भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के साथ ही धोखाधड़ी ?
भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के साथ ही धोखाधड़ी, निजता और डेटा सुरक्षा चिंताएं भी जुड़ी हैं, पढ़िए 15 जनवरी का एडिटोरियल
सभी जानते हैं कि बाजार की असफलताएं एकाधिकार, बाहरी कारणों और सूचना तक असमान पहुंच के विभिन्न रूपों में सामने आती हैं। इनसे न सिर्फ बाजार का आर्थिक मूल्य गिरता है, बल्कि समाज कल्याण और उपभोक्ताओं के भरोसे पर इसका बुरा असर पड़ता है। ऐसी ही परिस्थितियों में सरकार का दखल जरूरी हो जाता है।
इस सन्दर्भ में एक माप पर ध्यान देना चाहिए – क्या सरकारी दखल से होने वाला फायदा, उसकी संभावित लागतों से अधिक है या नहीं। इन फायदों में आम लोगों के हित और विश्वास की सुरक्षा शामिल हैं।
डिजिटल बाजार
हर रोज मोबाइल ऍप्स पर 4.9 घंटे का समय बिताया जा रहा है, जो कि 2019 की तुलना में 32% अधिक है।
इन ऍप्स का 82% उपयोग मीडिया और मनोरंजन के लिए किया जाता है और उसमें भी लगभग आधा समय सोशल मीडिया पर बिताया जाता है।
हालांकि, इस प्रवृत्ति से लोगों को बहुत फायदा हुआ है, इसने नई चिंताओं को भी जन्म दिया है।
जैसे कि इंटरनेट पर मशहूर हस्तियों की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा बनाई डीप फेक (फर्जी) तस्वीरों और वीडियो की बाढ़ आ गई है।
लेकिन एक बड़े अवसर के साथ, कई छुपी समस्याएं भी सामने आ सकती हैं। डिजिटल मीडिया के अन्य रूपों की तरह, ऑनलाइन गेमिंग के तेज उभार के कारण लत लगने, मानसिक बीमारी, आत्महत्या, धोखाधड़ी, निजता और डेटा सुरक्षा जैसी चिंताएं भी जुड़ी हुई हैं।
काले धन को सफेद करने (मनी लॉन्ड्रिंग) और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं भी एक सच्चाई है। अवैध विदेशी जुआ और सट्टेबाजी के बाजारों से स्थिति और चिंताजनक हो जाती है, चूंकि डिजिटल लेनदेन की भारी मात्रा ने आर्थिक अपराधों के लिए नई जमीन तैयार कर दी है।
जुलाई 2023 में, फाइनेंस के लिए पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने साइबर अपराधों में चार प्रमुख पैटर्न की पहचान की है। इनमें से एक है अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन सट्टेबाजी साइटों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए करना।
ये मसले बाजार की विफलता जैसी बड़ी समस्या के लक्षण हैं, जो पर्याप्त नियमों के अभाव के कारण होते हैं। उदाहरण के लिए, अवैध विदेशी सट्टेबाजी और जुए के बाजारों के सुरक्षा और आर्थिक प्रभावों पर नजर डाल सकते हैं।
आम लोगों के लिए कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे वे वैध गेमिंग प्लेटफॉर्म और अवैध जुआ/सट्टेबाजी साइटों के बीच अंतर कर सकें। साथ ही, विशेष नियमों के अभाव में, कानूनों को लागू नहीं किया जा सकता है।
इसका नतीजा यह है कि, अवैध रूप से संचालन करने वालों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अवैध विदेशी जुआ और सट्टेबाजी बाजार हर साल भारत से 100 बिलियन डॉलर की राशि जमा करता है और पिछले तीन सालों में इसकी वृद्धि दर 20% रही है।
उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाने के अलावा, इन प्लेटफार्म के गुप्त रूप से संचालित होने के कारण सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान होता है। अनुमान दर्शाते हैं कि इस अवैध कारोबार से भारत को हर साल 45 बिलियन डॉलर टैक्स का नुकसान हुआ है।
इन चुनौतियों की वजह से गेमिंग उद्योग के लिए मजबूत नियम बनाने की सख्त जरूरत है। कुछ राज्य सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर रोक लगाने की कोशिश की है।
हालांकि, इंटरनेट के सीमा-रहित स्वरूप के कारण इस तरह के रोक को लागू कर पाना असंभव है। इसका नतीजा यह है कि वैध और नियमित प्लेटफॉर्मों का स्थान अनियमित और शायद हानिकारक प्लेटफार्मों ने लेना शुरू कर दिया है।
इस संदर्भ में, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स, 2021 निगरानी बढ़ाने की दिशा में एक अच्छा कदम है।
हालांकि, खुद-नियमित करने वाली संस्थाओं की तरफ से नोटिफिकेशन में देरी से विकास पर रोक लग गई है। 37.3 ऑनलाइन गेम खेलने वालों की सुरक्षा के लिए इस उद्योग को नियमित करना बेहद जरूरी है।
दुनिया का नजरिया
U.K. के पास केंद्रीय सरकारी रेग्युलेटर है। सरकार द्वारा किए प्रयासों के प्रभाव पर नजर रखने के लिए यह संस्था हर तीन महीने में इस उद्योग पर रिपोर्ट जारी करती है।
हाल में, छपी रिपोर्ट से देखा जा सकता है कि, ऐसे प्लेफॉर्म जो खिलाड़ी की सुरक्षा जरूरतों को पूरा नहीं करते हैं, उनपर लाखों मिलियन पौंड का जुर्माना लगाया जा चुका है।
2018-22 के दौरान, सख्ती से नियमों को लागू करने और नुकसान कम करने के लिए विशेष प्रयासों से अस्वस्थ गेमिंग और मध्यम से कम जोखिम वाले गेमिंग के व्यवहार में कमी आई है।
एक अनियंत्रित बाजार से समाज का बड़ा फायदा नहीं हो सकता है। इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड के अनुसार ऊंची टैक्स की दर और किसी भी उद्योग को नियमित करने में सुस्ती, एक अवैध बाजार तैयार करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति पैदा करते हैं।
भारत का ऑनलाइन गेमिंग बाजार भी इसी वातावरण में संचालित हो रहा है। इसलिए, एक सख्त रेग्युलेटरी ढांचा तैयार करना बहुत जरूरी हो गया है। इससे केवल हमारे डिजिटल नागरिकों और राष्ट्रीय हितों की रक्षा होगी, बल्कि ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का भी जिम्मेदारी के साथ विकास होगा।