एक निलंबन ऐसा भी: न दूसरे पटवारी को चार्ज न अटैचमेंट, अफसर भी मौन

एक निलंबन ऐसा भी: न दूसरे पटवारी को चार्ज न अटैचमेंट, अफसर भी मौन
Gwalior Administration News: खुद जिले के कलेक्टर ने जिस पटवारी को निलंबित किया है, उसी पटवारी के हल्के न दूसरे पटवारी को दिए गए न ही निलंबित पटवारी का अटैचमेंट हो सका। यह अजब-गजब मामला सिटी सेंटर तहसील का है
  1. ग्वालियर में महलगांव और डोंगरपुर हल्का देखने वाले पटवारी को कलेक्टर ने पिछले माह किया था निलंबित
  2. निलंबन के बाद न अटैचमेंट हुआ न हल्के दूसरे पटवारी को दिए गए

 ग्वालियर। खुद जिले के कलेक्टर ने जिस पटवारी को निलंबित किया है, उसी पटवारी के हल्के न दूसरे पटवारी को दिए गए न ही निलंबित पटवारी का अटैचमेंट हो सका। यह अजब-गजब मामला सिटी सेंटर तहसील का है, जिसको लेकर अफसरों के पास कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं है। सिटी सेंटर तहसील के पटवारी धर्मेंद्र शर्मा को पिछले माह कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने इसलिए निलंबित किया था क्योंकि पटवारी ने पहली रजिस्ट्री के साथ संपत्ति पर काबिज आवेदक का नामांतरण नहीं किया, बल्कि दूसरी रजिस्ट्री वाले व्यक्ति का नामांतरण कर दिया। यह मामला खुला तो हंगामा मच गया और कलेक्टर की ओर से पटवारी के निलंबन की जानकारी साझा की गई। इस मामले की प्रेस विज्ञप्ति तक जारी कर दी गई, लेकिन निलंबन आदेश किसी अधिकारी को देखने तक नहीं मिला। बताया जा रहा है कि राजनीतिक दवाब में यह पूरा मामला चल रहा है।

यहां बता दें कि झांसी रोड राजस्व अनुभाग में आने वाली सिटी सेंटर तहसील में महलगांव और डोंगरपुर हल्के हैं, जो आधिकारिक रूप से महलगांव हल्का पटवारी अजय राणा को आवंटित हैं और डोंगरपुर हल्का पटवारी धर्मेंद्र शर्मा के पास था। पहले यह मामला उठा था कि यह हल्के दो जरूर हैं, लेकिन दोनों का काम पटवारी धर्मेंद्र शर्मा ही देखते हैं, इसके बाद महलगांव का काम अजय राणा को करने के निर्देश दिए गए। यह निर्देश तो जारी कर दिए गए, लेकिन असल में ऐसा हुआ नहीं। पटवारी धर्मेंद्र शर्मा ही दोनों हल्कों का काम देखते रहे। अब यह नया मामला पिछले माह आया कि नामांतरण के मामले में पटवारी धर्मेंद्र शर्मा ने गड़बड़ कर दी और निलंबन करने के आदेश कलेक्टर की ओर से दिए गए। अटैचमेंट मुरार तहसील किया गया, लेकिन वहां पटवारी नहीं पहुंचे।
पर्दे के पीछे की कहानी: इतना गजब, सब चुप

पटवारी धर्मेंद्र शर्मा के निलंबन को लेकर इतनी चुप्पी प्रशासन ने क्यों साध रखी है। बताया गया है कि पटवारी पूर्व मंत्री के नजदीकी हैं, इसलिए न पहले कुछ हुआ न इस बार अफसर कुछ कर पा रहे हैं। शहर के सबसे पाश इलाके के दो हल्के एक पटवारी पर होना यह हैरत भरा है। फिर निलंबन के बाद भी न दूसरे को काम दिया गया ना ही अटैचमेंट किया गया, यह इससे ज्यादा गजब है। अफसर भले ही न स्वीकारें पर राजनीतिक दवाब गजब है।

 

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