7वें दिन पीड़िता ने आरोपी पहचाने…गिरफ्तारी में 60 दिन लगे ?
7वें दिन पीड़िता ने आरोपी पहचाने…गिरफ्तारी में 60 दिन लगे …
वारदात में इस्तेमाल पिस्टल नहीं मिली, आरोपी मंत्री की बेटी की शादी में घूमते रहे
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 1 नवंबर की देर रात आईआईटी बीएचयू की छात्रा से गैंगरेप हुआ था। आधी रात को लड़की अपने एक दोस्त के साथ टहल रही थी तभी बाइक सवार तीन युवकों ने बंदूक के दम पर सनसनीखेज दरिंदगी को अंजाम दिया था।
पुलिस खोज में जुटी। 10वें दिन तक आरोपी सामने थे, लेकिन गिरफ्तार नहीं किया। 60 दिन बीत गए। आखिरकार तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूरे मामले पर कई सवाल खड़े हुए। आरोपियों का राजनीतिक रसूख दिखा। पुलिस पर प्रेशर दिखा। कुल मिलाकर पूरा मामला ‘न उगलते बने न निगलते बने’ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा।
मेला देखा, फिर शराब पीकर बीएचयू कैंपस पहुंच गए
1 नवंबर 2023…वाराणसी के चेतगंज में हर साल लगने वाला मेला चल रहा था। नक्कटैया, लक्खा मेला इसका नाम है। अंग्रेजों के क्रूर शासन के खिलाफ 137 साल पहले बाबा फतेह रामजी ने इसकी शुरुआत की थी। इस साल मेले में चंद्रयान की झांकी मुख्य आकर्षण थी। रात 12 बजे जिले के बड़े अधिकारियों ने मेले की शुरुआत की। इसमें सुंदरपुर का कुणाल पांडेय, जिवधीपुर बजरडीहा का अभिषेक चौहान और सक्षम पटेल भी पहुंचा।
मेले में करीब 2 घंटे रहने के बाद ये लोग वहां से निकल आए। तीनों ने शराब पी रखी थी। इन्हें वापस घर जाना था, लेकिन नहीं गए और 6 किलोमीटर दूर बीएचयू पहुंच गए। मेन गेट से यूनिवर्सिटी के अंदर पहुंचे। रात के करीब डेढ़ बज रहे थे। बीएचयू के हैदराबाद गेट से ठीक पहले एक लड़की अपने दोस्त के साथ आती हुई दिखी। हॉस्टल में रहने वाली छात्रा किसी जरूरी काम से बाहर निकली थी। पीछे से आ रही बुलेट की लाइट उन पर पड़ी, तो कुणाल ने बुलेट लड़की के पास जाकर रोकी।
लड़की का मुंह दबाया, न्यूड वीडियो बनाया
कुणाल, सक्षम और अभिषेक बुलेट से उतरे। लड़की के साथ जो उसका दोस्त था उसे वहां से भगा दिया। लड़की का गन पॉइंट पर कोने में ले गए। किस किया। उसके कपड़े उतरवाए। गलत तरह से छूना शुरू किया। इन्हीं तीनों में एक लड़के ने वीडियो बनाया। फोटो क्लिक की। लड़की ने चिल्लाने की कोशिश की, तो जान से मारने की धमकी दी।
करीब 15 मिनट तक तीनों ने उस लड़की को अपने कब्जे में रखा। इसके बाद छोड़ दिया। छूटते ही लड़की भागी। पीछे से वही बुलेट आती देख वह एक प्रोफेसर के आवास में घुस गई। तीनों आरोपी भाग गए। लड़की ने रोते हुए प्रोफेसर को उठाया।
प्रोफेसर को जब घटना की जानकारी मिली, तो वह चौंक गए। लड़की को करीब 20 मिनट तक वहीं बैठाए रखा। स्थिति थोड़ी नॉर्मल हुई, तो वह छोड़ने के लिए गेट तक आए। यहां राहुल राठौर मिले। राहुल पार्लियामेंट सिक्योरिटी कमेटी के सदस्य हैं। उन्होंने पीड़िता को IIT-BHU पेट्रोलिंग गार्ड के पास पहुंचाया। यहां से वह अपने हॉस्टल पहुंची। रात के 3 बज गए थे। लड़की पूरी रात रोती रही।
- ऊपर लिखी बातें हमने उसी पीड़िता के बयान के आधार पर लिखी है। इस मामले में आगे बढ़ने से पहले यह बीएचयू में महिला सुरक्षा से जुड़ा ग्राफिक देखते हैंः
कैंपस में हैवानियत की जानकारी मिलते ही 2500 छात्र इकट्ठा हो गए
पीड़िता को रोता देख साथी लड़कियों ने पूछा। पीड़िता ने जब अपने साथ हुई घटना को बताया, तो सब हैरान हो गए। तुरंत ही बीएचयू के बाहर लंका थाने में शिकायत दर्ज करवाई। SHO को लाइन हाजिर कर दिया गया। मामला कैंपस का था, इसलिए छात्र इकट्ठा हो गए। 10 बजते-बजते राजपूताना हॉस्टल के सामने करीब 2500 छात्र-छात्राएं इकट्ठा हो गए। घटना इतनी गंभीर थी कि सारे छात्रों ने क्लास छोड़ दी। यूनिवर्सिटी प्रशासन जिला प्रशासन के साथ मिलकर युवाओं को समझाने में जुट गया, लेकिन छात्र पीछे हटने को तैयार नहीं हुए।
प्रदर्शन व्यापक हो गया। 3 नवंबर को भी छात्रों ने यूनिवर्सिटी के अंदर और बाहर धरना दिया। छात्र आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग के साथ कैंपस में लाइट, सीसीटीवी, गार्ड की तैनाती और बाउंड्री बनाने की मांग करने लगे। जिला प्रशासन के साथ यूनिवर्सिटी प्रशासन भी परेशान हो गया। दूसरी तरफ तीनों आरोपी व्यापक प्रदर्शन को देखकर डर गए। 2 नवंबर को वह घर से निकले ही नहीं। 3 नवंबर को तीनों ने वाराणसी छोड़ने का प्लान बनाया और रात में सड़क के रास्ते मध्यप्रदेश के रीवा पहुंच गए।
मध्यप्रदेश में चुनाव थे, इन तीनों ने वहां एक प्रत्याशी का चुनाव प्रचार शुरू कर दिया। कुणाल ने 3 नवंबर को स्वतंत्र देव सिंह का फेसबुक पोस्ट शेयर किया। स्वतंत्र देव सतना विधानसभा में गनेश सिंह के समर्थन में रैली को संबोधित कर रहे थे। रीवा से सतना की दूरी करीब 56 किलोमीटर है।
पुलिस ने पूरा शहर खंगालकर आरोपियों को खोज लिया
एक तरफ यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन चल रहा था। दूसरी तरफ आरोपी रीवा में चुनाव प्रचार कर रहे थे। पुलिस के सामने चुनौती थी कि वह जल्द से जल्द आरोपियों तक पहुंचे। इसके लिए पुलिस ने स्पेशल-40 टीम बना रखी थी। इन 40 अफसर-पुलिसकर्मियों ने बीएचयू और आसपास लगे 300 कैमरे खंगाल डाले। उस इलाके में रात में एक्टिवेट मोबाइल नंबर्स को सर्विलांस में लगा दिया। इसमें 200 नंबरों पर शक हुआ इसलिए उनकी CDR निकलवाई गई।
सीसीटीवी में पता चला कि आरोपी घटना को अंजाम देने के बाद हैदराबाद गेट से बाईपास की तरफ भागे थे। उधर के सीसीटीवी देखे गए, तो कुछ समझ नहीं आया क्योंकि लाइट अच्छी नहीं थी। पुलिस ने रात 1 बजे के बाद बीएचयू में घुसने वालों का फुटेज निकालना शुरू किया।
सिगरा के सिटी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की मदद से धुंधली तस्वीर मिली। गाड़ी में नंबर प्लेट नहीं था। इसके बाद पुलिस ने उन इलाकों से सीसीटीवी चेक किए, जिधर से आरोपी आए थे। चेतगंज इलाके के एक सीसीटीवी में तीनों की साफ फुटेज मिल गई।
लड़की ने तीनों को पहचान लिया, पुलिस आरोपी तक पहुंच गई
पीड़िता ने अपनी FIR में बताया था कि एक आरोपी मोटा था, दूसरा पतला और तीसरा मीडियम हाइट का था। पुलिस ने घटना के 7वें दिन यानी 8 नवंबर को आरोपियों का फुटेज पीड़िता को दिखाया। उसने देखते ही कह दिया कि यही वो आरोपी हैं। पुलिस ने इसके बाद आरोपियों को खोजना शुरू कर दिया। तीनों ने अपने फोन बंद नहीं किए थे। न ही सिम बदला था। लड़की का जो वीडियो बनाया था, उसे भी डिलीट नहीं किया था। तीनों के ही फोन में वीडियो थे।
पुलिस को तीनों की लोकेशन रीवा मिली। यहां से स्पेशल-40 के कुछ सिपाही और अधिकारी वहां पहुंचे। सूत्र बताते हैं कि पुलिस तीनों ही आरोपियों से मिली। पूछताछ की। मोबाइल चेक किया। इसके बाद उन्हें छोड़ दिया लेकिन उन पर नजर रखी। 17 नवंबर को मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे। 14 को ही ये सारे आरोपी वापस वाराणसी आ गए।
- यहां रुकते हैं। पहले आरोपियों के राजनीतिक रसूख जानते हैं उसके बाद इस घटना से जुड़े सवालों की पड़ताल करते हैंः
कुणाल के ससुर पार्षद, खुद भी चुनाव लड़ने की तैयारी में था
घटना में इस्तेमाल बुलेट कुणाल पांडेय की थी। उसने बीटेक कर रखा है। 2 साल पहले उसकी शादी हुई थी। ससुर मदन मोहन तिवारी वाराणसी में ही पार्षद हैं। कुणाल भी पार्षद चुनाव की तैयारी कर रहा था। बताते हैं कि कैंट के बीजेपी विधायक सौरभ श्रीवास्तव से उसकी पहचान थी। उन्हीं की सिफारिश पर कुणाल को आईटी सेल का महानगर संयोजक बनाया गया था।
सक्षम पटेल पिछले दिनों बीजेपी महानगर अध्यक्ष दिलीप पटेल का PA हुआ करता था। घटना के समय वह कौड़िया अस्पताल में कंपाउंडर था। उसके घरवाले फल की दुकान चलाते हैं। सक्षम वाराणसी महानगर बीजेपी आईटी सेल में सह-संयोजक पद पर था।
तीसरा आरोपी आनंद उर्फ अभिषेक चौहान इंटर की पढ़ाई कर रहा था। पार्टी के प्रति समर्पण ऐसा था कि वह अक्सर सदस्यता अभियान चलाता था। आनंद के पिता साड़ी छपाई के काम से जुड़े हैं। उसके खिलाफ 29 जून, 2022 को भेलूपुर थाने में छेड़खानी, मारपीट व बलवा का केस दर्ज था। घटना के वक्त आनंद बीजेपी कार्य समिति का सदस्य था।
तीनों आरोपी काशी प्रांत बीजेपी के सिगरा स्थित गुलाब बाग वाले ऑफिस में बैठते थे। जिले में ही लोकल नेताओं के सोशल मीडिया मैनेजर के तौर पर काम भी करते थे। बीएचयू हॉस्पिटल में जांच करने वाली एजेंसी के मालिकों का भी सोशल मीडिया हैंडल करने की बात सामने आ रही। आरोपी इसीलिए अक्सर बीएचयू जाते रहते थे। वहां लड़कियों के साथ छेड़खानी के कई मामलों में शामिल रहे। पुलिस में शिकायत नहीं हुई, इसलिए कोई केस नहीं दर्ज हुआ।
सक्षम ने 25 नवंबर को ट्वीट किया
तीनों आरोपी 14 नवंबर को वाराणसी वापस आ गए। न मोबाइल नंबर बदला और न ही सोशल मीडिया अकाउंट पर कोई बदलाव किया। पार्टी के काम में लग गए। 25 नवंबर को सक्षम पटेल ने दोपहर 1 बजे ट्वीट किया। लिखा कि वाराणसी लोकसभा के कैंट विधानसभा की पेज समिति की बैठक में उपस्थित रहा।
लखनऊ आकर शादी अटेंड की
दिसंबर महीने में यह मामला ठंडा हो गया। तीनों ही आरोपी अपने घरों में सामान्य जीवन जीने लगे। सोशल मीडिया पर एक्टिविटी कम हो गई। 4 दिसंबर को कुणाल और सक्षम लखनऊ पहुंचे। यहां स्वतंत्र देव सिंह की बेटी की शादी में शामिल हुए। मंत्री के साथ फोटो खिंचवाई और सोशल मीडिया पर पोस्ट की। इसके बाद वापस वाराणसी पहुंचे।
गिरफ्तारी से ठीक एक दिन पहले यानी 29 दिसंबर को पार्टी की बैठक में शामिल हुए। कैंट विधानसभा के कुछ कार्यकर्ताओं को पदभार दिया गया। अनुज नाग को संयोजक बनाया गया। उसने कुणाल को धन्यवाद देते हुए फेसबुक पर पोस्ट की। 30 दिसंबर को तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने न प्रेस कॉन्फ्रेंस की, न रिमांड मांगी
30 दिसंबर की रात पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन यानी रविवार को तीनों ही आरोपियों का मेडिकल करवाकर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने मीडिया को सिर्फ इतना बताया कि उसने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। इसलिए यह भी पता नहीं चल पाया कि जांच कैसे की।
पुलिस ऐसे बड़े मामलों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है, घटना और आरोपियों के बारे में सब कुछ बताती है। कैसे पकड़ा, पूछताछ में आरोपियों ने क्या बताया ये सब कुछ भी बताती है लेकिन इस मामले में कुछ भी नहीं बताया। इसलिए कई सवाल खड़े होते हैं। इन 6 सवालों को देखिए।
फिलहाल इस घटना में अभी बहुत सारे सवाल हैं। तमाम सवालों के जवाब तक पुलिस पहुंच भी गई लेकिन अधिकृत तौर पर कोई जानकारी नहीं दी।