पटवारी भर्ती कैंसिल : ‘ऐसी गड़बड़ी होगी तो हमें नौकरी कैसे मिलेगी’?
‘ऐसी गड़बड़ी होगी तो हमें नौकरी कैसे मिलेगी’?
पटवारी भर्ती कैंसिल कराने 350Km दूर से आईं कैंडिडेट; दूसरे ने कहा-7 साल से तैयारी कर रहा
‘5 साल से कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी कर रही हूं। पटवारी, ग्रुप-4 की परीक्षा दी, लेकिन सिलेक्शन नहीं हुआ। कभी 5 तो कभी 7 नंबर से पीछे रह गईं। 2 साल की छोटी बच्ची हैं। उसे और परिवार को संभालने में दिक्कतें होती हैं, फिर भी 4 से 5 घंटे का टाइम निकाल लेती हूं, लेकिन ऐसी गड़बड़ी होगी तो हमें नौकरी कैसे मिलेगी?
यह कहना है बड़वानी की चंचला चौहान का। वह पटवारी भर्ती कैंसिल कराने की मांग को लेकर 350 किलोमीटर दूर बड़वानी से भोपाल आई, और 2 साल की बेटी ऐनी के साथ प्रदर्शन में शामिल हुईं। चंचला का कहना है, यदि 7 नंबर बढ़े होते ही मैं ग्रुप-4 में मैरिट में आ जाती। पटवारी भर्ती में भी गड़बड़ी हुई है। मेरे छोटे भाई के अच्छे नंबर आने के बाद सिलेक्शन नहीं हो पाया। इसलिए प्रदर्शन में शामिल होने के लिए घंटों सफर कर यहां आई हूं।
चंचला जैसे ही सैकड़ों स्टूडेंट्स हैं, जो पटवारी भर्ती कैंसिल के लिए भोपाल पहुंचे थे। सभी की एक ही मांग थी कि परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) करें। सरकार एसआईटी का गठन करें।
नर्मदा का उद्गम कहां से हुआ? ये जवाब भी गलत दिया
- भोपाल के अभ्यर्थी हितेश सोनी ने कहा, मैं 6-7 साल से कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी कर रहा हूं। पटवारी भर्ती में सीधे तौर पर गड़बड़ी देखने को मिलती है। जिनके 10वीं में 33 प्रतिशत अंक है, वे टॉपर है। ठीक है, वे आगे अच्छे पढ़ने लगे, लेकिन परीक्षा में ऐसे कई प्रश्न थे, जो थे तो सरल लेकिन टॉपर्स उनके जवाब नहीं दे सके। नर्मदा नदी का उद्गम स्थल कहां है? यह तक टॉपर्स नहीं बता सके हैं। पटवारी भर्ती में हुई जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक हो। जब व्यापमं ने ही 14 प्रश्न डिलीट किए थे तो 186 कैसे हो गए? इसके साथ ग्रुप-3 और ग्रुप-4 की परीक्षा की जांच भी हो, क्योंकि नार्मलाइजेशन में 6 से 8 नंबर तक कम हो गए। जब एक-एक नंबर पर सिलेक्शन से अंदर और बाहर हो रहे हैं तो इतने नंबर कम कैसे किए जा रहे हैं? टॉपर्स और हमें साथ में बैठा लीजिए, पता चल जाएगा कि टॉपर्स कितने पद के लिए काबिल हैं।
- भोपाल के ही देवेंद्र सिंह जाट भी 5 साल से तैयारी कर रहे हैं। देवेंद्र ने बताया, उन्होंने भी पटवारी परीक्षा दी थी, लेकिन सिलेक्शन नहीं हो सका। बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। ग्वालियर के एक ही कॉलेज से 10 में से 7 टॉपर्स आए थे। इसलिए पटवारी भर्ती कैंसिल करके नए सिरे से एग्जॉम हो।
क्या एमपी की राजधानी दिल्ली है? ये 13 लाख युवाओं के साथ धोखा
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (NEYU) के राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य राधे जाट ने कहा कि 9 हजार पदों के लिए हुई परीक्षा में 13 लाख युवा बैठे थे। रिजल्ट आया तो काफी फर्जीवाड़ा पाया गया। पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की। ग्वालियर के कॉलेज के टॉप-10 में से 7 स्टूडेंट्स पास हुए थे। इन टॉपर्स ने एमपी की राजधानी को दिल्ली और महाकाल लोक को गुजरात में होना बताया। इससे वे एक्सपोज हो गए। इसके बाद ही प्रदेश व्यापी आंदोलन शुरू हुआ। पिछले साल 30 अगस्त तक जांच की गई। अब इसकी जांच रिपोर्ट आई। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया।
ये जांच भी ऑफलाइन हुई, जबकि परीक्षा ऑनलाइन हुई थी। हमें जांच पर भरोसा नहीं है। जिस परीक्षा में 13 लाख स्टूडेंट्स बैठे थे, उसकी जांच के लिए सिर्फ एक सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। इसलिए अब दिल्ली तक आंदोलन करेंगे।
इन सवालों के जवाब चाह रहे अभ्यर्थी
- ग्वालियर के एक परीक्षा केंद्र से 10 में से 7 टॉपर और प्रदेश के केवल 3 परीक्षा केंद्रों में से 50 में से 34 टॉपर कैसे आ गए?
- क्या टॉपर से बातचीत करके उनके बयान लिए गए?
- क्या उनके बीच के आपसी संबंध और कनेक्शन को चेक किया गया?
- क्या टॉपर की 10वीं, 12वीं की मार्कशीट की जांच की गई। कुछ चयनित अभ्यर्थी ऐसे भी हैं, जिन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा 35% नंबरों से पास की।
- कुछ चयनित अभ्यर्थी ऐसे भी हैं, जो वनरक्षक भर्ती परीक्षा में फिट थे, लेकिन पटवारी भर्ती परीक्षा में एयर हैंडिकैप्ड यानी उन्हें कानों से सुनाई नहीं देता? यह कैसे संभव है?
- टॉपर का लॉग इन टाइम चेक किया जाए, जिससे यह पता चले कि उसने कितने बजे सिस्टम पर लॉगिन किया?
- क्या टॉपर की कैंडिडेट रेस्पॉन्स लॉग की जांच की गई, जिससे पता चलता है कि छात्र ने कब और कितने समय में कौन सा जवाब दिया? कब उसने जवाब के विकल्प को बदला?
- क्या पेपर को 3 घंटे में हल किया या आधे-एक घंटे में ही सारे जवाब फिल कर दिए?
- मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड यानी ESB के सर्वर की टेक्निकल जांच की गई?
इन मांगों को लेकर आंदोलन
- पटवारी फर्जी नियुक्ति प्रक्रिया तत्काल रद्द की जाए।
- पटवारी भर्ती को रद्द करके 6 महीने के अंदर पुन: परीक्षा कराई जाए।
- पटवारी घोटाले की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।
- मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में तकनीकी विशेषज्ञों की SIT गठित की जाए
- फर्जीवाड़े में शामिल दोषियों को सजा दी जाए।
अब जानिए, 8 महीने की जांच में क्या हुआ?
भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा सहित अन्य संभागों के छात्रों ने जांच आयोग के दफ्तर में आकर बयान दर्ज कराए। छात्रों ने परीक्षा में धांधली की आशंका वाले कई तथ्य पेश किए, लेकिन इनके पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए। जस्टिस वर्मा खुद अलग-अलग परीक्षा सेंटर पर गए। जस्टिस वर्मा ने ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज सहित कुछ दूसरे परीक्षा सेंटर्स की भी जांच की। इसमें व्यापमं से मांगी गई जानकारी से यहां की पूरी प्रक्रिया को वेरिफाई किया गया। इसमें बताया गया है कि किसी खास सॉफ्टवेयर की मदद से यदि कोई सिस्टम को रिमोट पर ले लें, बस यही धांधली की आशंका है। बाकी सिक्योरिटी प्रोटोकॉल में कहीं कोई गड़बड़ी नजर नहीं आ रही है, लेकिन सिस्टम को रिमोट पर लिए जाने के संबंध में कोई पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो सका है।