केरल से सबसे ज्यादा लोग क्यों जाते हैं विदेश?
केरल से सबसे ज्यादा लोग क्यों जाते हैं विदेश? 5 साल में छात्रों की संख्या दोगुनी
केरल से विदेश में रहने वाले कुल छात्रों में 45.6% छात्राएं हैं …
दुनियाभर में रहने वाले मलयाली समुदाय की कुल संख्या करीब 50 लाख है. जबकि भारत के ही दूसरे राज्यों में रहने वाले केरलवासियों की संख्या करीब 30 लाख है.
केरल ऐसा राज्य है जहां से सबसे ज्यादा लोग विदेश जाते हैं. रिजर्व बैंक के सर्वे के अनुसार, विदेशों से भारत में आने वाले कुल पैसों में से 19% अकेले केरल में आते हैं. भारत दुनिया में सबसे ज्यादा विदेशी पैसा पाने वाला देश है और केरल पूरे भारत में सबसे ज्यादा विदेशी पैसा पाने वाला राज्य है.
अब लोक केरल सभा में केरल माइग्रेशन सर्वे (केएमएस) 2023 की रिपोर्ट जारी कर दी गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, केरल की नई पीढ़ी (Gen-Z) अब खाड़ी देशों (Gulf) की बजाय पश्चिमी देशों में जाने को ज्यादा तरजीह दे रही है. अच्छी बात ये है कि विदेश जाने वाले लोगों की संख्या में थोड़ी बढ़ी है, लेकिन वापस आने वालों की संख्या ज्यादा बढ़ी है.
विदेश जाने वालों में महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही है. 2018 में ये आंकड़ा 15.8% था, जो 2023 में बढ़कर 19.1% हो गया है. विदेश जाने वालों में धर्म के हिसाब से देखा जाए, तो 41.9% मुस्लिम समुदाय से हैं, इसके बाद हिंदू 35.2% और ईसाई 22.3% हैं.
क्या है केरल माइग्रेशन सर्वे का मकसद
केरल और यहां लोगों के बाहर जाने का रिश्ता बहुत पुराना है. 1970 के दशक से ही बहुत सारे लोग केरल से बाहर जा रहे हैं. खास तौर से खाड़ी देशों (Gulf Cooperation Council या GCC देशों) में जाने का सिलसिला बहुत लंबा चला है.
लाखों की संख्या में केरलवासी रोजगार की तलाश में इन देशों में गए. इसी को देखते हुए 1998 में केरल माइग्रेशन सर्वे (KMS) की शुरुआत हुई. इसकी अगुवाई प्रोफेसर केसी जकारिया और प्रोफेसर एस इरुदया राजन ने की थी.
इस सर्वे का मुख्य मकसद ये था कि विदेश जाने वालों (Emigrants), वापस आने वालों (Return Emigrants), दूसरे राज्यों में जाने वालों (Out Emigrants), उनमें से वापस आने वालों (Return Out Emigrants) और उनके द्वारा भेजे जाने वाले पैसों (Remittances) का डेटा इकट्ठा किया जाए. साथ ही ये सर्वे ये भी बताएगा कि विदेश जाने का असर उनके परिवार, समाज और अर्थव्यवस्था पर क्या असर होता है.
समझिए कैसे किया जाता है ये सर्वे
अगर हमें केरल में रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी जुटानी है, लेकिन हर घर से जाकर पूछना मुश्किल है. इसलिए सर्वे करने वाले लोग ‘सैंपल’ चुनते हैं. इस सर्वे में उन्होंने केरल के सभी 14 जिलों से 20,000 घरों को चुना. लेकिन ये घर ऐसे ही नहीं चुन लिए गए बल्कि एक खास तरीका अपनाया गया.
सबसे पहले पूरे केरल को दो भागों में बांटा गया- गांव और शहर. फिर हर जिले में गांव और शहर के हिसाब से अलग-अलग इलाके चुने गए. इलाकों को चुनते समय इस बात का ध्यान रखा गया कि वहां कितने घर हैं. इस तरह पूरे राज्य में 500 इलाके चुन लिए गए और हर इलाके से 40-40 घरों को चुना गया.
इस तरह पूरे केरल में 20,000 घरों को शामिल करके ये सर्वे केरल के अब तक के सबसे बड़े सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षणों में से एक बन गया है. इसकी तुलना करें तो पूरे राज्य में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) में केवल 12,330 घरों को ही शामिल किया गया था.
विदेश जाने वालों की संख्या में कितना इजाफा
सर्वे के मुताबिक, इस वक्त (2023) करीब 22 लाख लोग केरल से बाहर काम कर रहे हैं. ये आंकड़ा 2018 के आंकड़े (21 लाख) से थोड़ा ज्यादा है. लेकिन अच्छी खबर ये है कि वापस लौटने वालों की संख्या भी बढ़ी है. 2018 में 12 लाख लोग वापस आए थे, वहीं 2023 में ये आंकड़ा बढ़कर 18 लाख हो गया है.
खाड़ी के देशों (बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात) में जाने वाले लोगों की संख्या कम हो रही है. 2018 में 10.8% लोग खाड़ी के देशों में गए थे, वहीं 2023 में ये आंकड़ा घटकर 19.5% रह गया है. ये रुझान 1998 से ही देखा जा रहा है, जब 93.8% लोग केरल से खाड़ी के देशों में ही काम करने जाते थे.
विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या दोगुनी
ज्यादा से ज्यादा छात्र अब पढ़ाई के लिए खाड़ी के देशों में नहीं जा रहे हैं. बल्कि वो अपनी पढ़ाई के लिए दूसरे देशों को चुन रहे हैं. असल में, दूसरे लोगों के विदेश जाने की संख्या कम होने के बावजूद, केरल से बाहर पढ़ने जाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ने से कुल मिलाकर विदेश जाने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है.
अभी केरल से बाहर काम करने वाले लोगों में से 11.3% लोग पढ़ाई करने के लिए गए हैं. 2018 के मुकाबले छात्रों की संख्या दोगुनी हो गई है. साल 2018 में 129,763 छात्र विदेश गए थे, वहीं 2023 में ये आंकड़ा बढ़कर करीब 250,000 हो गया है.
वहीं विदेश जाने वाली महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही है. दिलचस्प बात ये है कि विदेश जाने वाली महिलाएं आमतौर पर अपने पुरुष साथियों से ज्यादा पढ़ी-लिखी होती हैं. विदेश जाने वाली 71.5% महिलाएं ग्रेजुएट हैं, जबकि पुरुषों में ये आंकड़ा सिर्फ 34.7% है.
इसके अलावा विदेश जाने वाली करीब 51.6% महिलाएं मेडिकल सेक्टर में काम करती हैं. साथ ही, केरल के विदेशी छात्रों में 45.6% महिलाएं हैं. एक और अहम बात ये है कि पश्चिमी देशों में जाने वाली महिलाओं का प्रतिशत (40.5%) पुरुषों (14.6%) से काफी ज्यादा है.
धर्म के आधार पर विदेश जाने वाले लोगों का आंकड़ा
2011 की जनगणना के मुताबिक, केरल की आबादी में मुस्लिम समुदाय 26% है, लेकिन विदेश जाने वालों में मुसलमानों की तादाद 41.9% है. यानी, केरल से जितने लोग विदेश जाते हैं उनमें से करीब 42% मुस्लिम हैं.
वहीं, हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग केरल की आबादी का 54% हैं, लेकिन विदेश जाने वालों में इनकी संख्या सिर्फ 35.2% है. इसी तरह ईसाई समुदाय 18% है, लेकिन विदेश जाने वालों में इनकी संख्या 22.3% है.
विदेशों से आने वाला पैसा 5 साल में 2.5 गुना बढ़ा
विदेश जाने वाले केरलवासियों की ओर से अपने घर भेजे जाने वाले पैसों में भी बहुत इजाफा हुआ है. कोरोना महामारी के बाद से इन पैसों में काफी उछाल आया है. 2018 में जहां ये रकम 85,092 करोड़ रुपये थी, वहीं 2023 में ये बढ़कर 216,893 करोड़ रुपये हो गई है. यानी सिर्फ पांच साल में 154.9% का इजाफा हुआ है. केरल की कुल आबादी 3.55 करोड़ है, लिहाजा हर व्यक्ति के पीछे विदेश से आने वाला पैसा लगभग 61,118 रुपये सालाना बैठता है.
इसी तरह एक अनुमान के मुताबिक, हर विदेशी केरलवासी परिवार को सालाना औसतन 2.24 लाख रुपये विदेश से मिलते हैं. 2018 में ये रकम 96,185 रुपये थी. ये पैसा किस पर खर्च होता है, ये भी रिपोर्ट में बताया गया है. विदेश से आने वाले पैसों का 15.8% घर या दुकान की मरम्मत पर खर्च होता है, 14% बैंक लोन चुकाने में लगता है, 10% बच्चों की पढ़ाई पर खर्च होता है और 7.7% इलाज पर खर्च कर दिया जाता है. रोजमर्रा के खर्च पर सिर्फ 6.9% पैसा लगता है.
विदेश से वापस आने वाले लोगों की संख्या क्यों बढ़ रही?
विदेश जाने वाले लोगों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन वापस आने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. केरल माइग्रेशन सर्वे के इतिहास में अब तक ये सबसे बड़ी वापसी है. करीब 495,962 लोग यानी कुल विदेश जाने वालों का 38.3% लोग वापस आ गए हैं.
इन लोगों के वापस आने की कई वजह बताई गई हैं. करीब 18.4% लोगों ने बताया कि उन्हें विदेश में नौकरी छूट गई, इसलिए वो वापस आ गए. 13.8% लोगों ने कहा कि वहां की तनख्वाह बहुत कम थी, 7.5% लोगों ने बताया कि वहां काम करने की स्थिति अच्छी नहीं थी और 11.2% लोगों ने बीमारी या दुर्घटना को वजह बताया.
कुछ लोगों ने ये भी बताया कि वो वापस केरल में ही काम करना चाहते थे (16.1%), कुछ लोगों को अपने घर की याद आती थी (10.2%) और कुछ लोग रिटायर हो गए थे (12.1%). ये कुछ मुख्य वजह हैं जिनकी वजह से लोग विदेश से वापस केरल आ रहे हैं.
विदेश में पढ़ाई करने जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है. केरल माइग्रेशन सर्वे (KMS) के नतीजे भी यही बताते हैं. उम्मीद है कि आने वाले समय में केरल भारत का वो राज्य बन जाएगा जहां से सबसे ज्यादा छात्र विदेश पढ़ने जाएंगे.
आखिर केरल छोड़ विदेश क्यों जाते हैं छात्र?
केरल में बहुत सारे छात्र पढ़ाई के लिए यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों जा रहे हैं. केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल ने 2023 के बजट भाषण में इस बारे में चिंता जताई थी. उन्होंने ये कहा था कि राज्य सरकार युवाओं को यहीं रोकने के लिए कोशिश कर रही है. इसके लिए वो ज्यादा से ज्यादा नौकरी के मौके पैदा करने और बेहतर सुविधाएं देने पर ध्यान दे रही है.
वहीं बीते साल केरल हाईकोर्ट ने भी इसी मुद्दे पर बात की थी. हाईकोर्ट के मुताबिक, युवाओं के विदेश जाने की एक वजह ये भी है कि केरल के शहरों में अच्छी सड़कें, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ रहने लायक माहौल की कमी है.