बच्चों का रिजल्ट कार्ड और याददाश्त बिगाड़ रहा मोटापा
बच्चों का रिजल्ट कार्ड और याददाश्त बिगाड़ रहा मोटापा
भरपूर नींद, 8 गिलास पानी पीने और पौष्टिक खाने से आएगी फिटनेस
भारत में मोटापा सबसे तेजी से फैल रही बीमारियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नए आंकड़े डरा रहे हैं। हाल ही में चर्चित मेडिकल जर्नल ‘द लांसेट’ में प्रकाशित एक स्टडी में यह सामने आया है कि भारत में साल 2022 में लगभग 1.25 करोड़ बच्चे और किशोर मोटापे का शिकार बने। इन बच्चों और किशोरों की उम्र 5 साल से ज्यादा और 20 साल से कम है। इतनी कम उम्र में मोटापा बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों के मुंह में झोंक रहा है।
बच्चों में बढ़ रहे मोटापे के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे-
मोटापे से किस तरह की बीमारियों का खतरा?
बच्चों में मोटापे के मामले इतने क्यों बढ़ रहे?
क्या मोटापा उन्हें पढ़ाई में कमजोर बना देगा?
बच्चों को मोटापे से कैसे बचा सकते हैं?
मोटापे को एपिडेमिक कह चुका है WHO
WHO के मुताबिक, 1990 के मुकाबले 2022 में दुनियाभर में बच्चों और किशोरों में मोटापे के मामले चार गुना तेजी से बढ़ रहे हैं। WHO पहले भी मोटापे के मामलों को लेकर चिंता जताता रहा है। WHO मोटापे को एपिडेमिक घोषित कर चुका है, यानी ऐसी बीमारी जो काफी तेजी से फैल रही है और कई लोग उसकी चपेट में आ रहे हैं।
आमतौर पर लोग मोटापे को शुरुआती स्टेज में नजरंदाज कर देते हैं। बाद में यह गले में खतरे की घंटी की तरह हो जाता है। ज्यादातर गंभीर बीमारियों की वजह बनता है। मोटापा कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
इसे ग्राफिक से समझते हैं-
मोटापे के साथ कुपोषण
- कुपोषण शब्द सुनकर लोगों के दिमाग में पहली तस्वीर दुबले-पतले कमजोर शरीर की बनती है। जबकि मोटापा और कम वजन ये दोनों ही कुपोषण के रूप हैं। कुपोषण की ये दोनों ही स्थितियां में लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं।
- WHO की नई स्टडी में पिछले 33 वर्षों में कुपोषण के दोनों रूपों और इसके चलते होने वाले संभावित जोखिमों को लेकर अलर्ट किया गया है। कानपुर के हदय रोग संस्थान के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ अवधेश शर्मा के मुताबिक बच्चों और किशोरों में वजन बढ़ने की समस्या को क्रॉनिक बीमारियों का संकेत भी माना जा सकता है।
- डॉ. अवधेश शर्मा बताते हैं कि कई स्थितियां ऐसी भी हैं जब बच्चों के पेट बाहर आ जाते हैं, जबकि वे अंडरवेट होते हैं। इस तरह की समस्याएं और भी गंभीर बीमारियों की ओर इशारा हो सकती हैं। इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अगर बच्चों का वजन बढ़ रहा है तो इसके लिए उन्हें बहुत जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है। उनके ओवरवेट होने के कई कारण हो सकते हैं। ग्राफिक्स में देखिए-
बच्चों में बढ़ रहे मोटापे के ऊपर दिए कारणों को विस्तार से समझ लेते हैं-
बिगड़ता खान-पान
आजकल बच्चों और किशोरों के खान-पान में बड़ा बदलाव आया है। उन्हें घर में तैयार किए गए खाने से ज्यादा पैकेज्ड फूड पसंद आते हैं। ये अल्ट्रा प्रॉसेस्ड होते हैं, इसलिए इनमें फैट, शुगर और सॉल्ट की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है। जो बढ़ते वजन का कारण बनते हैं।
खराब लाइफस्टाइल
मोबाइल फोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स ने दुनियाभर के लोगों की लाइफस्टाइल चेंज कर दी है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों और किशोरों पर पड़ा है। वे फोन की स्क्रीन के साथ देर रात तक जगे रहते हैं। देर से सोकर उठते हैं। इसमें फिजिकल एक्टिविटी जीरो हो गई है।
खेलकूद से दूरी
बच्चों के शारीरिक विकास और फिजिकल फिटनेस के लिए खेलकूद में हिस्सा लेना बेहद जरूरी है। पढ़ाई और नंबरों के प्रेशर ने बच्चों को इससे दूर किया है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में आए खेल उन्हें आलसी और ओवरवेट बना रहे हैं।
स्ट्रेस और एंग्जाइटी
बच्चों के तनाव को लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि उन्हें यह समस्या खतरे में डाल सकती है। इससे उनका एड्रीनेलिन ग्लैंड प्रभावित होता है। कॉर्टिसोल हॉर्मोन अधिक मात्रा में निकलने लगता है। इससे बॉडी एनर्जी और फैट दोनों स्टोर होने लगते हैं। इससे बच्चों का वजन भी बढ़ सकता है।
आनुवांशिक फैक्टर और हॉर्मोन का बदलाव
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, जो पेरेंट्स मोटापे से ग्रस्त होते हैं। उनके बच्चों में भी ओबेसिटी की खतरा अधिक होता है। हमारे शरीर के कई जीन्स मोटापे की वजह हो सकते हैं। इसलिए जिन बच्चों के परिवार में मोटापे की समस्या रही है, उन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है।
बच्चों का रिजल्ट कार्ड खराब कर रहा मोटापा
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वेरमॉन्ट और येल यूनिवर्सिटी की साझा स्टडी में सामने आया है कि मोटापे के चलते बच्चों की याददाश्त कमजोर हो रही है। इसका असर उनकी पढ़ाई और बाद में रिजल्ट कार्ड पर भी पड़ता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन बच्चों का वजन अधिक होता है उनका सेरेब्रल कॉर्टेक्स पतला हो जाता है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स दिमाग में एक परत है जो उसके बाहरी हिस्से को कवर करती है। कॉर्टेक्स पतला होने से दिमाग के सोचने, याद रखने और फैसले लेने की क्षमताओं पर बुरा असर पड़ता है।
बच्चों को मोटापे से कैसे बचाएं?
दिल्ली की डायटीशियन डॉ. अनु अग्रवाल बताती हैं कि बच्चों में खाने को लेकर टेस्ट बड्स तैयार करना होता है। अगर छोटी उम्र से ही उनमें पौष्टिक खाने की आदत बनाई जाए तो बाद में जंक फूड की तरफ उनका रुझान अपने आप कम हो जाएगा।
बच्चों को खूब पानी पीने को कहें
बच्चे को मोटापे से बचाना है तो उनका हाइड्रेट रहना जरूरी है। हाइड्रेटेड बने रहने के लिए सबसे अच्छा उपाय है पानी पीना। हर किसी को एक दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीने की जरूरत होती है। 10 साल तक के बच्चों को भी कम से कम 5 गिलास पानी पीने को कहना चाहिए। जब बच्चे स्कूल जाएं या फिर खेलने-कूदने जाएं तो उन्हें पानी का बॉटल जरूर दें। इससे धीरे-धीरे उन्हें रूटीन में पानी पीने की आदत लग जाएगी।
बिंज ईटिंग से बचाएं
आजकल बच्चे खाते समय टीवी या मोबाइल स्क्रीन के साथ बैठते हैं। इस दौरान वह इतने मशगूल हो जाते हैं कि खाने की प्लेट पर ध्यान ही नहीं जाता है। इससे वे अपनी भूख से ज्यादा खा जाते हैं, जो उनके मोटापे का कारण बन रहा है।
भरपूर नींद लेने को कहें
बच्चे देर रात तक मोबाइल फोन के साथ जागते हैं। फिर सुबह जल्दी उठकर स्कूल के लिए निकल जाते हैं। इससे उनकी नींद नहीं पूरी हो पाती है। इसका शरीर के सभी अंगों और हॉर्मोन्स पर बुरा असर पड़ रहा है। जो उन्हें मोटापे की तरफ ले जा रहा है।
फिजिकल एक्टिविटी की आदत बनाएं
बच्चों को रोज खेलने-कूदने दें। उनमें कोई भी फील्ड गेम खेलने की आदत डालें। शारीरिक रूप से एक्टिव बच्चे एक्टिव रहने से उनके शरीर में एक्स्ट्रा फैट नहीं जमा होगा। हड्डियां मजबूत रहेंगी और इम्यूनिटी भी बूस्ट होगी।