इस बार भयंकर गर्मी और लू चलने की बातें क्यों हो रही हैं?
इस बार भयंकर गर्मी और लू चलने की बातें क्यों हो रही हैं?
गर्मी कितनी भी तेज हो, अगर हवा में नमी बनी रहे तो ज्यादा परेशानी नहीं होती. मगर जब हवा इतनी गर्म हो जाए कि पसीना भी सूख न पाए, तब शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है और जानलेवा भी हो सकता है.
एल निनो और ला नीना नाम की दो मौसमी घटनाएं धरती के तापमान को प्रभावित करती हैं. पिछले 60 सालों (1961-2021) के आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में ला नीना के मुकाबले एल निनो के सालों में ज्यादा लू चलती है.
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से 1961 से 2021 के बीच भारत में लू के दिनों की संख्या करीब 2.5 दिन बढ़ गई है. अध्ययन में ये भी बताया गया है कि मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में गर्मी का कहर तेजी से बढ़ रहा है. आने वाले समय में यहां हर साल दो बार लू पड़ने की संभावना है, कुल मिलाकर साल में 12 से 18 दिन तक लू चल सकती है.
साल 2022 में मार्च से मई के बीच भारत में 280 दिन लू पड़ी थी जो पिछले 12 सालों में सबसे ज्यादा थी. राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और हरियाणा जैसे पांच राज्यों में साल 2022 में कुल 54% लू पड़ी थी. अध्ययन के अनुसार, अब तक दक्षिण भारत में कम ही लू पड़ती थी, लेकिन आने वाले सालों में वहां भी असामानीय रूप से ज्यादा गर्मी पड़ने की संभावना है.
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि अप्रैल से जून तक ज्यादातर राज्यों में तापमान सामान्य से ज्यादा रहने का अनुमान है. आमतौर पर हर साल गर्मी में 8 से 10 दिन लू चलती है, लेकिन इस बार अलग-अलग राज्यों में ज्यादा दिन लू पड़ने की संभावना है.
गर्मी और चुनाव एक साथ!
आने वाले ढाई महीने (अप्रैल से जून) में भारत में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ने का अनुमान है. ये ठीक वही समय है जब आम चुनाव होने वाले हैं, जिनमें करीब 96 करोड़ देशवासी वोट डालेंगे. ये चुनाव सात चरणों में होंगे और 1 जून तक चलेंगे. 4 जून को चुनाव के नतीजे घोषित होंगे. चुनाव आयोग ने गर्मी के दौरान मतदान सुचारू रूप से कराने के लिए एडवाइजरी जारी की है. इसमें मतदाताओं से पानी की बोतल साथ लाने और खुद को सीधी धूप से बचाने जैसी बातें कहीं हैं.
मौसम विभाग ने बताया कि इस साल गर्मी का सितम ज्यादातर राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में देखने को मिलेगा. पूर्वी, उत्तर-पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिम के कुछ इलाकों को छोड़कर ज्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से ज्यादा रह सकता है. इससे लोगों को गर्मी से होने वाली बीमारियां हो सकती हैं. खेती की पैदावार कम हो सकती है, पानी की कमी हो सकती है, बिजली की ज्यादा जरूरत पड़ सकती है और हवा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है.
आखिर क्या है ये लू?
लू वो स्थिति है जब हवा इतनी ज्यादा गर्म हो जाती है कि हमारे शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है. अलग-अलग देशों में लू मापने का तरीका अलग होता है. आमतौर पर, ये तापमान के आधार पर तय होता है. कुछ देशों में बहुत ज्यादा गर्म दिनों की संख्या के आधार पर भी लू को परिभाषित किया जाता है.
भारत में लू को तापमान के हिसाब से दो तरह से देखा जाता है. मैदानी इलाकों में अगर तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा हो जाता है तो लू मानी जाती है. वहीं पहाड़ी इलाकों में अगर तापमान कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा हो जाता है तो लू मानी जाती है.
लेकिन सिर्फ तापमान ही नहीं, बल्कि सामान्य तापमान से कितना फर्क है ये भी देखा जाता है. अगर सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस तापमान ज्यादा हो जाता है तो लू कहा जाता है और अगर सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस तापमान ज्यादा हो जाता है तो ये बहुत तेज गर्मी मानी जाती है.
आखिर इतनी गर्मी पड़ने का क्या है कारण
मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल की शुरुआत से ही गर्मी बढ़ाने वाला एल निनो कमजोर पड़ रहा है. हालांकि प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय इलाके में अभी भी हल्का एल निनो बना हुआ है जिसकी वजह से समुद्र की सतह का तापमान बढ़ रहा है. पानी का गर्म होना हवा के बहाव को प्रभावित करता है. प्रशांत महासागर पृथ्वी का लगभग एक तिहाई हिस्सा है, इसलिए इसके तापमान में बदलाव और हवा के रुख में बदलाव दुनियाभर के मौसम को प्रभावित कर सकता है.
हालांकि आने वाले समय में एल निनो कमजोर पड़ने का और फिर खत्म होने का अनुमान है. कुछ मौसम मॉडल ये भी बताते हैं कि मानसून के दौरान ला नीना आ सकता है, जिससे दक्षिण एशिया, खासकर भारत के उत्तर-पश्चिम और बांग्लादेश में ज्यादा बारिश हो सकती है. जून-अगस्त तक ला नीना आने से इस साल पिछले साल के मुकाबले मानसून ज्यादा अच्छा रह सकता है.
पिछले आंकड़ों के मुताबिक, जब भी एल निनो आता है, तो भारत में मानसून कमजोर पड़ जाता है और बारिश कम होती है. साल 2023 से ही एल निनो का असर बना हुआ है और बारिश कम हुई है. हालांकि एल निनो का मानसून पर पूरा असर कैसा होगा, ये अभी साफ नहीं है. लेकिन अप्रैल से जून तक बहुत ज्यादा गर्मी पड़ने का अनुमान है. इससे दक्षिण भारत में बहुत तेज बारिश और उत्तर भारत में सूखा पड़ सकता है.
भारत में अक्सर कब और कहां पड़ती है लू?
भारत में अक्सर लू मार्च से जून के महीनों में पड़ती है. कभी-कभी जुलाई में भी कुछ इलाकों में लू का सामना करना पड़ सकता है. मई का महीना पूरे देश में लू का सबसे तेज होता है. कुछ इलाके बाकी जगहों के मुकाबले ज्यादा गर्मी से प्रभावित होते हैं. गौर करने वाली बात ये है कि सबसे ज्यादा गर्मी यानी 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान खासकर मई के महीने में राजस्थान और विदर्भ इलाके में देखा जाता है.
IMD कई तरीकों से लू का अनुमान लगाता है. हवा का दबाव, दिशा, नमी जैसी चीजों का अध्ययन करके आने वाले दिनों में कैसा मौसम रहने का अंदाजा लगाता है. इसके अलावा मौसम विभाग विशेष मौसम मॉडल का इस्तेमाल करता है. ये मॉडल कंप्यूटर प्रोग्राम होते हैं, जिनकी मदद से हवा के रुख का अनुमान लगाया जाता है. भारत में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) कई ऐसे मॉडल चलाता है.
लू का हमारे स्वास्थ्य पर कैसा असर पड़ता है?
गर्मी में ज्यादा पसीना निकलने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है. शरीर में पानी की कमी होने से मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है. साथ ही, हल्का बुखार भी आ सकता है. बहुत गर्मी में कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी, मांसपेशियों में ऐंठन और पसीना आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
हीट स्ट्रोक लू से होने वाली सबसे गंभीर बीमारी है. इसमें शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा हो जाता है. साथ ही बेहोशी, दौरे या कोमा जैसी स्थिति भी बन सकती है. ये जानलेवा भी हो सकता है.
लू से बचने के लिए क्या उपाय करें
लू के समय खासकर दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए. प्यास लगे या न लगे, थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहना चाहिए. सूती के हल्के, ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनना चाहिए. जब बाहर बहुत गर्मी हो तो ज्यादा जोर लगाने वाले काम करने से बचना चाहिए. शराब, चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक्स से भी बचना चाहिए. ये चीजें शरीर का पानी कम करती हैं.
गर्मी के मौसम मे ज्यादा प्रोटीन वाला और बासी खाना बिल्कुल न खाएं. अगर बाहर काम करते हैं तो टोपी या छाता का इस्तेमाल करें. साथ ही सिर, गर्दन, चेहरे और हाथ-पैरों पर गीला कपड़ा रखें. गाड़ियों में बच्चों या पालतू जानवरों को न छोड़ें. अगर चक्कर आ रहा है या बीमार महसूस कर रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
पानी के साथ-साथ लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू पानी, छाछ आदि का सेवन करें. ये चीजें शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करती हैं. अपने आसपास जानवरों को छाया में रखें और उन्हें भरपूर पानी पिलाएं. घर में पंखा चलाकर रखें, गीले कपड़े पहनें और बार-बार ठंडे पानी से नहाएं.