लोकसभा चुनाव के साथ यूपी में होगी ट्रिपल फाइट ?

लोकसभा चुनाव के साथ यूपी में होगी ट्रिपल फाइट, समाजवादी पार्टी की होगी बल्ले-बल्ले
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटें खाली होने वाली हैं, इनमें से नौ भाजपा के पास हैं और सपा के खाते में सिर्फ एक दर्ज है. माना जा रहा है कि इस बार भाजपा पूरी मेहनत करके भी 7 सीटों पर ही कब्जा कर पाएगी. ऐसे में सपा के पास बेहतर मौका होगा. दरअसल पिछली बार राज्यसभा चुनाव के दौरान सपा और बसपा का गठबंधन था, लेकिन इस बार सपा अकेले ही मैदान में है.

अगले साल की शुरुआत में देश में आम चुनाव होने हैं. लोकसभा की सबसे अधिक अस्सी सीटें यूपी में हैं. उसी यूपी में अगले साल अप्रैल महीने में राज्यसभा की दस सीटें खाली हो रही हैं. मई के महीने में विधान परिषद की 13 सीटें खाली हो रही हैं. एमपी और एमएलसी बनने के लिए अभी से जोड़ तोड़ शुरू हो गई है. दावेदार अपना-अपना समीकरण बिठाने में जुटे हैं. लोकसभा के समय होने वाले इन चुनावों से सोशल इंजीनियरिंग भी दुरुस्त करने की तैयारी है. बीजेपी का जोर पिछड़ों और दलितों पर रहने की बात कही जा रही है. समाजवादी पार्टी तो पहले से ही PDA के फार्मूले पर है. ज़ाहिर है समाजवादी कैंप में भी पिछड़ों और दलितों के साथ साथ मुस्लिमों को मौका मिल सकता है. दोनों ही पार्टियों के नेता अपनी अपनी गोटी सेट करने में लगे हैं.

विधानसभा चुनाव के बाद बदले हालात

साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हालात बदल गए हैं. विधानसभा में समाजवादी पार्टी संख्या के हिसाब से पहले से मज़बूत है. राज्य सभा का सांसद बनने के लिए 37 वोट चाहिए. यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी के 109 विधायक हैं. उसके सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के 9 विधायक हैं. इस हिसाब से समाजवादी पार्टी के पास कुल 118 विधायक हुए. विधायकों के इस आँकड़े से समाजवादी पार्टी राज्यसभा की तीन सीटें जीत सकती हैं. राज्य सभा का सांसद बनने के लिए समाजवादी पार्टी कैंप में अभी से लॉबिंग शुरू हो गई है.

लोकसभा चुनाव के साथ यूपी में होगी ट्रिपल फाइट, समाजवादी पार्टी की होगी बल्ले-बल्ले

यूपी में राज्‍यसभा चुनाव में इस बार सपा अकेली मैदान में उतरेगी.
बीजेपी के 9 राज्यसभा सदस्यों का टर्म पूरा

अगले साल 2 अप्रैल को यूपी से बीजेपी के 9 राज्यसभा सांसदों का टर्म पूरा हो जाएग. इस लिस्ट में सुधांशु त्रिवेदी, अनिल अग्रवाल. अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, कांता कर्दम, सकलदीप राजभर, जी वी एल नरसिम्हा, विजय पाल तोमर और हरनाथ सिंह यादव के नाम शामिल हैं. यूपी में बीजेपी के 254 विधायक हैं. उसकी सहयोगी पार्टियां अपना दल के 13, निषाद पार्टी के 6 और सुहेलदेव समाज पार्टी के 6 विधायक हैं. इसके अलावा बाहुबली विधायक राजा भैया जैसे नेताओं का समर्थन भी पास है. इस हिसाब से बीजेपी राज्यसभा की सात सीटें जीत सकती है.

मतलब पिछली बार के मुकाबले में उसे दो सीटों का नुक़सान तय है. सूत्रों का दावा है कि सुधांशु त्रिवेदी को छोड़कर बीजेपी किसी को फिर से राज्यसभा भेजने के मूड में नहीं है. कभी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री रहे अनिल जैन अब केंद्रीय नेतृत्व की नजरों से उतर गए हैं. राजभर वोटरों को जोड़ने के लिए सकलदीप राजभर को सांसद बनाया गया था, लेकिन इस काम में वे फेल रहे. बीजेपी कैंप से पता चला है कि इस बार पिछड़े और दलितों पर पार्टी का फोकस रहेगा. दिल्ली के भी एक दो नेता को राज्यसभा चुनाव में एडजस्ट किया जा सकता है.

विधान परिषद में खाली होंगी 13 सीटें

अगले साल मई माह में यूपी में विधान परिषद की 13 सीटें खाली हो जाएंगी. इनमें बीजेपी के दस एमएलसी शामिल हैं. समाजवादी पार्टी, अपना दल और बीएसपी से एक-एक विधान परिषद के सदस्य हैं. विधानपरिषद के एक सीट के लिए 29 विधायकों के वोट चाहिए. इस हिसाब से बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ कम से कम दस सीटें जीत सकती हैं. समाजवादी पार्टी इस हिसाब से तीन सीटें ले सकती है. बीजेपी से मोहसिन रजा, विजय बहादुर पाठक, यशवंत सिंह, विद्या सागर सोनकर, सरोजिनी अग्रवाल, अशोक कटारिया, अशोक धवन, बुक्कल नवाब, महेन्द्र सिंह और निर्मला पासवान का टर्म अगले साल खत्म हो रहा है.

इनमें से दो तीन को छोड़ कर किसी को रिपीट करने की गुंजाइश कम है. एमपी के चुनाव में अमित शाह ने महेन्द्र सिंह के लिए तालियांं बजवाई. तब से उनकी उम्मीदें बढ़ गई हैं. बाकी सब नेता अभी से अपनी सीट पक्की करने के लिए गणेश परिक्रमा में लगे हैं. इस चुनाव के बाद विधान परिषद में बीएसपी जीरो हो जाएगी. क्योंकि उसके पास सिर्फ दो विधायक हैं. अपना दल के आशीष पटेल की अपनी सीट तय मानी जा रही है. ओम प्रकाश राजभर भी अपने लिए एक सीट मांग रहे हैं.

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