भारत में पेपर लीक की पूरी कहानी …..यूपी-बिहार से शुरुआत ?
भारत में पेपर लीक की पूरी कहानी: यूपी-बिहार से शुरुआत; 4 प्वाइंट्स में समझिए कैसे काम करता है पूरा गिरोह
देश में पिछले 5 साल में 15 राज्यों की करीब 45 भर्ती परिक्षाओं का पेपर लीक हुआ है. इन पेपर लीक का सीधा असर 1.4 करोड़ उन अभ्यर्थियों पर पड़ा है, जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सरकारी भर्तियों में पेपर लीक का मुद्दा चर्चा में है. कांग्रेस ने अपनी 5 गारंटी में से एक पेपर लीक पर सख्त कानून बनाने की बात कही है. पार्टी ने चुनाव में पेपर लीक से मुक्ति का नारा भी दिया है.
दूसरी तरफ राजस्थान में पेपर लीक कांड के आरोपियों पर सख्त कार्रवाई कर बीजेपी भी बढ़त लेने में जुटी है. हालांकि, यूपी और गुजरात में हुए हालिया पेपर लीक ने उसे बैकफुट पर धकेल दिया है.
देश में पिछले 5 साल में 15 राज्यों की करीब 45 भर्ती परिक्षाओं का पेपर लीक हुआ है. इन पेपर लीक का सीधा असर 1.4 करोड़ उन अभ्यर्थियों पर पड़ा है, जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे.
केंद्र और कई राज्यों में कानून बनने के बाद भी पेपर लीक की घटनाएं बदस्तूर जारी है. कई सरकारों ने पेपर लीक की वजह से होने वाली किरकिरी को देखते हुए भर्ती एग्जाम ही कराना बंद कर दिया है.
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पेपर लीक की घटनाएं क्यों नहीं रुक रही हैं और लीक का पूरा सिस्टम कैसे काम करता है.
पेपर लीक कैसे बन गया देश का सबसे बड़ा मुद्दा?
2014 में पहली बार उत्तर प्रदेश में पेपर लीक की खबर सामने आई. तब यूपी में सीपीएमटी का पेपर लीक हुआ था. इस लीक में उस वक्त की अखिलेश यादव सरकार की खूब किरकिरी हुई. मामले में परीक्षा कराने वाली संस्था केजीएमयू पर भी सवाल उठे.
इसी साल जुलाई में लखनऊ में रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक हो गया. मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंपी गई. इसके ठीक एक साल बाद बिहार में बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक हो गया. उस वक्त बिहार में बीजेपी विपक्ष में थी और इसे बड़ा मुद्दा बनाया.
2017 में बिहार में एसएससी का पेपर लीक हुआ. इस मामले में एसएससी के चेयरमैन सुधीर कुमार गिरफ्तार हुए. धीरे-धीरे पेपर लीक देश की बड़ी समस्या बन गई.
इंडियन एक्सप्रेस ने हाल ही में पेपर लीक को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक पिछले 5 साल में 41 पेपर लीक हुए. 2024 के आंकड़ों को जोड़ दिया जाए, तो यह संख्या 45 के पास पहुंच जाती है.
सभी पेपर लीक सरकारी नौकरी से जुड़े हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक पेपर लीक का असर 1.4 करोड़ लोगों पर सीधे तौर हुआ. सभी सरकारी नौकरी के अभ्यर्थी थे.
पिछले 5 साल में 15 राज्यों ने जो परीक्षा आयोजित करायी गई, उससे 1.4 लाख लोगों को नौकरी मिल सकती थी, लेकिन पेपर लीक की वजह से ये नौकरियां अभ्यर्थियों को नहीं मिल पाई.
राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पेपर लीक सियासी मुद्दा भी बन गया. 2023 के चुनाव से पहले राजस्थान में एक रैली के दौरान खुद प्रधानमंत्री मोदी ने पेपर लीक वालों पर सख्त एक्शन लेने की बात कही थी.
पेपर लीक को लेकर झारखंड, राजस्थान सरकार ने विधानसभा में कानून भी पास कराए. हाल ही में केंद्र ने भी पेपर लीक पर कानून बनाया है.
इन 5 केस स्टडी से समझिए पेपर लीक का पूरा खेल
बिहार, झारखंड, यूपी और राजस्थान में पेपर लीक को लेकर जो खुलासे हुए हैं, इसी के आधार पर इन 4 केस स्टडी के जरिए पेपर लीक के पूरे खेल को विस्तार से समझते हैं…
1. गैंग का पहला लक्ष्य- भर्ती बोर्ड से पेपर निकालना
गैंग के लोगों का पहला लक्ष्य समय से पहले पेपर निकालना होता है, इसके लिए गैंग के सदस्य बोर्ड के लोगों से संपर्क साधते हैं. राजस्थान में पेपर लीक की जांच कर रही एसओजी ने अपनी चार्जशीट में दावा किया था कि पेपर लीक की घटना इसलिए हुई, क्योंकि बोर्ड के सदस्य इसमें शामिल थे.
एसओजी ने 2023 में राजस्थान भर्ती बोर्ड के सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार किया था. कटारा ने पूछताछ में खुलासा किया था कि एग्जाम से 2 महीने पहले ही उन्होंने गैंग के लोगों को प्रश्न पत्र उपलब्ध करवा दिए.
एसओजी के मुताबिक पेपर लीक गिरोह ने कटारा से उनके भतीजे के जरिए संपर्क किया. बात बन जाने पर गैंग के लोगों ने कटारा को 1 करोड़ रुपए भी दिए.
इसी तरह का मामला झारखंड में भी सामने आया था. जहां पर परीक्षा लेने के लिए जिस कंपनी को सरकार ने अधिकृत किया था, उसी कंपनी के मालिक ने गिरोह को पेपर बेच दिए.
2. दूसरा लक्ष्य- पेपर किसे बेचना है, उसकी पहचना करना
गिरोह का दूसरा बड़ा लक्ष्य जुटाए गए पेपर का ग्राहक खोजना है. ग्राहक खोजने के लिए गैंग के सदस्य कई शहरों में एक साथ सक्रिय रहते हैं. कई राज्यों की जांच एजेंसी ने अब तक जो खुलासे किए हैं, उसके मुताबिक गिरोह पेपर बेचने के लिए कोचिंग संस्थानों से संपर्क साधता है.
कोचिंग संस्थान के मालिक पेपर खरीद कर अपने यहां के बच्चों को बेचते हैं.
बिहार, उत्तराखंड और राजस्थान से पेपर लीक को बेचने के आरोप में कई कोचिंग मालिक गिरफ्तार हो चुके हैं. हाल ही में राजस्थान में एसआई भर्ती मामले में जो पेपर लीक हुए थे, उसमें भी 14 कोचिंग मालिक जांच एजेंसी की रडार में है.
3. पेपर लीक में हवाला के जरिए होता है पैसों का लेन-देन
पेपर लीक गिरोह के लोग पैसे के लेन-देन में भी काफी सावधानियां बरतते हैं. पैसे लेन-देन का पूरा काम हवाला के जरिए होता है. बिहार में हाल ही में जांच एजेंसी को इस संदर्भ में बड़ा इनपुट मिला था.
हिंदुस्तान अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2023 में बिहार में सिपाही बहाली का जो पेपर लीक हुआ था, उसमें पैसे का पूरा लेनदेन हवाला के जरिए किया गया था. जांच एजेंसी ईओयू को इस संदर्भ में कई सबूत भी मिले.
राजस्थान और झारखंड में भी बैकडोर से ही पैसे का लेन-देन किया गया था. यही वजह है कि राजस्थान और झारखंड में पेपर लीक की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम भी कर रही है.
पैसे लेन-देन के भी 2 तरीके हैं. पेपर देने के वक्त गिरोह के सदस्य उम्मीदवार से पहले एडवांस लेते हैं. एग्जाम के बाद उम्मीदवार से पूरे पैसे लिए जाते हैं.
4. जेल से निकलने बाद मास्टर माइंड फिर से शुरू कर देता है खेल
पेपर लीक से जुड़े अब तक जितने भी मास्टर माइंड गिरफ्तार हुए हैं, उनमें अधिकांश पहले मुन्ना भाई का काम कर चुके हैं. हाल ही में राजस्थान की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने भर्ती परीक्षा के मास्टर माइंड जगदीश बिश्नोई को गिरफ्तार किया है.
बिश्नोई 2010 से पहले तक दूसरे के बदले परीक्षा में बैठता था. 2010 के बाद जब सख्ती हुई, तो पेपर लीक के काम में जुड़ गया. राजस्थान पुलिस के मुताबिक जेल से आने के बाद जगदीश ने फिर से ये काम शुरू कर दिया.
इसी तरह का एक उदाहरण बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन पेपर लीक के मास्टर माइंड आनंद गौरव उर्फ पिंटू यादव है. मुंगेर का रहने वाल पिंटू अभी जेल में है और उस पर 2022 के बीपीएससी परीक्षा का पेपर लीक कराने का आरोप है.
पिंटू 2018 में भी पेपर लीक के मामले में ही जेल गया था, लेकिन बाहर निकलने के बाद उसने यह काम फिर से शुरू कर दिया.