इंदौर में नोटा को ‘प्रत्याशी’ बताकर अपने परंपरागत वोट खो बैठी कांग्रेस !

इंदौर में नोटा को ‘प्रत्याशी’ बताकर अपने परंपरागत वोट खो बैठी कांग्रेस
 इंदौर में नोटा को भले ही 2 लाख 18 हजार 674 मत मिले, लेकिन इसका कोई महत्व नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि नियमानुसार विजयी प्रत्याशी की जीत का अंतर दूसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी को मिले मतों से निकाला जाता है।
  1. 2019 के चुनाव के मुकाबले सिर्फ 53 हजार मत कम पड़े
  2. कांग्रेस के वोट आधे से भी कम रह गए
  3.  इंदौर लोकसभा क्षेत्र में 25 लाख 26 हजार 803 मतदाता हैं।

 इंदौर। भाजपा के गढ़ इंदौर में अपना प्रत्याशी गंवाने के बाद नोटा के भरोसे चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस को करारा झटका लगा। मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी को 11 लाख 75 हजार मत देकर उनके सिर देश की सबसे बड़ी जीत का सेहरा सजा दिया, लेकिन कांग्रेस को नोटा के लिए अपना प्रत्याशी बताकर वोट करने की अपील भारी पड़ गई। उसे अपने परंपरागत मतदाताओं से भी हाथ धोना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को  इंदौर लोकसभा सीट पर पांच लाख 20 हजार से ज्यादा मत मिले थे, लेकिन इस चुनाव में शहरभर में पोस्टर चिपकाने और नोटा के समर्थन में रैलियां निकालने के बावजूद वह दो लाख से ज्यादा मत नोटा को नहीं दिलवा सकी।

कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में अपने तीन लाख से ज्यादा परंपरागत मतदाताओं को खो दिया। ऐसा भी नहीं कि कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान में नहीं होने की वजह से मतदान में बहुत ज्यादा फर्क पड़ा हो। वर्ष 2019 में जहां  इंदौर में 16 लाख 15 हजार मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था, वहीं इस बार यह संख्या 15 लाख 62 हजार रही।

यानी वर्ष 2019 के मुकाबले सिर्फ 53 हजार मत ही कम पड़े। इसमें भी 12 लाख 26 हजार 751 मतदाताओं ने भाजपा को समर्थन दिया है। यह किसी भी लोकसभा चुनाव में किसी भी प्रत्याशी को मिले अब तक के सबसे ज्यादा मत हैं। यह वह रिकार्ड है, जो वर्षो तक न सिर्फ याद रखा जाएगा बल्कि इसे भविष्य में तोड़ना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।

विधानसभा चुनाव में साथ आने वाले मतदाताओं ने भी नहीं दिया साथ
छह माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को  इंदौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी आठ सीटों पर हार का सामना भले ही करना पड़ा हो, लेकिन उसके बाद भी इन सीटों पर 6.80 लाख मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशियों को समर्थन दिया था।
 इंदौर लोकसभा क्षेत्र में 25 लाख 26 हजार 803 मतदाता हैं। इनमें से 15 लाख 65 हजार 706 ने लोकसभा चुनाव में मतदान किया था। कांग्रेस ने नोटा को प्रत्याशी बनाकर 2 लाख 18 हजार 674 मतदाताओं से नोटा के पक्ष में मतदान करवाया लेकिन छह माह में ही उसे विधानसभा चुनाव की तुलना में साढ़े चार लाख से ज्यादा मतदाताओं का नुकसान तो हुआ ही है।
नोटा में बने रिकार्ड के कोई मायने नहीं
 इंदौर में नोटा को भले ही 2 लाख 18 हजार 674 मत मिले, लेकिन इसका कोई महत्व नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि नियमानुसार विजयी प्रत्याशी की जीत का अंतर दूसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी को मिले मतों से निकाला जाता है। नोटा को मिले मतों से नहीं।  इंदौर में भाजपा प्रत्याशी को 12 लाख 26 हजार 751 मत प्राप्त हुए जबकि उनके दूसरे स्थान पर रहे प्रतिद्वंदी बसपा के संजय सोलंकी को 51 हजार 659 मत। यही वजह है कि भाजपा प्रत्याशी की जीत का अंतर 11 लाख 75 हजार 92 मत ही जोड़ा जाएगा।

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