कैसे मीडिया के प्रचार से गायब हो गईं हैं स्मृति ईरानी?

कैसे मीडिया के प्रचार से गायब हो गईं हैं स्मृति ईरानी?
अमेठी-रायबरेली में नामांकन के आखिरी दिन सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा वहां पहुंचे थे. सोनिया और राहुल वापस चले गए, जबकि प्रियंका वहां सक्रिय हैं. वो एक अच्छी वक्ता हैं. भाई राहुल गांधी से जुदा अंदाज में बिना आवेश के शांत-संयत तरीके से श्रोताओं से खुद को जोड़ लेती हैं.

अब सवाल स्मृति ईरानी से हो रहे हैं, जवाब की बारी उनकी है. उन्हें घेरने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली और अमेठी में मौजूद हैं. उनकी ये कोशिशें वोटों में कितना तब्दील होती हैं, इसका फैसला आगे होगा. लेकिन मीडिया के फोकस के नजरिए से फिलहाल प्रियंका ने बढ़त बना ली है. अमेठी से उम्मीदवारी के सवाल पर गांधी परिवार के पिछड़ने के बाद भी प्रियंका सफाई की मुद्रा में नहीं हैं.

प्रियंका का अलग अंदाज

अमेठी-रायबरेली में नामांकन के आखिरी दिन सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा वहां पहुंचे थे. सोनिया और राहुल वापस चले गए, जबकि प्रियंका वहां सक्रिय हैं. वो एक अच्छी वक्ता हैं, भाई राहुल गांधी से जुदा अंदाज में बिना आवेश के शांत-संयत तरीके से श्रोता से खुद को जोड़ लेती हैं. भीड़ खींचती हैं और मीडिया की चहेती हैं. सवालों से कतराती नहीं हैं और कुछ ऐसा बोलती हैं, जो सुर्खी बन जाती है. लंबे समय से सोनिया रायबरेली से अनुपस्थित थीं. राहुल गांधी ने भी अमेठी से दूरी बना ली थी. विपक्ष लापता था तो सत्ता के लिए अपनी ही बॉलिंग पर छक्के लगाने के लिए खुला मैदान था. वहीं अब प्रियंका की मोर्चेबंदी ने इसे रोका है और मुकाबले का माहौल बनाया है.

कैसे मीडिया के प्रचार से गायब हो गईं हैं स्मृति ईरानी?

अमेठी से बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी
स्मृति की मुश्किलें बढ़ीं

स्मृति ईरानी ने अमेठी को खूब समय दिया है. खूब मेहनत भी की है. स्मृति 2014 में हारीं फिर भी मंत्री बनीं. इसने उन्हें ताकत दी. गांधी परिवार को अमेठी में समय- समय पर चुनौती देने और पराजित होने वाले उम्मीदवारों में वो अकेली खुशकिस्मत थीं, जिनकी पार्टी सत्ता में आई और पराजित उम्मीदवार का रुतबा कायम किया. अगले पांच साल स्मृति ने अमेठी के बहाने राहुल गांधी और परिवार पर डट कर निशाने साधे. राहुल ने इनकी अनदेखी की और आमतौर पर उदासीन रहे.

इसके बाद 2019 की हार ने रही सही कसर पूरी कर दी. राहुल गांधी ने अमेठी से दूरी बनाई और स्मृति ने आरोपों की बौछार जारी रखी. 2024 में आखिरी वक्त तक कांग्रेस के उम्मीदवार को लेकर सस्पेंस और फिर राहुल अथवा प्रियंका नहीं, बल्कि किशोरी लाल शर्मा के उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि स्मृति की लड़ाई आसान हो गई. लेकिन प्रचार के केंद्र में प्रियंका के आने के बाद स्मृति के लिए चुनौती बढ़ी है.

चुनाव प्रचार की मौजूदा व्यवस्था में पोस्टर, बैनर, होर्डिंग कुछ भी तो नहीं हैं. न जगह-जगह गूंजते माइक हैं और न ही शोर-शराबा. मई की प्रचंड गर्मी, तीखी धूप, सूनी सड़कें हैं. नुक्कड़ सभाएं और रोड शो इस सन्नाटे को थोड़ा बहुत तोड़ने की कोशिश करते हैं. चुनाव नजर आता है तो सोशल मीडिया या फिर नेशनल मीडिया पर. यह मीडिया वोट नहीं दिला सकता लेकिन माहौल बनाता है. उस पर माैजूद चेहरे खुद उम्मीदवार न होने पर भी अपने उम्मीदवार को लड़ाई में खड़ा कर देते हैं.

अमेठी में प्रियंका इसमें सफल होती दिख रही हैं. इसकी वजह है, उत्तर प्रदेश में निस्तेज हो चुकी कांग्रेस गांधी परिवार की बदौलत अमेठी और रायबरेली में अपनी मौजूदगी बनाए हुए है. तमाम शिकायतों के बाद भी चुनाव के वक्त इस परिवार के सदस्यों से शुरुआती गिले-शिकवों और सफाई के बाद ढीले पड़े वर्कर एक्टिव हो जाते हैं.

प्रियंका के अमेठी-रायबरेली पहुंचते ही मीडिया के उन पर फोकस की वजह स्मृति ईरानी खुद भी हैं. जब तब मीडिया और उससे जुड़े लोगों को वे निशाने पर लेती रही हैं. राहुल के खिलाफ 2019 की जीत तक उनका आक्रामक अंदाज सत्ता से संघर्ष की बदौलत सराहा गया. अमेठी में गांधी परिवार पर जीत दर्ज करके उनका कद बढ़ा. केंद्र और राज्य में अपनी सरकारें और खुद मंत्री होने की बदौलत वो क्षेत्र में काफी कुछ कर सकीं. लेकिन इस सक्रियता के साथ ही असंतोष और शिकायतों के स्वर भी बढ़े हैं. शिकायतें उनसे भी हैं और उनके प्रतिनिधि से भी. मीडिया उन्हें सहज, सरल और फ्रेंडली नहीं पाता.

इन दिनों मीडिया के चुभते सवालों के जवाब की जगह उस पर पलटवार का चलन बढ़ा है. स्मृति भी ऐसा कोई मौका नहीं छोड़तीं. राहुल गांधी भी उसी रास्ते पर चलते हैं. लेकिन प्रियंका का अंदाज अलग है. उनकी यह छवि पार्टी के पिछड़ने पर भी मीडिया को उनकी ओर आकर्षित करती है.

रायबरेली में राहुल मजबूत, अमेठी में मुकाबला

रायबरेली-अमेठी के चुनाव प्रचार में दमदार उपस्थिति के बाद भी प्रियंका भाई राहुल गांधी और सहयोगी किशोरी लाल शर्मा के लिए कितनी मददगार साबित होती हैं, इसकी उत्सुकता वोटों की गिनती तक बनी रहेगी. रायबरेली की अलग तस्वीर है, वहां राहुल गांधी उम्मीदवार हैं. वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर सुधीर मिश्र के अनुसार गांधी परिवार से जुड़ाव के कारण रायबरेली को अलग पहचान मिलती है. यह मुद्दा राहुल को मजबूती देता है. हालांकि उनकी राय में पिछली बार की तुलना में अंतर घट सकता है.

अमेठी के तीन विधानसभा क्षेत्रों सलोन, तिलोई और गौरीगंज के दौरे में वरिष्ठ पत्रकार गौरव अवस्थी ने स्मृति ईरानी और उनके प्रतिनिधि विजय गुप्ता के खिलाफ अनेक लोगों को शिकायतें करते पाया. अवस्थी के अनुसार वहां कड़े मुकाबले की स्थिति नजर आ रही है. कम वक्त में किशोरी लाल शर्मा के मुकाबले में आने की बड़ी वजह वहां की प्रियंका की मौजूदगी मानी जा रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *