इंदौर बावड़ी हादसा..36 मौत पर भी न गिरफ्तारी न चालान !
इंदौर बावड़ी हादसा..36 मौत पर भी न गिरफ्तारी न चालान …
9 महीने पहले बहू खोई; ससुर बोले- धीमे बात करिए, बेटा सुन लेगा …
यह दर्द है इलेक्ट्रिक कारोबारी महेश मोटवानी का। रामनवमीं पर हुए बेलेश्वर मंदिर बावड़ी हादसे में बेटा आकाश (25) बाल-बाल बचा, बहू मनीषा की मौत हुई थी। 30 मार्च 2023 रामनवमीं पर हुआ बेलेश्वर महादेव मंदिर बावड़ी हादसे में 36 जानें चली गईं।
महेश कहते हैं -‘हादसे से तीन महीने पहले ही आकाश-मनीषा की शादी हुई थी। बहू मनीषा की मौत के सदमे ने आकाश को तोड़ दिया, वो अभी ही उबरा है।’ आकाश और मनीषा रामनवमीं पूजन के लिए बहन के डेढ़ साल के बेटे हितांश खानचंदानी के साथ गए थे। मनीषा और बच्चे की जान चली गई थी।
इस घटना को 9 महीने गुजरने वाले हैं, पीड़ितों का इंसाफ का इंतजार लंबा होता जा रहा है, क्योंकि अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पीड़ित परिवारों की ओर लगी याचिका पर हाईकोर्ट ने पिछले महीने पूछा था कि चालान का क्या हुआ? गिरफ्तारी कितनी हुई? मजिस्ट्रियल जांच कहां है? बचाव पक्ष सिर्फ वक्त मांगता रह गया। जनवरी 2024 में अगली तारीख पर इसी मुद्दे पर फिर सुनवाई होगी।
हादसे में फैसला पीड़ितों के पक्ष में आया तो सात साल तक की सजा का प्रावधान है।…..
अब प्रभावित अन्य परिवारों का दर्द..
‘मुझे लगा था कि मोक्ष मिल गया, अब इंसाफ का इंतजार है’
इस बावड़ी में उस दिन बेटी पायल (21) के साथ गिरे 53 वर्षीय लक्ष्मणदास दलवानी कहते हैं कि रामनवमीं का दिन था। हर साल की तरह हमारी कॉलोनी के बेलेश्वर महादेव मंदिर में हवन-पाठ था। अपनी बेटी पायल को साथ मंदिर लाया था। पूर्णाहुति का वक्त करीब आ गया था। पंडितजी ने पुकार लगाई कि सभी भक्तगण पूर्णाहुति के लिए आ जाएं। करीब 50 से ज्यादा लोग वहां खड़े थे, बाद में बढ़ते चले गए। पूर्णाहुति से पहले ही अचानक टंकी फटने जैसा धमाका हुआ। मेरी आंखों के सामने तो अंधेरा ही छा गया। कोई भी नहीं समझ पाया कि सभी लोग 60 फीट गहरी बावड़ी धंसने से अंदर गिर गए हैं। हर कोई चिल्ला रहा था, हाथ-पैर मार रहा था।
लक्ष्मणदास रूआंसे होकर कहते हैं कि लगा जैसे मोक्ष मिल गया। इसी बीच मेरे हाथ में सीढ़ी हाथ लग गई, जिसे पकड़कर खड़ा हो गया। तब सामने बेटी पायल तैरते दिखी। मैं घबरा गया। किसी ने ऊपर से झूला फेंका। वह उसे पकड़कर चढ़ने लगी। मैं तीन घंटे तक उसी सीढ़ी पर लटका रहा। जान बच गई, लेकिन इंसाफ नहीं मिला।
‘भैया और भतीजे को खो दिया, आप भाभी की हालत समझ सकते हैं’
हादसे में अपने बड़े भाई सुरेश (57) और भतीजे लोकेश (28) को खो देने वाले वकील विजय गुलानी को अब भाभी मायादेवी सुरेश (54) की चिंता है। वे इस सदमे से आज भी नहीं उबर सकीं। विजय बताते हैं कि उस दिन तो भाभी को बचा लिया, लेकिन 15 दिन बाद उन्हें यह पता चला कि पति और बेटा नहीं रहा तो हालत बिगड़ गई।
विजय कहते हैं कि पिताजी जब नहीं रहे तो बड़े भैया ही हमारे परिवार के लिए सबकुछ थे। राशन दुकान चलाते थे। कोरोना के वक्त घर-घर जाकर बिना पैसे के राशन बांटते थे। भतीजे लोकेश ने कुछ दिन पहले ही वकालत पढ़कर प्रैक्टिस शुरू की थी। पति और बेटे की याद आने पर आज भी भाभी सहम जाती हैं, अपनों को खोने वाला मेरी बात जरूर समझ जाएगा कि भाभी पर क्या गुजरती है।
आज हालात क्या हैं…
नए मंदिर का निर्माण नहीं हुआ.. फिर कलेक्टर से मिलेगी संघर्ष समिति
नए मंदिर का निर्माण नहीं हो पाया है। घटना के बाद प्रशासन ने आनन-फानन में पुराने मंदिर के साथ बन रहे नए मंदिर को भी जमींदोज कर दिया। विरोध हुआ तो नए मंदिर की घोषणा तत्कालीन सीएम ने कर दी। मंदिर संघर्ष समिति के ललित पारानी का कहना है कि जब पुराने मंदिर को तोड़ा गया, तब से हम सभी रहवासी इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। तत्कालीन विधायक आकाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में भूमिपूजन हुआ, लेकिन चुनाव का समय था, आगे कार्रवाई नहीं हो सकी। हम फिर से कलेक्टर से मिलेंगे।
अदालती कार्रवाई… चार याचिका लगी, तीन पर सुनवाई जारी
हाईकोर्ट में चार याचिका इस घटना से जुड़ी चार याचिकाएं दायर हैं। दो याचिका महेश गर्ग और मनोज द्विवेदी ने एडवोकेट मनीष यादव के माध्यम से लगाई। तीसरी याचिका राजेंद्र सिंह अटल की है, जिसके वकील एडवोकेट चंचल गुप्ता हैं।
चौथी याचिका दिलीप कौशल ने सीनियर एडवोकेट डॉ. मनोहर दलाल के माध्यम से लगाई। चौथी याचिका में रिटायर्ड जज द्वारा जांच की मांग थी, इसे मामले मे जांच कमेटी बैठाने से याचिका को निरस्त कर दिया गया है। अन्य याचिकाओं पर सुनवाई जनवरी 2024 के पहले सप्ताह में संभव है।
आरोप भी.. राजनीतिक हस्तक्षेप से जांच प्रभावित
हादसे में अपने 10 वर्षीय बच्चे सोमेश खत्री को खोने वाले कमल खत्री कहते हैं कि सरकार ने मुआवजा जरूर दिया, लेकिन वो हमारे किसी काम का नहीं है। आज दिनांक तक दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। घटना के वक्त तो प्रशासन मान ही नहीं रहा था कि ये इतनी बड़ी घटना है। बस जो डेड बॉडी दिख रही थीं उनको निकालकर प्रशासन की टीम मौके से हटने लगी थी, लेकिन जब हम सबने विरोध किया और सूची बनाकर दी, तब रेस्क्यू शुरू हुआ। अगले दिन पूरे मंदिर को तोड़कर मलबा बावड़ी में डाल दिया गया। अब न्याय कि क्या उम्मीद करें। सारे सबूत मिटा दिए गए।
मंदिर ट्रस्ट से जुड़े दोनों आरोपियों का बात करने से इनकार
घटना के बाद मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और मुरली सबनानी पर जूनी इंदौर थाने में नामजद केस दर्ज किया गया, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। घटना में शामिल लोगों का कहना है कि बहुत पहले से ही मंदिर का पूरा रखरखाव सेवाराम जी के द्वारा किया जा रहा था। घटना के बाद से ही स्वास्थ्य कारणों से वो बेड रेस्ट पर हैं। किसी से बातचीत नहीं करते।
ट्रस्ट के सचिव और घटना वाले दिन कार्यक्रम का आयोजन कराने वाले मुरली सबनानी से जब दैनिक भास्कर ने बात की तो उन्होंने कहा, जो होना था हो गया, मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता।
और आखिर में.. वे 36 निर्दोष लोग, जिसे इंदौर ने खो दिया…