तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध ?
चुनौती: तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध, अदृश्य दुश्मन पर नजर रखने के लिए हुई हैं कुछ सराहनीय पहल
भारत बड़े स्तर पर साइबर अपराध और साइबर धोखाधड़ी के हमलों का सामना कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में तो साइबर अपराध के मामले बड़े पैमाने पर बढ़े हैं। दरअसल, कोविड-19 का दौर साइबर अपराध के लिए स्वर्ण युग के रूप में आया। लेकिन वर्तमान स्थितियों को देखकर यही लगता है कि यह आगामी कई दशकों तक हमारे साथ रहने वाला है। आज हम नित-नए प्रकार के साइबर अपराध के मामले देख रहे हैं।
दुनिया भर के देशों के लिए साइबर अपराध बड़ी चुनौती बन चुके हैं। सच तो यह है कि इंटरनेट ने भूगोल को इतिहास बना दिया है। इंटरनेट ने साइबर अपराधियों को उनके अपराध का पूरा ताना-बाना बुनने में मदद की है। ऐसे में, साइबर अपराधियों की अंतरराष्ट्रीय प्रकृति राष्ट्रीय सरकारों के लिए मुसीबत बन गई है। जबकि, सरकारें साइबर अपराध को विनियमित करने के लिए राष्ट्रीय कानून अपना रही हैं।
दरअसल, साइबर अपराधी जल्द पैसा कमाने के सारे हथकंडे जानते हैं। अपराधियों को पता होता है कि इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को विश्वास में लेकर कैसे आसानी से उन्हें अपना शिकार बनाया जा सकता है और पैसा कमाया जा सकता है। ऑनलाइन धोखाधड़ी आज सबसे बड़े अपराधों में एक हो गई है। आए-दिन हमारे आसपास का कोई न कोई व्यक्ति ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार बनता दिखता है। अनुमान है कि इंटरनेट का उपयोग करने वाला हर तीसरा व्यक्ति ऑनलाइन धोखाधड़ी से पीड़ित है। अन्य क्षेत्रों की तुलना में आज ज्यादा से ज्यादा लोग बिना किसी प्रशिक्षण के इंटरनेट से जुड़ रहे हैं। और, जब व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ता है, तो तमाम सूचनाओं और चुनौतियों के गहरे सागर में गोते लगाता है।
भारत में साइबर धोखाधड़ी और अपराध एक तरह से कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है और यह तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में पहचान की चोरी, फिशिंग और ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी भारत में सबसे प्रचलित तीन साइबर अपराध हैं। लेकिन समस्या यह है कि अपने देश में साइबर अपराध के मामलों में सजा का अनुपात एक फीसदी से भी कम है। वर्तमान साइबर कानून बढ़ते हुए साइबर अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में साइबर धोखाधड़ियों से निपटने के लिए कोई प्रत्यक्ष प्रावधान नहीं है। व्यावहारिक रूप से सभी ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी में भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 420 के तहत पुलिस कार्रवाई करती है, लेकिन इसके बावजूद हम साइबर धोखाधड़ी को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी संरचना और दूरसंचार नेटवर्क का दुरुपयोग होता देखते हैं।
भारत सरकार साइबर अपराध और धोखाधड़ी को लेकर अत्यधिक चिंतित है। यही कारण है कि सरकार ने कुछ समय पहले ‘संचार साथी’ पोर्टल लॉन्च किया था। नागरिकों के हित में यह पोर्टल मोबाइल ग्राहकों को सशक्त बनाने, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन्हें जागरूक बनाने के लिए दूरसंचार विभाग की बड़ी पहल है। संचार साथी के आने के बाद अब लोगों को पता चल जाता है कि उनके नाम पर कितने सिम कार्ड पंजीकृत हैं।
इसके अलावा, हाल ही में भारत सरकार ने चक्षु पोर्टल लॉन्च किया है। लोग इस पोर्टल पर साइबर अपराध, वित्तीय धोखाधड़ी, कॉल, एसएमएस, व्हाट्सएप आदि माध्यमों से होने वाली किसी भी धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। चक्षु ऑनलाइन धोखाधड़ी से लड़ने के लिए लोगों को शक्तिशाली बनाता है। इससे पहले व्यवस्था थी कि जब कोई साइबर अपराध का शिकार होता था, तो वह उसकी शिकायत कर सकता था। हालांकि नई सरकारी पहलों ने मौजूदा ढांचे के दायरे को बढ़ाया है।
चक्षु का उद्देश्य धोखाधड़ी वाले संदेशों और संचारों को उजागर करना और उनका मिलान करना है। यह अंतिम पंक्ति के उपयोगकर्ताओं को सशक्त बनाता है। चक्षु साइबर अपराध से निपटने के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यह सरकार को उन सभी संदिग्ध संदेशों और संचारों का भंडार बनाने की अनुमति देगा, जो साइबर अपराधियों द्वारा निर्दोष उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने के लिए तेजी से उपयोग किए जा रहे हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि चक्षु पोर्टल न केवल उपयोगकर्ताओं को सशक्त बनाएगा, बल्कि वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ अपने अनुभव भी साझा कर सकेंगे। साथ ही लोग साइबर अपराध के नए तरीकों से बचने के लिए संवेदनशील बनेंगे। सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए चक्षु पर संदिग्ध संदेशों को प्रकाशित कर सकती है। इस तरह की जागरूकता से साइबर अपराध के विरुद्ध लड़ने की क्षमता का निर्माण होगा।
इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) भी लॉन्च किया है, जो दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए हितधारकों के बीच समन्वय की अनुमति देता है। इसका उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी पर विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच जानकारी साझा करना है, ताकि सरकारी तंत्र साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ने के लिए एकीकृत ढंग से काम कर सके। चक्षु और डीआईपी की शुरुआत साइबर धोखाधड़ी और अपराधों के बढ़ते खतरे से प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए सरकार का महत्वपूर्ण कदम है। चक्षु को तैयार करने के लिए सरकार की तारीफ करनी चाहिए।
इसके अलावा निरंतर जागरूकता की भी जरूरत होगी, ताकि भारतीय डिजिटल उपयोगकर्ताओं को आगे भी सशक्त बनाया जा सके। हमें सतर्क रहना होगा, क्योंकि साइबर अपराधी धोखाधड़ी करने के नए-नए तरीके आजमाएंगे। साथ ही सरकार को भी साइबर अपराध की नई-नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। कानूनी ढांचे को अपडेट करने के साथ ही साइबर अपराधों से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता को भी बढ़ाना होगा। साथ ही प्रत्येक हितधारक को साइबर अपराध से लड़ने के लिए अपना-अपना योगदान देना होगा।
(-लेखक सुप्रीम कोर्ट के वकील एवं साइबर कानून विशेषज्ञ हैं)