नागरिकता संशोधन बिल: देश के मुस्लिम डरें नहीं- अमित शाह | यह बिल अन्याय है- कांग्रेस
नई दिल्ली: राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) दोपहर 12 बजे पेश किया गया. 12 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही इस पर सदन में चर्चा शुरू हो गई. बिल पेश करते ही टीएमसी की तरफ से इस पर विरोध जताया गया. गृह मंत्री अमित शाह ने बिल सदन के पटल पर रखकर पेश किया. बिल पेश करने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह शरणार्थियों को हक और सम्मान देने वाला बिल है. करोड़ों लोगों के लिए नागरिकता बिल बड़ी उम्मीद है.
अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की संख्या घटी है. प्रताडि़त लोगों को नागरिकता देने के लिए यह बिल लाया गया है. यह बिल समानता का अधिकार देने वाला है.
अमित शाह द्वारा कही गई प्रमुख बातें…
-ऐतिहासिक बिल लेकर उपस्थित हुआ हूं.
-लाखों करोड़ों लोग यातना का जीवन जी रहे हैं. नई आशा दिखाने वाला बिल है.
-विभाजन के बाद सबकी कल्पना थी कि यहां के अल्पसंख्यक, पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक सम्मानपूर्वक जीवन जी पाएं..
-परंतु कई दशकों के बाद इसकी ओर मुड़ कर देखते हैं, पाकिस्तान, अफगानिसतान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को समानता का अधिकार नहीं मिला.
-पूर्वी पाक बन, मुजीब ने कोशिश की, लेकिन उनकी हत्या हो गई.. और लंबे समय तक वहां प्रताड़ना हुई.
-अल्पसंख्यकों की आबादी में कमी आई है, या तो मार दिए गए, धर्म परिवर्तन हो गया.
-वो भारत आए.. तो ना सुविधाएं मिली, ना नागरिकता..
-ये बिल धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आए हैं, उनके लिए है.
-2019 में जब आम चुनाव हुए, तो बीजेपी और साथी दल ने एक घोषणापत्र रखा था.
-MULTIPARTY DEMOCRACY में घोषणापत्र जो सरकार बनने वाली होती है उसकी उद्घोषणा होती है.
-बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में घोषणा की थी.
-जो लोग कह रहे हैं कि आप वोटबैंक की राजनीति कर रहे हो.. तो सबको कहना चाहता हूं कि जनता ने इसको समर्थन दिया है, जनादेश से बड़ा कुछ नहीं होता है.
-भारत में जो मुस्लिम नागरिक हैं, वो यहां रहेंगे. उनको कोई प्रताडि़त नहीं करेंगे.
-कोई आपको डराए तो डरिए मत, ये नरेंद्र मोदी की सरकार है. जो सबको साथ लेकर चलती है.
-मुसलमान किसी के बहकावे में ना आएं.
-कोई बरगलाए या डराए, मुस्लिम डरें नहीं.
-पड़ोसी देशों से आए मुस्लिमों को संरक्षण दिया जाएगा.
-बिल क्या है, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश, तीनों देश में हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई और पारसी, किसी भी समय भारत आए हैं- उनको नागरिकता देने का प्रावधान है.
-इसमें उत्तर-पूर्वी भारत में अलग-अलग प्रकार से वहां के हितों को लेकर चिंता भी व्यक्त की गई है.
-इसको लेकर कई भ्रांति फैलाई गई हैं MINORITIES को लेकर.
-मैं कहना चाहता हूं कि जो इस देश के नागरिक हैं वो रहेंगे.
-आज जो लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं वो बताएं, ये लाखों करोड़ो लोगों पर प्रताड़ना हुइ है, वो कहां जाएं.
-ये लोग धार्मिक प्रताड़ना के बाद आए हैं.
-किसी भी मुसलमान को चिंता करने की जरूरत नहीं है, किसी को भी नहीं चिंता करने की जरूरत है.
-ये मोदी सरकार है, संविधान के SPIRIT के अनुसार है.
-चुनौती है कि मैं हर एक चीज़ का जवाब दूंगा.
-बिल के अंदर जो प्रावधान हैं, जिनका पासपोर्ट एक्सपायर हो जाता है वो अवैध माना जाता है तो अब हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई और पारसी को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा.
-बंगाल के अंदर शरणार्थी आए हैं उनको उसी तारीख से नागरिकता दी जाएगी.
-जिस तारीख से शरणार्थी भारत में आए हैं उन्हें उसी दिन से नागरिकता मिलेगी.
-शरणार्थियों के कारोबार को भी नियमित करेंगे.
उनके बाद कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि 2016 में भी यह बिल लाया गया था, लेकिन उसमें और इसमें काफी अंतर है. बिल से भारत की आत्मा को ठेंस पहुंची है.
आनंद शर्मा द्वारा कही गईं बातें…
-गृह मंत्री प्रस्ताव लाएं हैं.. पिछले कुछ सालों से चर्चा रही है.
-आपने कहा कि यह ऐतिहासिक बिल है, लेकिन इस बारें में वक्त बतलाएगा
-इसे लाने में जल्दबाजी क्यों?
-हम इसका विरोध करते हैं, विरोध का कारण राजनीतिक नहीं, संवैधानिक है.
-हम नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करते हैं.
-ये बिल संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ है.
-नागरिकता संशोधन बिल अन्याय है.
-2 नेशन थ्योरी कांग्रेस की नहीं, हिंदू महासभा की थी.
-हिन्दुस्तान की आजादी के बाद देश का बंटवारा हुआ था.
-72 साल के बाद हम ये कहें कि संविधान निर्माताओं को कोई समझ नहीं थी, ये गलत है.
-लाखों लोग पूर्वी पाक से आए थे, उनको सम्मान नहीं मिला. दो-दो पीएम बने मनमोहन सिंह और आईके गुजराल.
-आप लेकर आएं हैं, वो नई बात नहीं है. CITIZENSHIP ACT का संविधान में जिक्र है. संशोधन हुए, लेकिन टकराव नहीं हुआ.
-इतिहास महत्व रखता है.
-इतिहास को बदला नहीं जा सकता है.
-हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग अंग्रेजों को चिट्ठी देकर आए थे.
-1943 में सावरकर ने औपचारिक तौर पर कहा- मुझे जिन्ना के दो राष्ट्र के प्रस्ताव से कोई समस्या नहीं है.
-बंटवारे को लेकर कांग्रेस को दोष देना गलत.
इससे पहले इस मसले पर कांग्रेस ने सदन में हंगामा कर दिया. इसके चलते सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी थी. इस बीच शिवसेना नेता राउत ने कहा कि बिल के कई मुद्दों को लेकर शिवसेना के मन में शंका है. लोकसभा में हालात और आंकड़े अलग थे. सरकार बिल पर शंका दूर करे. राज्यसभा में बिल पर क्या करना है, शिवसेना ने इस पर अभी फैसला नहीं किया है. तमिल शरणार्थी भी हिंदू हैं.
नागरिकता संशोधन बिल 2019 (CAB) पर बहस के लिए 6 घंटे का वक्त सभापति की तरफ से रखा गया है. उधर, विपक्ष ने इस बिल का विरोध तेज कर दिया है. कांग्रेस ने अपनी सभी जिला इकाइयों को देशभर में प्रदर्शन करने को कहा है तो वहीं सरकार राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है. सरकार की तरफ से राज्यसभा के लिए पूरा होमवर्क किया गया है और तमाम पार्टियों से समर्थन लेकर संख्या बल जुटाने की कोशिश हो रही है.
राज्यसभा में 240 सांसद
राज्यसभा में इस वक़्त 240 सांसदों की संख्या है, क्योंकि राज्यसभा में 5 सीटें खाली पड़ी हुई हैं. इस हिसाब से 121 सांसदों के समर्थन के बाद ही ये बिल राज्यसभा में पास हो सकता है. बीजेपी के पास इस वक़्त राज्यसभा में 83 सांसद हैं यानी कि बीजेपी को 38 अन्य सांसदों की आवश्यकता पड़ेगी. लेकिन बीजेपी के लिए चिंता की बात इसलिए नहीं नज़र आ रही है क्योंकि बीजेपी के सहयोगी दलों के साथ-साथ कुछ अन्य दल नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार के साथ नज़र आ रहे हैं. AIADMK(11), JDU (6), SAD (3), निर्दलीय व अन्य समेत 13 सांसदों का समर्थन बीजेपी को राज्यसभा में मिल सकता है. इस तरह बिल के समर्थन में 116 सांसद नज़र आ रहे हैं.
इन पार्टियों के अलावा सरकार के साथ बीजेडी (7), YSRCP (2), TDP (2) सांसदों के साथ नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन कर सकती हैं. कुल मिलाकर 127 सांसदों के साथ यह बिल पास कराने में सरकार सफल हो सकती है. शिवसेना ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था लेकिन राज्यसभा में शिवसेना के 3 सांसद क्या इस बिल का समर्थन करेंगे या नहीं, इस पर सस्पेंस बरक़रार है.
विपक्ष की रणनीति
वहीं अगर विपक्ष की रणनीति पर नज़र डालें तो वह इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के राज्यसभा में 46 सांसद हैं और वह इस बिल के ख़िलाफ़ ज़्यादा से ज़्यादा मतदान कराना चाहती है. मंगलवार को कांग्रेस नेताओं ने संसद भवन में अन्य विपक्षी दलों के साथ बातचीत भी की है. नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में डीएमके (5), RJD (4), NCP (4), KC(M)-1, PMK(1), IUML(1), MDMK (1), व अन्य 1 सांसद ख़िलाफ़ वोट करेंगे. यानि इस तरह से यूपीए का आंकड़ा 64 सांसदों का पहुंचता है.
लेकिन यूपीए के साथ-साथ कई अन्य विपक्षी दल भी इस बिल के ख़िलाफ़ राज्यसभा में वोट करेंगे, जिसे लेकर समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने अपने सांसदों को व्हिप भी जारी किया है. TMC(13), Samajwadi Party (9), CPM(5), BSP (4), AAP (3), PDP (2), CPI (1), JDS (1), TRS (6) जैसे राजनीतिक दलों के सांसद इस बिल के ख़िलाफ़ हैं. यूपीए के अतिरिक्त कई विपक्षी दलों के 44 सांसद भी इस बिल के ख़िलाफ़ वोट कर सकते हैं.
इस प्रकार यूपीए और गैर एनडीए दलों के सांसदों के आंकड़े देखें तो नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़ कुल 108 सांसद मतदान कर सकते हैं.