आग से बचाव के उपाय न करने वाले पांच मैरिज गार्डन व दो कोचिंग सील ?

आग से बचाव के उपाय न करने वाले पांच मैरिज गार्डन व दो कोचिंग सील …
शहर में संचालित 300 मैरिज गार्डनों में से अधिकांश के पास आग लगने की घटनाओं से बचाव के कोई इंतजाम ही नहीं हैं। रंगमहल में हुई आगजनी के बाद नगर निगम प्रशासन की अब नींद खुली है, जिसको लेकर मैरिज गार्डनों का निरीक्षण किया जा रहा है।
Gwalior News: आग से बचाव के उपाय न करने वाले पांच मैरिज गार्डन व दो कोचिंग सील
शहर में संचालित 300 मैरिज गार्डनों में से अधिकांश के पास आग लगने की घटनाओं से बचाव के कोई इंतजाम ही नहीं हैं
  1. रंगमहल में हुई आगजनी के बाद नगर निगम प्रशासन की अब नींद खुली है …
 ग्वालियर: शहर में संचालित 300 मैरिज गार्डनों में से अधिकांश के पास आग लगने की घटनाओं से बचाव के कोई इंतजाम ही नहीं हैं। रंगमहल में हुई आगजनी के बाद नगर निगम प्रशासन की अब नींद खुली है, जिसको लेकर मैरिज गार्डनों का निरीक्षण किया जा रहा है। रविवार को नगर निगम के अफसर दल बल के साथ पांच मैरिज गार्डनों और दो कोचिंग संस्थानों में पहुंचे, यहां अग्निशमन यंत्रों की व्यवस्था ठीक न मिलने पर उन्हें सील कर दिया गया। अधीक्षण यंत्री डा. अतिबल सिंह यादव का कहना है कि अभियान के तौर पर हर दिन उन संस्थानों का निरीक्षण होगा, जिन्हें नोटिस दिया गया है। इन्हें किया सील: अधीक्षण यंत्री डा. अतिबल सिंह यादव ने बताया कि दोपहर के समय दल संस्कृति गार्डन, चंद्रशेखर गार्डन, भगत सिंह गार्डन, मधुर मिलन गार्डन, ग्रैंड पार्क गार्डन सहित दो कोचिंग संस्थान रेजोनेंस कोचिंग सिटी सेंटर व ज्ञानदा अकादमी पहुंचा था। जहां पर आगजनी से बचाव के कोई भी ठोस उपाय नहीं मिलने पर संस्थानों को शील करने की कार्रवाई की गई। इन संस्थानों में यह मिली थी स्थिति: नगर निगम अमला जब संस्कृति गार्डन, चंद्रशेखर गार्डन, भगत सिंह गार्डन, मधुर मिलन गार्डन, ग्रैंड पार्क गार्डन में पहुंचा तो वहां पर फाइबर और थर्माकाल से एक बड़ा कवर्ड हाल बना मिला था, जिसमें सिल्क पर्दे, मेटी आदि बिछा रखी थीं। इन गार्डनों में रसोई थी, लेकिन किसी भी स्थान पर फायर हाइड्रेंट सिस्टम लगा नहीं मिला और न ही फायर इक्विपमेंट मिले। आलम यह था कि पानी का टैंक तक नहीं बना रखा था जो आगजनी जैसी घटनाओं के दौरान पानी डालकर काबू पाया जा सके।
कोचिंग सेंटर में भी बुरे हाल

निगम अमला रेजोनेंस कोचिंग सिटी सेंटर व ज्ञानदा अकादमी पहुंचा तो वहां पर भी आगजनी से बचाव के कोई उपाय नहीं मिले। यहां तक कि फायर इक्विपमेंट तक नहीं रखे थे। ऐसे में आगजनी की घटना हो तो उसपर काबू नहीं पाया जा सकता है। इन हालातों को देखते हुए दोनों कोचिंग सेंटर पर कार्रवाई की गई।

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भीषण अग्निकांड के बाद बता रहे-संगम वाटिका में हाइड्रेंट था न सुरक्षा उपकरण
संगम वाटिका और रंगमहल गार्डन में भीषण अग्निकांड के बाद अब जिम्मेदार अफसरों की आंखें खुलीं और जांच में कमियां उजागर कर रहे हैं। हकीकत में इस अग्निकांड के लिए गार्डन संचालक से लेकर सभी अफसर बराबर के जिम्मेदार हैं।
Gwalior News: भीषण अग्निकांड के बाद बता रहे-संगम वाटिका में हाइड्रेंट था न सुरक्षा उपकरण
  1. छह नोटिस के बाद भी सोते रहे अफसर, नहीं की कार्रवाई
  2. भीषण अग्निकांड के बाद अब जिम्मेदार अफसरों की आंखें खुलीं और जांच में कमियां उजागर कर रहे हैं
ग्वालियर: संगम वाटिका और रंगमहल गार्डन में भीषण अग्निकांड के बाद अब जिम्मेदार अफसरों की आंखें खुलीं और जांच में कमियां उजागर कर रहे हैं। हकीकत में इस अग्निकांड के लिए गार्डन संचालक से लेकर सभी अफसर बराबर के जिम्मेदार हैं। अग्निकांड के बाद अफसरों को कमियां पता चलीं, क्योंकि वाटिका संचालक को एक नहीं छह बार नोटिस जारी किए थे, अफसर नोटिस देते रहे और गार्डन संचालक दबाता चला गया। यह बड़ी साठगांठ नहीं तो और क्या है। एक और खास बात यह कि संचालक ने एक भी नोटिस का जवाब नहीं दिया और अफसर अग्निकांड का इंतजार करते रहे। पहले ही कार्रवाई हो जाती तो सैकड़ों लोग खतरे में न पड़ते। अफसर इतने बेहोश हो सकते हैं कि इन्हीं दोनों वाटिकाओं में पिछले साल अग्निकांड हो चुके हैं, तब यह हालात हैं। मानीटरिंग से लेकर कार्रवाई तक का पूरा सिस्टम ही राख हो चुका है। रविवार को जांच दल ने मौके पर पड़ताल की तो पता चला यहां आग से बचाव के इंतजाम शून्य थे, न वाटर टैंक था न उपकरण थे। अब वैध दस्तावेजों को सोमवार को मांगा है।
जांच दल: पड़ताल में अब यह खामियां गिना रहे
    • एसडीएम विनोद सिंह के नेतृत्व में जांच दल के सदस्य विश्वविद्यालय सर्किल की सीएसपी हिना खान, कनिष्ठ आपूर्ति नियंत्रक महावीर राठौर, फायर आफिसर अतिबल सिंह यादव, असिस्टेंट इंजीनियर इलेक्ट्रिकल सेफ्टी आरएस वैश्य ने जांच की। फायर आफिसर अतिबल सिंह ने जांच के दौरान यह खामियां बताईं।
    • संगम वाटिका व रंग महल में फायर हाइड्रेंट सिस्टम लगा नहीं मिला।
    • संगम वाटिका में आग पर काबू पाने के लिए फायर सेफ्टी के छोटे सिलेंडर भी नहीं मिले।
    • विद्युत सुरक्षा प्रमाण पत्र भी नहीं दिखा सके।
    • गार्डन संचालन की वैद्य अनुमति भी संचालक नहीं दिखा सके।
    • जांच दल को रसोई गैस के उपयोग होने के प्रमाण मिले हैं।
    • विद्युत सुरक्षा हेतु पुख्ता इंतजाम नहीं मिले।
    • आगजनी का कारण जांच दल एसी का कंप्रेशर पटना बता रहा है।
  • फायर फाइटिंग सिस्टम को आपरेट करने वाला प्रशिक्षित स्टाफ नहीं मिला।
“आग” इन्होंने भी लगाई: पिछले वर्ष भी लगी थी आग, फिर भी सिर्फ नोटिस ही देते रहे
फयर अफसर डा. अतिबल सिंह

नगर निगम के फायर आफिसर डा. अतिबल सिंह यादव जिन्होंने गार्डन में आगजनी से बचाव के उपाय न होने पर कोई कार्रवाई नहीं की। कार्रवाई के नाम पर वह नोटिस पर नोटिस देकर खानापूर्ति करते रहे। जबकि उन्हें गार्डन में फायर सेफ्टी के इंतजाम न होने पर पहले ही सील कर देना था। उनकी आंखों के सामने गार्डन संचालित होता रहा और हादसा हो गया। जबकि संगम वाटिका में व रंग महल में पिछले वर्ष लगी आग की उन्हें जानकारी भी थी।

गार्डन संचालक नरेश खंडेलवाल

संगम वाटिका और रंग महल गार्डन के संचालक नरेश खंडेलवाल ने गार्डन में फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं कर रखे थे। गार्डन में होने वाले आयोजन में हजारों की संख्या में भीड़ पहुंचती है। शनिवार को भी संगम वाटिका में सगाई का आयोजन था जिसमें 300 लोग शामिल हुए थे जिन्हें खतरे में डाला।

विद्युत सुरक्षा आयोग के असिस्टेंट इंजीनियर

मध्य प्रदेश विद्युत सुरक्षा आयोग द्वारा गार्डन में विद्युत सुरक्षा प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। मध्य प्रदेश विद्युत सुरक्षा आयोग ग्वालियर संभाग के असिस्टेंट इंजीनियर आरएस वैश्य ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। न ही कभी गार्डन का निरीक्षण कर वहां पर विद्युत सुरक्षा के मापदंडों की जांच की । यदि जांच की होती तो शार्ट सर्किट या एसी के कंप्रेशर फटने की बात जो सामने आ रही है उस पर लगाम लगाई जा सकती थी।

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