ग्वालियर :10 हजार करोड़ की सरकारी जमीनें हार गया शासन ?

lost government lands 10 हजार करोड़ की सरकारी जमीनें हार गया शासन, जमीन माफिया ने हथियाई, क्यों लगानी पड़ी क्लास, जानिए पूरा मामला

 शहर की कीमती सरकारी जमीनों को माफिया हड़पता जा रहा है। माफिया ने जमीन हड़पने के लिए न्यायालय का रास्ता अपनाया है। सरकारी जमीन का न्यायालय में वाद पेश करते हैं।

ग्वालियर …

शहर की कीमती सरकारी जमीनों को माफिया हड़पता जा रहा है। माफिया ने जमीन हड़पने के लिए न्यायालय का रास्ता अपनाया है। सरकारी जमीन का न्यायालय में वाद पेश करते हैं। वाद में शासन को एक पक्षीय घोषित कराकर अपने पक्ष में फैसला करा लेते हैं।

शहर की कीमती सरकारी जमीनों को माफिया हड़पता जा रहा है। माफिया ने जमीन हड़पने के लिए न्यायालय का रास्ता अपनाया है। सरकारी जमीन का न्यायालय में वाद पेश करते हैं। वाद में शासन को एक पक्षीय घोषित कराकर अपने पक्ष में फैसला करा लेते हैं। अपील का समय निकलने के बाद राजस्व विभाग के पास कोर्ट के आदेश का हवाला देकर नामांतरण के लिए पहुंचते हैं। तब जमीन के बंदरबाट का खुलासा होता है। सरकारी जमीनों को बचाने के लिए प्रशासन ने जिला न्यायालय के सरकारी वकीलों को रिकॉर्ड के साथ तलब किया है। 24 से 28 जून के बीच शाम 5:30 बजे कलेक्टर के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे। हार के कारण भी बताएंगे। किसी गलती से केस हार रहे हैं, उसकी भी समीक्षा होगी।
दरअसल जिला प्रशासन के पास हर दिन सरकारी जमीन के केस हारने की शिकायत पहुंच रही हैं। इस शिकायत में सरकारी वकील व माफिया की मिली भगत का खुलासा किया गया है। सरकारी वकील एक बार केस में उपस्थित होने के बाद दुबारा नहीं जाते हैं, जिसके चलते शासन एक पक्षीय हो जाता है। सरकारी जमीनों के केसों में हो रही हार के चलते कलेक्टर ने लोक अभियोजक को सिविल कोर्ट आवंटित नहीं किया है। अधिकारियों के समक्ष स्पष्टीकरण के लिए चार-चार सरकारी वकीलों को बुलाया गया है।
सिटी सेंटर की जमीनों पर सबसे ज्यादा नजर

माफिया की सिटी सेंटर की जमीनों पर सबसे ज्यादा नजर है। सिटी सेंटर क्षेत्र की जमीनों के 69 दावे आ चुके हैं, जिनकी कीमत करीब 5 हजार करोड़ रुपए है। तहसील की ओर से वकालत नामा नहीं आने के चलते शासन एक पक्षीय हो रहा है।

– जमीन को लेकर दावा पेश होने के बाद नोटिस तहसील में पहुंचता है, लेकिन तहसील से नोटिस का जवाब देने के लिए तहसीलदार नहीं पहुंचते है।

केदारपुर की 300 करोड़ की जमीन फर्जीवाड़े आरोपी हो गए दोषमुक्त

केदारपुर के सर्वे क्रमांक 482 की भूमि फर्जी डिक्री के आधार पर पूर्व आइएएस व माफिया ने मिलकर हड़प ली। इस फर्जी डिक्री का आदेश तैयार करने वाले की लंबे समय से विचारण चल रहा था। कोर्ट के अवगत कराने के बाद भी सरकारी वकील व अधिकारियों ने साक्ष्य पेश नहीं किए। 300 करोड़ की जमीन का फर्जीवाड़ा करने वाले दोषमुक्त हो गए। जब कोर्ट से फैसला हो गया, तब प्रशासनिक अधिकारी दोषमुक्ति के कारण तलाश रहे हैं। अपील की तैयारी की जा रही है। जिस जज के नाम की डिक्री बनाई गई थी, वह जज  ग्वालियर में कभी पदस्थ नहीं रहे।

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