रेत खनन पर सीएम की सख्ती के बीच नया आदेश !
रेत खनन पर सीएम की सख्ती के बीच नया आदेश
नई रेत खदानों की तलाश करें कलेक्टर, 250 हेक्टेयर तक की खदानों पर ज्यादा फोकस
रेत के अवैध खनन पर सख्ती के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बीच राज्य सरकार ने प्रदेश में नई रेत खदानें घोषित करने के निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं। इसके लिए कलेक्टरों को कहा है कि नदी के किनारों पर नई रेत खदानें घोषित करने के लिए राज्य स्तर पर एमपी स्टेट एनवायरनमेंट इपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) से मिलने वाली 250 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाली भूमि पर फोकस किया जाए, ताकि राज्य सरकार के स्तर पर ही अधिक से अधिक रेत खदानें घोषित की जा सकें।
प्रमुख सचिव खनिज साधन विभाग ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर जिन क्षेत्रों में रेत खदानें नहीं हैं, वहां रेत खदानों की जांच और सीमांकन कराकर नई रेत खदानें तैयार कराने के लिए कहा है। कलेक्टरों को यह भी जानकारी दी है कि नई रेत खदानों की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि पुरानी खदानों के समीप पुल, स्ट्रक्चर डेवलप हो गए हैं। इसलिए ऐसी 87 रेत खदानों में खनन की मंजूरी नहीं मिल रही है।
नई खदान के लिए यह प्रक्रिया पूरी करेंगे कलेक्टर
कलेक्टरों को जारी निर्देश में प्रमुख सचिव श्रीवास्तव ने कहा है कि नई खदानों की घोषणा को लेकर नियम 5 (2) में प्रावधान किया है। चिह्नित रेत खदान की जानकारी के आवेदन मिलने के बाद कलेक्टर द्वारा इसकी जांच कराई जाएगी, और जब उचित लगेगा तो खदान घोषित की जाएगी। रेत खदान घोषित करने के पूर्व ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय से अभिमत लिया जाएगा और इस प्रयोजन के लिए एक औपचारिक आदेश जारी किया जाएगा।
यदि संबंधित ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय की ओर से 15 दिन की अवधि में कोई अभिमत नहीं मिलता है तो कलेक्टर इसमें आपत्ति न मानकर गैर अधिसूचित क्षेत्र में नई खदान घोषित कर सकेंगे। अगर आपत्ति प्राप्त होती है तो कलेक्टर आपत्ति का निराकरण कर खदान घोषित करने के लिए फैसला करेंगे। इसके लिए ग्राम सभा की सहमति और एनओसी लेना जरूरी होगा।
नई रेत खदानें घोषित करने की टाइम लाइन तय
जारी निर्देश में कहा है कि पहले फेज में रेत वाले क्षेत्रों जो कि अब तक खदान के रूप में घोषित नहीं हैं। उन्हें चिह्नित किया जाए, और सीमांकन करके तय प्रावधानों के अंतर्गत खदान के रूप में घोषित करना है। ऐसा इसलिए करना है ताकि खनिज विकास निगम द्वारा सभी नवीन घोषित खदानों की वैधानिक अनुमति हासिल कर उन्हें एमडीओ को रेत खनन और विक्रय के लिए सौंपा जा सके। यह काम 15 जुलाई 2024 तक पूरा किया जाना है।
केंद्र के बजाय राज्य से परमिशन का रास्ता निकाला
वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के 24 अप्रैल 2022 के सर्कुलर के मुताबिक राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण को रेत के मामलों में 250 हेक्टेयर तक के मामलों में परमिशन देने का अधिकार है। इसलिए आदेश में यह भी कहा गया है कि नदियों के किनारे अधिकतम 250 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले ऐसे इलाकों को चिह्नित किया जाए और उन्हें नए सिरे से 90 दिन में खदान के रूप में घोषित किया जाए।
इसके लिए मध्यप्रदेश सिया से पर्यावरणीय स्वीकृति ली जा सकेगी। इस व्यवस्था के माध्यम से सरकार केंद्र से परमिशन लेने के बजाय राज्य स्तर पर प्रकरणों के निराकरण करने और नई खदानें घोषित करने का रास्ता निकाल रही है। यह प्रक्रिया 15 सितम्बर 2024 तक पूरा करने के लिए कहा गया है।
एमडीओ को दी गई है खनन और बिक्री की जिम्मेदारी
कलेक्टरों को भेजे निर्देश में प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव ने कहा है कि रेत खनन, परिवहन, भंडारण तथा व्यापार नियम 2019 में कहा गया है कि खनिज निगम द्वारा सभी रेत खदानों का खनि पट्टा स्वीकृत किया है। निगम द्वारा इन खदानों को वैधानिक अनुमति लेकर ई-निविदा सह नीलामी के माध्यम से रेत खनन और बिक्री के लिए माइन डेवलपर कम आपरेटर (एमडीओ) की नियुक्ति की गई है।
इस कारण 87 रेत खदानों की परमिशन नामंजूर
निर्देश में कहा गया है कि नदी पर निर्मित स्ट्रक्चर जैसे पुल, सार्वजनिक सिविल स्ट्रक्चर आदि से एक तय दूरी तक खनन योजना मंजूर नहीं की जा सकती है। इसके लिए भारत सरकार के 2020 में नियम जारी हुए हैं। पूर्व घोषित खदानों के समीप पुल व अन्य स्ट्रक्चर डेवलप हो जाने के कारण आज तक मध्यप्रदेश सिया द्वारा 87 रेत खदानों की पर्यावरणीय स्वीकृत नामंजूर की जा चुकी है।
एमडीओ ऐसे कर सकेंगे खदानों पर काम
कलेक्टरों को लिखे पत्र में कहा है कि रेत खदानों में माइन डेवलपर कम आपरेटर की नियुक्ति संबंधी एग्रीमेंट में एमडीओ को यह विकल्प दिया गया है कि वह पहले से टेंडर में शामिल ऐसी खदानों जो कि वैधानिक कारणों से संचालन के योग्य नहीं हैं, उनको नई खदान से प्रतिस्थापित कर सकता है या समूह में कम मात्रा की वैधानिक परमिशन मिलने पर इस सीमा तक नई खदानों को प्रति स्थापित कर सकेगा। नई खदान की अतिरिक्त मात्रा के विरुद्ध एमडीओ द्वारा शासन को अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाने का भी प्रावधान है। प्रमुख सचिव ने कहा है कि रेत खदान न उपलब्ध कराने पर एमडीओ द्वारा कई बार कोर्ट में केस दायर किए जाते हैं। कोर्ट केस से बचने और अवैध उत्खनन की रोकथाम कर शासन को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति के लिए सभी रेत वाले क्षेत्रों में जो कि अब तक खदान के रूप में घोषित नहीं हैं उन्हें खदान के रूप में घोषित किया जाना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि अवैध खनन में लगी मशीन तुरंत हो जब्त
इस बीच मंगलवार को हुई बैठक में सीएम डॉक्टर यादव ने दो टूक कहा है कि अगर कहीं बगैर परमिशन अवैध उत्खनन करती मशीन मिले तो उसे तुरंत जब्त किया जाए और इस मामले में सख्त कार्यवाही की जाए। साथ ही अवैध खनन, परिवहन, भंडारण के लिए अभियान चलाकर कार्यवाही की जाए।