मनी लॉन्ड्रिंग का सबसे बड़ा मामला!

Panama Papers: मनी लॉन्ड्रिंग का सबसे बड़ा मामला! सालों बाद शुरू हो रहा पनामा पेपर्स का ट्रायल
Panama Papers Trial: पनामा पेपर्स को टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग का दुनिया का सबसे बड़ा खुलासा बताया जाता है. इस खुलासे में दुनिया के कई प्रभावशाली लोगों के नाम सामने आए थे…

टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के दुनिया के सबसे बड़े स्कैंडल में एक पनामा पेपर्स का मामला बहुत पुराना हो चुका है. सालों पहले इस मामले के खुलासे ने दुनिया भर के कई देशों में तहलका मचा दिया था. मामला किस स्तर पर बड़ा था और उसका दायरा कितना विस्तृत था, उसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि टैक्स स्कैंडल का मामला सामने आने के बाद कुछ देशों की सरकारें तक खतरे में आ गई थीं. हालांकि उसके बाद भी मुकदमा शुरू होने में सालों का समय लग गया.

27 लोगों का शुरू हो रहा है ट्रायल

न्यूज एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब जाकर पनामा पेपर्स मामले में ट्रायल शुरू होने वाला है. इस मामले में कम से कम 27 लोगों का ट्रायल आज से शुरू हो रहा है. मामले का ट्रायल पनामा की एक अदालत में शुरू हो रहा है. इस ट्रायल में जुरगेन मोसाक और रैमन फोन्सेका मोरा का भी नाम शामिल है. मोसाक और मोरा लॉ फर्म मोसाक फोन्सेका के फाउंडर्स हैं. यही कंपनी पूरे पनामा पेपर्स स्कैंडल के केंद्र में थी और अब बंद हो चुकी है.

200 से ज्यादा देशों तक फैला हुआ जाल

पनामा पेपर्स का मामला इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स यानी आईसीआईजे के प्रयासों से खुला था. आईसीआईजे और जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung ने लंबी पड़ताल के बाद 3 अप्रैल 2016 को पहली बार डॉक्यूमेंट्स को पब्लिश किया था. पब्लिश किए गए डॉक्यूमेंट्स लॉ फर्म मोसाक फोन्सेका के थे, जिनमें टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग का ऐसा जाल बुना गया था, जिनका दायरा दुनिया के 200 से ज्यादा देशों तक फैला हुआ था. पेपर्स में दुनिया के कई दिग्गज राजनेताओं, कारोबारियों और प्रभावशालियों के नाम सामने आए थे.

इतना बड़ा था दुनिया का सबसे बड़ा खुलासा

पेपर्स में करीब सवा 2 लाख टैक्स हेवेन्स का खुलासा किया गया था, जिनका इस्तेमाल दुनिया के प्रभावशाली लोगों के द्वारा टैक्स की चोरी करने, सरकारी खजाने को चूना लगाने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की काट करने में किया जा रहा था. पेपर्स में 1970 के दशक से लेकर 2016 तक की विभिन्न टैक्स चोरियों के मामले थे. पूरा डेटा करीब 2.6 टेराबाइट में था. इसे टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग का अब तक का सबसे बड़ा खुलासा बताया जाता है. पेपर्स में दुनिया भर के 128 प्रभावशाली लोगों के नाम थे, जिनमें कुछ नाम भारत से भी थे.

इन प्रभावशाली लोगों के ऊपर आई आंच

इस मामले में नाम सामने आने के बाद आइलैंड के प्रधानमंत्री सिगमुंदुर डेविड गनलॉगसन को इस्तीफा देना पड़ा था. पड़ोसी देश पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नाम भी पेपर्स में आया था, जिसके बाद उनके ऊपर हमेशा के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लग गई. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून, दिग्गज फुटबॉलर लियोनेल मेसी, अर्जेंटीना के तत्कालीन राष्ट्रपति मौरिसियो मैक्री, स्पेन के फिल्ममेकर पेड्रो अल्मोडोवार जैसों के नाम भी लीक में सामने आए थे.

मुख्य आरोपियों को हो पाई सिर्फ इतनी सजा

इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात है टैक्स चोरी का ताना-बाना ऐसे बुना गया कि खुलासे में जिन प्रभावशाली लोगों के नाम सामने आए, कानूनी तौर पर उन्हें गलत साबित करना बहुत मुश्किल हो गया. उदाहरण के लिए पूरे प्रकरण के केंद्र में रही कंपनी मोसाक फोन्सेका के फाउंडर्स जुरगेन मोसाक और रैमन फोन्सेका मोरा का मामला देखा जा सकता है. दोनों के खिलाफ अब तक जो भी कार्रवाई हुई है, उसमें उन्हें सिर्फ दो महीने ही जेल में रहना पड़ा है.

इन कारणों से नहीं हो पाया इंटरनेशनल ट्रायल

जुरगेन मोसाक और रैमन फोन्सेका मोरा के खिलाफ आज शुरू हो रहे ट्रायल से पहले दोनों के खिलाफ जर्मनी में अरेस्ट वारंट भी जारी हुआ था, लेकिन उसमें दोनों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई. जर्मनी ने टैक्स चोरी करने और क्रिमिनल ऑर्गेनाइजेशन चलाने के आरोप में वारंट जारी किया था. दिक्कत ये है कि पनामा के प्रत्यर्पण कानून उन्हें जर्मनी को हैंडओवर किए जाने से रोकते हैं. ऐसे में उन्हें जर्मनी में सजा मिल पाना संभव नहीं है. पनामा में जिस मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा, वह एक ब्राजीली कंपनी ओबेदब्रेख्त से जुड़ा ब्राइबरी का मामला है. मामले में दोनों फिलहाल बेल पर हैं और आज से शुरू हो रहा ट्रायल 26 अप्रैल तक चलने वाला है. प्रोसेक्यूशन ने दोनों को 12 साल की जेल की सजा देने की मांग की है.

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