजना लाने का वादा किया है. इस योजना के तहत बीपीएल वर्ग की बच्चियों के जन्म पर 1 लाख रुपए का आश्वासन प्रमाण पत्र दिया जाएगा.
विशेषज्ञों का मानना है राज्य में इस बार चुनाव में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है.
मिजोरम चुनाव में महिलाओं का कितना वर्चस्व?
40 सीटों वाले मिजोरम में फिलहाल मिजो फ्रंट (एमएनएफ) सत्ता में है. वहीं मणिपुर में लंबे समय से जातीय हिंसा जारी है. ऐसे में माना ये जा रहा है कि इस बार के चुनाव में इसका असर देखने को मिलेगा.
राज्य में हजारों की संख्या में कुकी, जोमी और हमार समुदाय के लोगों ने शरण ली हुई है. इसी बीच राज्य में मणिपुर मुद्दे को लेकर बीजेपी और एमनएनएफ के बीच दरार देखने को मिल रही है. इसके अलावा मणिपुर में जातीय हिंसा, बेरोजगारी और ढांचागत विकास की कमी बड़े मुद्दे बनकर उभरे हैं.
साथ ही राज्य के लोगों को ये भी डर बना हुआ है कि मणिपुर में लगातार जारी हिंसा का असर मिजोरम में भी देखने को मिल सकता है. ऐसे में बीजेपी के सख्त कदम न उठाने से पार्टी के खिलाफ लोगों में खासी नाराजगी देखी जा रही है.
वहीं महिलाओं पर नजर डालें तो राज्य में महिलाओं को आगे लाने की मांग हमेशा से उठती रही है, लेकिन राज्य में पितृसत्तामक सोच के कारण वो नहीं हो पा रहा. टिकटों पर नजर डालें तो राज्य में बीजेपी ने 3, जेडपीएम ने 2 और एमएनएफ ने 2 महिलाओं को चुनाव लड़ाया है.
तेलंगाना में महिलाओं को कितना महत्व?
तेलंगाना में बीजेपी और कांग्रेस को राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति से कड़ी टक्कर मिल रही है. वहीं राज्य में टिकट वितरण पर नजर डालें तो राज्य में बीआरएस ने 117 में 8 सीटों, कांग्रेस ने 114 में से 10 और बीजेपी ने 100 में से 14 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारा है.
तेलंगाना मौजूदा पार्टी कई योजनाएं महिलाओं को केंद्र में रखकर चला रही है. जिसमें रायतु बंधु, दलित बंधु, अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए लाई गई कल्याण लक्ष्मी योजना और मिशन भागीरथ जैसी योजनाएं शामिल हैं. वहीं कांग्रेस ने जीतने के बाद 6 ग्यारंटी योजनाएं चलाएगी.
लेकिन फिर भी राज्य में टिकट वितरण में महिलाओं को कितनी बराबरी दी गई ये आंकड़े साफ बताते हैं. अब देखना ये होगा कि लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल कहे जा रहे इस चुनाव में कौनसी पार्टी सत्ता में आ सकती है