ग्वालियर . : हमारे बस्ते का बोझ कम कराइए, कंधे बहुत दुखते हैं

 कलेक्टर मैम! हमारे बस्ते का बोझ कम कराइए, कंधे बहुत दुखते हैं
निजी स्कूल के विद्यार्थियों के बैग का वजन बढ़ चुका है, जिसके कारण विद्यार्थी गंभीर बीमारी के शिकार तक बन सकते हैं।
Gwalior education News: कलेक्टर मैम! हमारे बस्ते का बोझ कम कराइए, कंधे बहुत दुखते हैं
  1. छापेमारी में उलझे अफसर, इधर भारी बस्ते से बच्चों को स्पांडिलाइटिस का खतरा
  2. छोटे बच्चों के बैग का वजन दो से आठ किलो तक है

ग्वालियर … निजी स्कूल के विद्यार्थियों के बैग का वजन बढ़ चुका है, जिसके कारण विद्यार्थी गंभीर बीमारी के शिकार तक बन सकते हैं। बाल व शिशु रोग विशेषज्ञ डा. मुकुल तिवारी का कहना है कि लंबे समय तक पीठ व कंधे पर बोझ रहने से बच्चों में स्पांडिलाइटिस तक की शिकायत हो सकती है, लेकिन इससे निजी स्कूल संचालकों को क्या, क्योंकि वह शासन-प्रशासन के नियमों को तोड़ने से भी गुरेज नहीं करते।

इधर पूरा अमला स्कूल संचालकों की मनमानी को रोकने में व्यस्त है और उधर बच्चों के कंधों पर बोझ बढ़ गया है। आलम यह है कि छोटे बच्चों के बैग का वजन दो से आठ किलो तक है, लेकिन इसपर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। हालात यह हैं कि स्कूल में नोटिस बोर्ड तक पर शासन के आदेशों को स्कूल संचालकों द्वारा चस्पा नहीं किया गया, इसका खुलासा तब हुआ जब प्रशासन की टीम बीते रोज कुछ स्कूलों में कार्रवाई करने पहुंची। यहां स्कूल के बोर्ड पर फीस, पाठ्यक्रम और बैग आदि को लेकर नोटिस चस्पा नहीं मिला।
यह है स्कूलों की स्थिति

स्कूलों में स्कूल बैग के वजन के चार्ट नोटिस बोर्ड पर चस्पा नहीं किए गए हैं। कुछ स्कूलों ने इस तरह का शेड्यूल तय किया है, जिसमें सभी किताबें एक ही दिन न लाई जाएं, लेकिन यह शेड्यूल भी लागू नहीं हुआ है। स्कूलों में अभी नो बैग-डे का दिन भी तय नहीं किया गया है। बैग का वजन निर्धारित करना क्यों आवश्यक: बाल व शिशु रोग विशेषज्ञ डा. मुकुल तिवारी का कहना है कि बैग में अधिक वजन होने पर कंधे ,पीठ की मांसपेशियां और रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है, जिससे बच्चों में थकान, कंधे, पीठ व गर्दन में दर्द हो सकता है, जिसका कोई कारण नहीं होता। केवल वजन ही उसका कारण होता है, जिसके कारण कंधे झुक जाते हैं और बच्चे झुककर चलने लगते हैं। बड़े बच्चों में स्पांडिलाइटिस की शिकायत तक हो सकती है।

किस कक्षा में कितना भारी बैग

शासन द्वारा निर्धारित की गई पालसी में हर कक्षा के लिए बैग का वजन निर्धारित किया गया है, जिससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव ना पड़े।

कक्षा बैग का बजन

1 1.6 से 2.2 किलो

2 1.6 से 2.2 किलो

3 1.7 से 2.5 किलो

4 1.7 से 2.5 किलो

5 1.7 से 2.5 किलो

6 2 से 3 किलो

7 2 से 3 किलो

8 2.5 से 4 किलो

9 2.5 से 4.5 किलो

10 2.5 से 4.5 किलो

 

    • कक्षा 11 में बैग का वजन विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा निर्धारित

 

  • कक्षा 12 विषय स्ट्रीम के आधार पर तय किया जाएगा।

यह करना होगा स्कूलों मे

    • बोर्ड पर बैग का वजन चस्पा करें।
    • कक्षा 2 के विद्यार्थी को होमवर्क नहीं, कक्ष 3 से 5 तक के विद्यार्थी को सप्ताह में दो घंटे का होमवर्क, कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को प्रतिदिन एक घंटे और 9 से 12 तक के बच्चों का प्रतिदिनि 2 घंटे का होमवर्क ही दिया जाए।
    • समय निर्धारित करें, जिससे बैग का वजन निर्धारित सीमा से अधिक न हो और प्रतिदिन कापी-किताबें लेकर बच्चों को न आना पड़े।
  • कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों की अभ्यास पुस्तिका रखने की व्यवस्था हो। द्य कंप्यूटर, नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, स्वास्थ्य व शारीरिक शिक्षा, खेल व कला की कक्षा बिना पुस्तक के लगाई जाएं।

कुछ स्कूल खुल चुके हैं और कुछ खुलने वाले हैं। सभी स्कूल एक बार शुरू हो जाएं तो टीम से हर स्कूल में जांच कराई जाएगी। बच्चों के बैग का वजन भी नापा जाएगा। यदि निर्धारित सीमा से अधिक हुआ तो स्कूल संचालक पर कार्रवाई भी होगी। हर स्कूल को गाइडलाइन का पालन करना होगा ।

-अजय कटियार, जिला शिक्षा अधिकारी

छोटे बच्चों के बैग में अधिक बोझ होने से शरीर के पोस्चर में गड़बड़ी आ सकती है। जो आगे चलकर गंभीर बीमारी का कारण भी बन सकता है। कमर, हाथ, पैर में दर्द की शिकायत लेकर माता-पिता बच्चों को लेकर आते हैं, इससे बच्चे चिड़चिड़े भी हो जाते हैं, इसलिए बच्चों के बैग में वजन निर्धारित होना जरूरी है।

डा. रवि अंबे, बाल व शिशुरोग विशेषज्ञ जयारोग्य अस्पताल

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