पेट्रोडॉलर युग का अवसान! 

टाइम मशीन: तेल संकट से बादशाहत तक अमेरिका की भूमिका, पेट्रोडॉलर युग का अवसान!
अमेरिका ने ओपेक के कार्टेल को कीमतें बढ़ाने से रोक दिया है, क्योंकि उसका तेल अब यूरोप से लेकर एशिया तक जा रहा है, जहां कभी ओपेक मुल्क अपना तेल बेचते थे। जॉर्ज पी. मिशेल ने अपने जुनून से ऊर्जा के मामले में कमजोर एक मुल्क को केवल तीस साल में दुनिया की तेल ताकत बना दिया।
Time Machine End of Petrodollar Era USA OPEC Countries Fuel Price Hike
पेट्रोडॉलर युग का अवसान! 

अमेरिकी लोग जॉर्ज पी. मिशेल को पर्यावरण हितैषी के तौर पर याद करते हैं। पर्यावरण के बैरी तेल उद्यमियों को ऐसी प्रतिष्ठा नहीं मिलती। मिशेल की इस पहचान की वजह है यह वुडलैंड्स शहर, जिसमें रहना हर अमेरिकी का सपना है। यह शहर बसाकर मिशेल एक वाइल्डकैटर से ग्रीन सिटी बिल्डर हो गए।

सऊदी अरब तेल बेचने के लिए अमेरिकी डॉलर के साथ येन, युआन और यूरो को भी स्वीकार करेगा। यकीनन यह पेट्रोडॉलर युग के अवसान का एलान है। 1970 के दशक में अरब-इस्राइल युद्ध के दौरान अरब देशों ने अमेरिका में तेल की आपूर्ति बंद कर दी थी। इसके बाद सऊदी अरब व अमेरिका के रिश्ते सुधरे और सामने आया पेट्रोडॉलर समझौता, जिसके तहत पूरी दुनिया सऊदी अरब के तेल के बदले उसे अमेरिकी डॉलर देती थी। इटली में जी-7 की जुटान के बीच हुए इस फैसले से अमेरिका को बड़ा फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि वे दिन गए, जब सऊदी शेख तेल की कीमतें तय करते थे और अमेरिकी बाजारों में सिहरन दौड़ जाती थी। अमेरिकी विदेश विभाग के नुमाइंदे परिंदों की तरह अरब में मंडराते थे, ताकि शेखों का पारा ठंडा रहे। बीते पचास वर्षों में तेल का भूगोल ही बदल गया और बदल गई तेल कूटनीति की धुरी भी। सऊदी को तेल बेचने के लिए चीन का बाजार चाहिए, क्योंकि अमेरिका तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर ही नहीं, निर्यातक भी हो गया है।

वह कौन था, जिसने 1970 के दशक में अरब के तेल के मोहताज अमेरिका को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा निर्यातक बना दिया? किसी एक पीढ़ी में इससे बड़ी ऊर्जा क्रांति हाल की सदियों में नहीं देखी गई। यह किसी राजनेता, डिप्लोमेट या अर्थशास्त्री का करिश्मा नहीं था। एक जुनूनी वाइल्डकैटर यानी गैर पारंपरिक तरीकों से तेल खोजने वाले उद्यमी ने अमेरिकी तेल उद्योग की सूरत बदल दी। आइए, संभालिए अपनी सीट टाइम मशीन में…

हम ह्यूस्टन टेक्सास के उत्तर में पाइन के जंगलों के ऊपर से उड़ते हुए वुडलैंड्स पहुंच रहे हैं। यह शहर नगर योजना, प्राकृतिक साहचर्य और आर्थिक सफलता की अनोखी दास्तान है। अमेरिकी यहां बसने को बेताब रहते हैं। अमेरिका को तेल की मोहताजी से बादशाहत तक लाने वाले जुनूनी वाइल्डकैटर  ने ही यह अनोखा शहर बसाया था।

अब हम 1980 के दशक के अमेरिका में हैं। नीचे दिख रहा इलाका टेक्सास का है, जो अमेरिकी तेल उद्योग के रॉकफेलर वाले युग का गढ़ है। अगर यहां के माहौल में चिंता या उदासी महसूस कर रहे हैं, तो आपको अमेरिकी तेल संकट की खबर लग गई होगी। रॉकफेलर दौर के तेल कुएं अब सूख रहे हैं। अमेरिका की ऊर्जा सुरक्षा पश्चिमी एशियाई देशों के पास गिरवी है। तेल आयात बंद, तो अमेरिका बंद। 1970 में ओपेक देशों के ऑयल इंबार्गो ने अमेरिका को महंगाई और मंदी में धकेल दिया है। अमेरिका को अब नई ऊर्जा क्रांति चाहिए, नहीं तो देश की तरक्की का पहिया धंस जाएगा। अमेरिकी वैज्ञानिक सरकार को बता चुके हैं कि सेडीमेंट्री यानी परतदार चट्टानों में तेल का खजाना छिपा है। शैल एक परतदार चट्टान है, जो भूमि में एक मील की गहराई में मिलती है। इसकी परतों के अंदर तेल और गैस होता है, पर इसे निकालना पेचीदा है। आमतौर पर तेल के कुएं सीधे यानी वर्टिकल होते हैं, जबकि शैल की परतें क्षैतिज या हॉरिजॉन्टल होती हैं। टेक्सास का बर्नेट बेसिन 1980 में खोज लिया गया था। वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया कि इसमें काफी तेल और गैस है। स्टैंडर्ड ऑयल शैल परतों से तेल-गैस निकालने की कोशिश कर चुकी थी, पर कामयाबी नहीं मिली।

अब हम 1990 के दशक में हैं। हमारी टाइम मशीन टेक्सास के शैल इलाके में उड़ान भर रही है। नीचे देखिए, वह रही मिशेल एनर्जी ऐंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की ऑयल फील्ड। यह कंपनी है जॉर्ज पी. मिशेल की। 21वीं सदी से आ रहे हम लोगों को पता है कि अमेरिका ने शैल ऑयल की मदद से ओपेक देशों के दबदबे को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। 1991 में यह क्रांति आपके सामने शुरू हो रही है। टाइम मशीन की मदद से आप अमेरिका के आधुनिक तेल उद्योग की बुनियाद पड़ती देख रहे हैं। मिशेल का टेक्सास हमेशा से अमेरिकी तेल उद्योग का गढ़ रहा है। मिशेल खालिस वाइल्डकैटर हैं, यानी ऐसे उद्यमी, जो अपनी पूंजी से जगह-जगह तेल तलाशते हैं। मिशेल इंजीनियर भी हैं, इसलिए वाइल्डकैटर होने का उनका जुनून 1980 के दशक में नई ऊंचाई पर पहुंच गया। मिशेल ने शैल गैस की पहेली सुलझाने की ठान ली। मिशेल एनर्जी ऐंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने दीवानों की तरह ऐसी तकनीक की खोज शुरू कर दी, जिससे शैल की क्षैतिज परतों तक पहुंच कर उनमें दरार डाली जा सके और तेल व गैस कुएं तक आ जाएं। मिशेल पैराडॉक्स!! ठीक सुना आपने, 1980 के मध्य तक तेल उद्योग में मिशेल को लेकर ऐसा ही मजाक चलता था। तेल की खुदाई तो सीधे वर्टिकल होती थी, मिशेल क्षैतिज ड्रिलिंग की कोशिश में थे। यह तो पैराडॉक्स ही हुआ न!

वर्ष 1991 में जिस वक्त हम मिशेल इंजीनियरिंग की ऑयल फील्ड पर पहुंचे, यहां सफलता का उत्सव चल रहा है। मिशेल ने हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग और हाइड्रोलिक फ्रैकिंग को साध लिया है। मिशेल ने पहले चट्टान में सीधी यानी वर्टिकल ड्रिलिंग की, फिर क्षैतिज खुदाई से शैल की परतों तक जगह बनाई, इसके बाद इसमें भरा गया हाई प्रेशर फ्लुइड, जिसमें होते हैं पानी, रसायन और रेत के दाने, जिन्हें प्रोपेंट्स कहा जाता है, यह फ्लुइड शेल परतों में दरार डालता है। यही फ्रैकिंग है, रेत के दाने इन दरारों में फंस जाते हैं और फिर तेल और गैस कुएं में आने लगती है। 2000 तक यह तकनीक और विकसित व प्रभावी हो गई। 21वीं सदी के पहले दशक में ये शैल चट्टानें इतना तेल और गैस उगलने लगीं कि अमेरिका इसे संभाल नहीं पाया। एक वाइल्डकैटर ने अमेरिका की किस्मत बदल दी। अमेरिका में 2023 तक कुल उत्पादन की करीब 72 फीसदी ड्राई गैस मिशेल के करिश्मे से आती थी। अमेरिका का 66 फीसदी यानी करीब 2.83 अरब बैरल तेल इन परतों से निकलता है। तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता तो कब की हासिल कर ली गई। अमेरिका अब दुनिया में तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और सऊदी, रूस, ईराक के बाद चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। नई तकनीक से शैल ऑयल की लागत 35 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई है, जो रूसी तेल की कीमत के बराबर है। हालांकि सऊदी का तेल अब भी इससे सस्ता है। यह फ्रैकिंग की ताकत है कि अमेरिका ने ओपेक के कार्टेल को कीमतें बढ़ाने से रोक दिया है, क्योंकि उसका तेल अब यूरोप से लेकर एशिया तक जा रहा है, जहां कभी ओपेक मुल्क अपना तेल बेचते थे। जॉर्ज पी. मिशेल ने अपने जुनून से इतिहास बदल दिया। ऊर्जा में कमजोर एक मुल्क केवल तीस साल में दुनिया की तेल ताकत बन गया। टाइम मशीन अब वुडलैंड्स में उतरेगी। अमेरिकी लोग जॉर्ज पी. मिशेल को पर्यावरण हितैषी के तौर पर याद करते हैं। पर्यावरण के बैरी तेल उद्यमियों को ऐसी प्रतिष्ठा नहीं मिलती। मिशेल की इस पहचान की वजह है यह वुडलैंड्स शहर, जिसमें रहना हर अमेरिकी का सपना है। यह शहर बसाकर मिशेल एक वाइल्डकैटर से ग्रीन सिटी बिल्डर हो गए। तेल उद्योग उन्हें इंजीनियरिंग और विज्ञान का महारथी मानता है, मगर मिशेल हमेशा कहते थे, मुझे कोई गलतफहमी नहीं है कि मैं एक वाइल्डकैटर हूं, वैज्ञानिक नहीं। हम फिर मिलेंगे जल्द ही किसी अगले सफर पर…

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