शहर में पुलिस-आईटीएमएस के 1075 कैमरे. … 15% मामलों में जान लेने वाले वाहनों का पता नहीं लगा पाई पुलिस

शहर में पुलिस-आईटीएमएस के 1075 कैमरे…:
फिर भी 15% मामलों में जान लेने वाले वाहनों का पता नहीं लगा पाई पुलिस

सिस्टम में खामी – 5 महीने में एक्सीडेंट में मरने वाले 85 में से 13 में पुलिस जांच अज्ञात वाहन चालक पर अटकी

पीड़ित को सिर्फ मामूली सरकारी मदद मिलती है, बीमा की रकम नहीं

शहर में जनवरी से लेकर मई के अंत तक 85 लोग एक्सीडेंट में जान गंवा चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से 15% (13) से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले वाहन का पता पुलिस नहीं लगा पाई है। पुलिस की जांच सिर्फ अज्ञात वाहन चालक पर आकर अटक गई है। शहर की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस और आईटीएमएस के 1075 कैमरे भी इन्हें नहीं पकड़ पाई है। अज्ञात वाहन होने के कारण पीड़ित को उचित मुआवजा नहीं मिल पाएगा। पीड़ित परिवार को सरकार की तरफ से सिर्फ 2 लाख रुपए ही मिल पाएंगे। इस साल जनवरी से लेकर मई अंत तक 5 महीने में शहर में 1206 से एक्सीडेंट हो चुके हैं। इनमें 905 लोग घायल हुए और 85 को जान गंवाना पड़ी।

चार साल पहले शहरभर के कैमरे जोड़ने की हुई थी कवायद

करीब चार साल पहले शहरभर के कैमरों का फीड पुलिस ने लिया था। पुलिस ने विभिन्न संगठनों और व्यापारियों के सहयोग से एक पहल शुरू की थी। इसके तहत शहर के व्यवसायिक, निजी भवन, प्रतिष्ठानों के प्रबंधकों के सहयोग से उनके भवनों, प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगवा कर उन्हें पुलिस कंट्रोल रूम से आईपी एड्रेस से कनेक्ट किया था। इसके लिए उनसे आईपी एड्रेस लेने के लिए ईमेल आईडी और वाट्सएप नंबर भी जारी किया था। इसके माध्यम से वे अपना सीसीटीवी का आईपी एड्रेस पुलिस कंट्रोल रूम से कनेक्ट करा सकते थे।

इससे पुलिस उन स्थानों की सीधी मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम के माध्यम से करने लगी थी। कुल 1075 कैमरों से 781 पुलिस के हैं और 317 आईटीएमएस के हैं। अभी की स्थिति में पुलिस के 10 और आईटीएमएस के 23 कैमरे खराब हैं। ट्रैफिक पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार इनमें से सिर्फ 33 कैमरे तकनीकी खामी के कारण नहीं चल रहे हैं, शेष चल रहे हैं।

इस कारण पुलिस नहीं खोज पाती वाहन
एक्सीडेंट के बाद मौके से फरार वाहन चालकों को पकड़ने के लिए पुलिस को घायल और लोगों से पूछताछ करना होता है। उस रूट के सीसीटीवी कैमरे खंगालने होते हैं। इसके लिए लोकेशन के आसपास के कैमरों के फुटेज देखना होता है। इस कारण कई बार पुलिस ऐसे मामलों में ज्यादा मेहनत नहीं करती है।

पीड़ित को नुकसान
एक्सीडेंट के मामले में वाहन का बीमा करने वाली कंपनी को क्लेम देना होता है। एक्सीडेंट के मामले में पुलिस आरोपी वाहन के नंबर और उसके चालक के खिलाफ प्रकरण दर्ज करती है। घायल और मृतक की स्थिति के आधार पर बीमा कंपनी को कोर्ट उचित क्लेम देने का निर्देश देती है। अज्ञात वाहन में सिर्फ सरकार से तय 2 लाख की ही राशि ही मिल पाती है।

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