Crime File Indore : भूमाफिया के चक्कर में लोकायुक्त में फंसे अफसर !
भूमाफिया के चक्कर में लोकायुक्त में फंसे अफसर
Crime File Indore: माफिया के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर जांच करने वाले अफसर अब खुद को बचाने के रास्ते ढूंढ रहे हैं।भूमाफिया पर सख्ती पुलिस अफसरों के गले की हड्डी बन गई।
भूमाफिया पर सख्ती पुलिस अफसरों के गले की हड्डी बन गई। जिस मामले में एफआइआर दर्ज की उसमें लोकायुक्त ने घेर लिया। पुलिसवाले अब माफिया के आगे-पीछे घूम रहे हैं। तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने दीपक मद्दा उर्फ दिलीप सिसोदिया के विरुद्ध एमआइजी-खजराना थाने में जमीनों की हेराफेरी के केस दर्ज करवाए थे। मद्दा पुलिस प्रशासन को गच्चा दे गया और अग्रिम जमानत करवा लाया। सबक सिखाने के लिए पुलिस ने खजराना, क्राइम ब्रांच और तिलकनगर थाने में तीन केस दर्ज करवा डाले। मद्दा ने तीनों मामले में गिरफ्तारी तो दे दी लेकिन बेटे हार्दिक से लोकायुक्त में शिकायत करवा दी। स्वयं लोकायुक्त ने हार्दिक की शिकायत को न सिर्फ गंभीरता से लिया बल्कि जोन-2 के डीसीपी अभिषेक आनंद और जांच अफसरों से प्रतिवेदन मांग लिया। माफिया के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर जांच करने वाले अफसर अब खुद को बचाने के रास्ते ढूंढ रहे हैं।
एसडीएम और महिला अफसरों में तनातनी
शहर में पदस्थ एक एसडीएम और महिला अफसरों में जबरदस्त तनातनी चल रही है। निर्वाचन कार्य कर रहे दोनों अफसर एक-दूसरे के विरुद्ध पत्राचार कर चुके हैं। शिकायत के कारण दोनों एक-दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हैं। अफसर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-210 का कार्य करवा रहे हैं। उन्होंने महिला अफसर पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए पत्र लिखा कि वे कर्मचारियों को धमका रही है। बैठक में बुलाने पर बोलती है तुम बहुत तेज चल रहे हो। वाट्सएप और फोन पर फटकार लगा देती है। एसडीएम ने सिविल सेवा आचरण का उल्लंघन बताते हुए बड़े अधिकारियों को पत्र भेजा है। उधर महिला पुलिस अफसर ने भी डीसीपी को मेल कर एसडीएम पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। एसडीएम के विरुद्ध स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग की महिलाएं भी एकजुट हो रही हैं। आरोप है कि अपने अधीनस्थों से फोन करवा कर परेशान करते हैं।
थाने के लिए परेशान एसपी का खास टीआइ
समीपस्थ जिले के पूर्व एसपी के करीबी टीआइ थाने के लिए परेशान हैं। बड़े थाने की चाह में इंदौर आए टीआइ को पुलिस आयुक्त मकरंद देऊस्कर ने जोन-1 के संवेदनशील क्षेत्र में पदस्थ कर दिया। टीआइ की नगरीय सीमा में पहली पोस्टिंग है। कानून व्यवस्था के हालात और हिरासत में मौत होने के बाद भी टीआइ इसके पूर्व मनमाफिक थानों में रहते आए हैं। साहब ने कहा था कि एक बार नगरीय सीमा पहुंच जाओ थाना तो पसंद का दिलवा देंगे। टीआइ और एसपी भूल गए कि आयुक्त दबाव-प्रभाव में आने वालों में नहीं हैं। बताते हैं एक महीना बीतते ही टीआइ उन थानों में उथल-पुथल मचाने लगे जहां जाना चाहते हैं। लूपलाइन में बैठे कई निरीक्षकों को भी बदलाव की उम्मीद है। यही वजह है कि निरीक्षक ही निरीक्षकों के खिलाफ जासूसी करवा रहे हैं।
उपायुक्तों के कारण बनाया पुलिस प्रवक्ता
पुलिस कमिश्नोरेट में पहली बार सीबीआइ की तरह पुलिस प्रवक्ता बनाया गया है। कमिश्नर मकरंद देऊस्कर ने अपराध शाखा के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडौतिया को प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी है। इस नियुक्ति के पीछे उपायुक्तों (डीसीपी) स्तर के अफसरों की मीडिया से बनी दूरी बताई जा रही है। नगरीय सीमा में थाना प्रभारी से लेकर डीसीपी तक नए आए हैं। पुराने अफसरों का मीडिया से तालमेल था, लेकिन नए अफसर उतने ही दूर हो गए। सिलसिलेवार हुए अपराधों के कारण पुलिस को किरकिरी का सामना करना पड़ा। सीपी ने डीसीपी को समझाया लेकिन अफसर अपने-अपने क्षेत्रों के वाट्सएप ग्रुप बना कर रह गए। नतीजतन छोटी-मोटी घटनाओं में भी सीपी को आगे आना पड़ा। अंतत: सीपी ने दंडौतिया को प्रवक्ता बनाया और तय किया कि इलेक्ट्रानिक मीडिया को न सिर्फ प्रतिदिन ब्रीफिंग करेंगे बल्कि इंदौर पुलिस की उपलब्धियों को भी बताया जाएगा।