हमारा संविधान किसने लिखा?

संविधान लिखने में 432 निब घिस गईं
मूल कॉपी का वजन 13 किलो, नाइट्रोजन चैंबर में क्यों रखा गया है

डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, मगर प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी। इस काम में उन्हें 6 महीने लगे और कुल 432 निब घिस गईं।

75वें गणतंत्र दिवस पर भारत का संविधान बनाने, उसे लिखने और उसे सुरक्षित रखने …..

1. नेहरू की गुजारिश पर लिखा, कोई फीस नहीं ली

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खुद कैलीग्राफर प्रेम बिहारी से संविधान की मूल कॉपी लिखने की गुजारिश की थी। प्रेम बिहारी ने न केवल इसे स्वीकार किया, बल्कि इसके बदले फीस लेने से भी इनकार कर दिया।

बस यही कहा- ‘एक पैसा भी नहीं। मेरे पास भगवान की दया से सब कुछ है और मैं अपनी जिंदगी में खुश हूं। पर मेरी एक शर्त है कि इसके हर एक पन्ने पर मैं अपना नाम और आखिरी पन्ने पर अपना और दादाजी का नाम लिखूंगा।’

प्रेम बिहारी ने इटैलिक स्टाइल में संविधान लिखा है। हर पेज पर अपना नाम लिखा और आखिरी पन्ने पर अपने गुरु रामप्रसाद जी सक्सेना का नाम लिखा।
प्रेम बिहारी ने इटैलिक स्टाइल में संविधान लिखा है। हर पेज पर अपना नाम लिखा और आखिरी पन्ने पर अपने गुरु रामप्रसाद जी सक्सेना का नाम लिखा।

2. संविधान लिखने में 6 महीने लगे, 432 निब घिस गईं

संविधान को हाथ से लिखने में प्रेम बिहारी को 6 महीने लगे। इस दौरान 432 निब घिस गईं। प्रेम बिहारी को संविधान हाल में एक कमरा दिया गया, जो बाद में संविधान क्लब हो गया। भारत का संविधान दुनिया में अकेला है, जिसके हर भाग में चित्रकारी भी की गई है।

इसमें राम-सीता से लेकर अकबर और टीपू सुल्तान तक के चित्र हैं। इन्हें शांति निकेतन के नंदलाल बोस की अगुवाई वाली टीम ने अपनी कला से सजाया। उनके भी नाम संविधान की मूल कॉपी में लिखे हैं।

प्रेम बिहारी संविधान की मूल कॉपी को लिखते हुए। वो उस वक्त देश के सबसे बड़े कैलीग्राफी आर्टिस्ट माने जाते थे।
प्रेम बिहारी संविधान की मूल कॉपी को लिखते हुए। वो उस वक्त देश के सबसे बड़े कैलीग्राफी आर्टिस्ट माने जाते थे।

3. संविधान की मूल कॉपी का वजन 13 किलो

13 किलो के संविधान की पांडुलिपि 45.7X 58.4 सेंटीमीटर के पार्चमेंट पेपर पर लिखी गई। सेलुलोस आधारित पार्चमेंट कागज को खास ट्रीटमेंट से नॉन स्टिक बनाया जाता है। यह पेपर इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर से मंगवाया गया था।

संविधान की पांडुलिपि चमड़े की काली जिल्द में हैं, जिस पर सोने की कारीगरी है।

4. संविधान की हिंदी कॉपी वसंत कृष्ण वैद्य ने लिखी

संविधान की हिंदी कॉपी कैलीग्राफर वसंत कृष्ण वैद्य ने हाथ से लिखी है। इसका कागज अलग है। इसे हैंडमेड पेपर रिसर्च सेंटर पुणे में बनाया गया है। संविधान की हिंदी कॉपी में 264 पन्ने हैं, जिसका वजन 14 किलोग्राम है।

5. 1985 में शुरू हुई पांडुलिपि बचाने की कोशिशें

संविधान की मूल अंग्रेजी कॉपी और हिंदी कॉपी को लंबे समय तक संरक्षित करने की कवायद 1985 में शुरू हुई। पार्लियामेंट्री लाइब्रेरी ने सबसे पहले लखनऊ में नेशनल रिसर्च लैबोरेटरी फॉर कंजर्वेशन ऑफ कल्चरल प्रॉपर्टी से संपर्क साधा। मगर बात नहीं बनी।

इसके बाद पार्लियामेंट लाइब्रेरी के निवेदन पर नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी ने अक्रिय गैसों वाले कांच के सील चैंबर डेवलप करने शुरू किए। NPL ने अमेरिकी संविधान के लिए बनाए गए हीलियम वाले चैंबर जैसे बॉक्स का मॉडल अपनाया।

तमाम कोशिशों के बाद भी हीलियम गैस लीक होना बंद नहीं हुई। इसके बाद NPL ने अपने वैज्ञानिक हरि किसन को फ्रांस की सेंट गोबेन कंपनी से मदद लेने के लिए पेरिस भेजा, लेकिन बात नहीं बनी।

नवंबर 1992 में NPL ने अमेरिका की गेट्टी कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट यानी GCI की मदद ली। GCI के पास मिस्र की ममी को नाइट्रोजन बॉक्स में संरक्षित करने का अनुभव था।

कैलिफोर्निया स्थित गेट्टी कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट का हेडक्वार्टर। ये संस्था पूरी दुनिया की कलात्मक विरासत को संरक्षित करने का काम करती है।
कैलिफोर्निया स्थित गेट्टी कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट का हेडक्वार्टर। ये संस्था पूरी दुनिया की कलात्मक विरासत को संरक्षित करने का काम करती है।

6. नाइट्रोजन के सीलबंद बक्सों में बंद

GCI ने 3 सीलबंद बॉक्स बनाए। इनमें से दो बॉक्स मार्च 1994 में कैलिफोर्निया से नई दिल्ली भेजे गए। बॉक्स में 40-50% नमी के साथ नाइट्रोजन गैस भरी है। इसमें ऑक्सीजन की मात्रा 1% से ज्यादा नहीं होती।

सीलिंग की जबरदस्त टेक्नोलॉजी के बावजूद दोनों बॉक्स में हर 7 महीने में 5 क्यूबिक सेंटीमीटर ऑक्सीजन दाखिल हो जाती है। इससे निपटने के लिए दोनों बॉक्स में ऐसे केमिकल रखे गए हैं, जो ऑक्सीजन को खत्म कर देते हैं।

नाइट्रोजन के बॉक्स में रखी हिंदी और अंग्रेजी में लिखे भारतीय संविधान की मूल कॉपी।
नाइट्रोजन के बॉक्स में रखी हिंदी और अंग्रेजी में लिखे भारतीय संविधान की मूल कॉपी।

7. संविधान में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के तिरछे हस्ताक्षर का किस्सा

संविधान में सबसे पहले हस्ताक्षर डॉ. राजेंद्र प्रसाद के होने थे, लेकिन जवाहर लाल नेहरू पहले पहुंचे और पहले नंबर पर ही हस्ताक्षर कर दिए। डॉ. राजेंद्र प्रसाद कुछ देर बाद पहुंचे तो बतौर अध्यक्ष उन्हें हस्ताक्षर करने की जगह ही नहीं मिली।

वहां मौजूद स्टाफ ने कहा कि आप पंडित जी के हस्ताक्षर के ऊपर बची थोड़ी सी जगह में हस्ताक्षर कर दें। यही वजह है कि राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर कुछ दूरी पर सबसे ऊपर और तिरछे हैं।

संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद के तिरछे हस्ताक्षर।

8. दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान

संविधान सभा ने 2 साल 11 महीने और 17 दिन की कड़ी मेहनत के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान एडॉप्ट किया। हालांकि, कानूनी रूप से इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, जिस दिन हम सब रिपब्लिक डे मनाते हैं।

भारत के संविधान की मूल अंग्रेजी कॉपी में 1 लाख 17 हजार 369 शब्द हैं। जिसमें 444 आर्टिकल, 22 भाग और 12 अनुसूचियां हैं।

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