विवादों से भी रहा है नए मुख्यमंत्री मोहन यादव का नाता ?

विवादों से भी रहा है नए मुख्यमंत्री मोहन यादव का नाता,मेला क्षेत्र से जमीन मुक्त होने पर उछला था नाम
अपने बयानों के कारण भी चर्चा में रहे है। वर्ष 2020 के उपचुनाव में यादव ने विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि हम भाजपा के लोग है। बुरा करने वालों को जमीन में दफना देते है। 

विधायक दल की बैठक में जब मुख्यमंत्री पद के नाम की घोषणा हुई तो मोहन यादव ने निर्वतमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पैर छुकर आशीर्वाद लिया। शिवराज ने भी उनके कंधे पर हाथ रखकर बधाई दी।

नए मुख्यमंत्री मोहन यादव शिवराज के करीबी माने जाते है, लेकिन जब उज्जैन मास्टर प्लान में सिंहस्थ मेला क्षेत्र से मुक्त की गई 148 एकड़ जमीन का मुद्दा गरमाया था तो शिवराज को जमीन फिर से मेला क्षेत्र में शामिल करने के निर्देश देना पड़े थे। तब यह बात सामने आई थी कि मेला क्षेत्र से जमीन को मुक्त कराने के पीछे उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव की भूमिका है।

पूर्व विधायक पारस जैन ने जमीन मुक्त करने के फैसले को गलत बताया था और विरोध किया था। सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त की गई जमीन के आठ हिस्से मोहन यादव व उनके परिवार के नाम पर शासकीय रिकार्ड में दर्ज है।

इसके अलावा उज्जैन के आसपास के गांव डांडिया, मेंडिया, शक्करवासा , जीवनखेड़ी को कृषि भूमि से आवासीय में बदल दिया गया था। इसे लेकर भी कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। तराना के कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा है कि सिंहस्थ में जमीन के खेल का मुद्दा मैने ही उठाया था, तब यादव की भूमिका भी सामने आई थी।आयोग ने यादव के चुनाव प्रचार पर लगाई थी रोक

मोहन यादव अपने बयानों के कारण भी चर्चा में रहे है। वर्ष 2020 के उपचुनाव में यादव ने विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि हम भाजपा के लोग है। बुरा करने वालों को जमीन में दफना देते है। इसके बाद चुनाव आयोग ने यादव के चुनाव प्रचार पर एक दिन की रोक लगाई थी। एक बार नगरीय निकाय चुनाव में यादव की चुनाव प्रचार के दौरान नोट बांटने की तस्वीर भी चर्चा में रही थी। इसकी शिकायत कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से की थी।

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