हाथरस भगदड़ – सत्संग में 122 मौतें, पसलियां टूटकर फेफड़े और कलेजे में घुसीं …

हाथरस भगदड़- पसलियां टूटकर फेफड़े और कलेजे में घुसीं
सिर और गले की हड्‌डी टूटने से 15 की जान गई, 74 दम घुटने से मरे

वहीं, 15 लोगों के सिर और गर्दन की हड्‌डी टूट चुकी थी। इसलिए उनकी मौत हुई। इसका खुलासा शवों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हुआ।

हाथरस में हुए हादसे से 2 बड़े सवाल निकलकर सामने आए। जानिए दोनों सवालों के जवाब…

1. मौतें ज्यादा क्यों हुईं?
सत्संग एक खाली मैदान पर हुआ था। हल्की बारिश के बाद कीचड़ हो गया था। लोग कीचड़ में फिसले, फिर उठ नहीं सके। फिर पीछे वाले लोग उन्हें कुचलते हुए निकलते चले गए। इसलिए मौतें ज्यादा हुईं। जो बॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए पहुंची, उनके शरीर पर मिट्‌टी ही मिट्टी चिपकी थी। कान, नाक और मुंह में भी मिट्‌टी थी।

2. महिलाएं ज्यादा क्यों मरीं?
मरने वालों में करीब 113 महिलाएं हैं। 7 बच्चे और 3 पुरुष हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, महिलाएं भगदड़ मचने के बाद गिरीं, फिर इतनी ताकत नहीं जुटा सकीं कि भीड़ के साथ दोबारा खड़ी हो पातीं। भीड़ उनके ऊपर से गुजरती चली गई। यही वजह है कि ज्यादातर महिलाओं के शरीर में हड्डियां टूटी मिली हैं।

भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई। इन लाशों को हाथरस के साथ अलीगढ़, आगरा और एटा ट्रांसफर किया। 24 घंटे में 120 लोगों के पोस्टमॉर्टम हुए। एक की शिनाख्त नहीं हो सकी। इसलिए उसका पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ। 2 शव बिना पोस्टमॉर्टम कराए उनके परिवार वाले ले गए।

पहले अलीगढ़ से सामने आई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट…

6 डॉक्टरों के पैनल ने 37 पोस्टमॉर्टम किए
पहले बात अलीगढ़ की। यहां हादसे के 6 घंटे के बाद पहली बॉडी पहुंची। कुछ ही घंटों में 38 बॉडी आ गईं। इनमें 35 महिलाएं थीं। 2 बच्चे और 1 पुरुष की बॉडी थी। 1 बॉडी को उनका परिवार बिना पोस्टमॉर्टम ही उठा ले गया।

यहां 37 लोगों की रिपोर्ट तैयार हुई। इसमें 10 लोगों की मौत दम घुटने से हुई। 19 बॉडी ऐसी थीं, जिनकी पसलियां टूटकर शरीर के अंदर दूसरे अंगों में घुस गईं थीं। इसकी वजह से उनकी मौत हो गई। 8 बॉडी ऐसी थीं, जिनके सिर और गर्दन की हड्डियां टूटी मिलीं।

15 महिलाओं का दम घुटा, 3 के सिर की हड्‌डी टूटी
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलज में पोस्टमॉर्टम के लिए 21 महिलाओं की बॉडी लाई गई। CMO डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने कहा- 15 लोगों की मौत दम घुटने से हुई है। उनकी छाती में खून जमा हुआ मिला है।

उनके शरीर पर मिट्‌टी ही मिट्‌टी थी। 3 लोगों के सिर पर गहरी चोटें थीं। 3 लोग ऐसे थे, जिनकी पसलियां टूटकर दिल और फेफड़ों में जाकर घुस गई थी। इसकी वजह से उनकी मौत हो गई।

मरने वालों में 3 लोग फरीदाबाद और एक पीलीभीत से था। इनकी उम्र 35 से 60 साल तक थी।

8 डॉक्टर और 6 फार्मासिस्ट सपोर्ट में लगे
पोस्टमॉर्टम हाउस पर 8 डॉक्टरों की ड्यूटी थी। 4 पोस्टमॉर्टम करने के बाद डॉक्टर ब्रेक लेते थे। रात में 3 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू होने के बाद लगातार अगले दिन दोपहर में 2 बजे तक चला। सपोर्ट के लिए 6 फार्मासिस्ट और 10 स्वीपर की ड्यूटी भी लगाई गई।

ये सभी पोस्टमॉर्टम ACMO डॉ. नंदन सिंह और डॉ. अमित रावत की निगरानी में हुए। पोस्टमॉर्टम हाउस प्रभारी जयपाल चाहर ने बताया- रात में डॉ. अनुज गांधी, डॉ. विमल कुमार, डॉ. अभिषेक परिहार और डॉ. अभिषेक चौहान ड्यूटी पर थे। दिन की ड्यूटी में डॉ. उदय रावल, डॉ. मोहित बंसल, डॉ. अजय यादव और डॉ. अतुल भारती थे।

22 महिलाओं के सीने में खून जमा हुआ मिला
भगदड़ के बाद हाथरस के जिला अस्पताल में लाशों का ढेर लगा था। CMO डॉ. मंजीत सिंह ने तुरंत डॉक्टरों का एक पैनल बनाया। जिसने इलाज और पोस्टमॉर्टम की जिम्मेदारी संभाली। यहां 34 बॉडी के पोस्टमॉर्टम हुए। इनमें 22 महिलाओं के सीने में खून जमा हुआ मिला।

अधिकांश के कान, नाक और मुंह में मिट्‌टी मौजूद थी। 8 लोगों के सीने की हड्डियां टूटकर दूसरे अंगों में घुस गईं थीं। मल्टीपल फ्रैक्चर मिले। 4 लोगों के सिर और गले की हड्डियां टूटी हुईं मिलीं।

एटा में 28 लाशें आईं, 27 के पोस्टमॉर्टम हुए

एटा के पोस्टमॉर्टम हाउस पर 28 लाशें लाई गईं। इनमें 27 के पोस्टमॉर्टम हो सके। 1 बॉडी को परिवार बिना पोस्टमॉर्टम घर ले गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, 27 में से सभी की मौत दम घुटने से हुई। इनके शरीर पर चोटें मिली हैं। मल्टीपल फ्रैक्चर मिले हैं।

6 डॉक्टरों की टीम 24 घंटे लगी रही
एटा मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. रजनी पटेल, सीएमओ डॉ. उमेश कुमार त्रिपाठी, डॉ. सुरेश चंद्रा के सुपरविजन में पोस्टमॉर्टम हुए। डॉ. राहुल वार्ष्णेय, डॉ. आरके दयाल, डॉ. अभिनव दुबे, डॉ. मोहित, डॉ. संजय, डॉ. राहुल चतुर्वेदी की टीम ने मौत के सटीक कारणों की रिपोर्ट तैयार की।

…………………

सत्संग में 122 मौतें, क्या बोले सूरजपाल बाबा के गांववाले
गिरफ्तारी के डर से परिवार गायब, आश्रम के बाहर वर्दीवाले सेवादार तैनात

इस हादसे के बाद दैनिक  ……सूरजपाल के गांव बहादुरनगर पहुंचा। उन लोगों से बात की, जो हेड कॉन्स्टेबल से बाबा बने सूरजपाल को कई साल से जानते हैं।

10 बीघा जमीन पर बना आश्रम, सेवादार फ्री में ड्यूटी कर रहे
बहादुरनगर गांव में एंट्री से पहले ही सूरजपाल बाबा के आश्रम की ऊंची दीवारें दिखने लगती हैं। ये आश्रम करीब 10 बीघा जमीन पर बना है। इसके सामने का हिस्सा किसी महल की तरह दिखता है। ऐसी हवेली पूरे कासगंज और हाथरस में नहीं है।

बहादुरनगर में सूरजपाल बाबा का आश्रम। हाथरस हादसे के बाद से आश्रम के गेट पर ताला लगा है।
बहादुरनगर में सूरजपाल बाबा का आश्रम। हाथरस हादसे के बाद से आश्रम के गेट पर ताला लगा है।

गेट पर तीन सेवादार तैनात हैं। ये लोग 4-4 घंटे की सेवा, यानी ड्यूटी करते हैं। हमने पूछा आश्रम में कौन-कौन है? जवाब मिला- ‘कोई नहीं। सभी लोग सुबह ही कहीं चले गए हैं।’

गांववालों से पता चला कि ये आश्रम 1999 में बना था। सूरजपाल और उनकी पत्नी कभी-कभार ही यहां आते हैं। गांववाले ये भी बताते हैं कि कोई भी आश्रम में रात में नहीं रुक सकता।

आश्रम के बाद हम गांव में निकले। यहां हमें 68 साल के सुरेश मिले। सुरेश खुद को सूरजपाल बाबा का दोस्त बताते हैं। वे कहते हैं, ‘मैं और सूरजपाल बचपन में साथ खेले और पढ़े हैं। वो मुझसे 5 साल बड़ा है।’

हमने सुरेश के सूरजपाल और उसके परिवार के बारे में पूछा। सुरेश बताते हैं, ‘सूरजपाल हवलदार था, तब भी पूजा-पाठ में लगा रहता था। फिर सत्संग में जाने लगा, ध्यान करने लगा। वो तीन भाई थे। सबसे बड़े सूरजपाल, दूसरे नंबर पर भगवान दास थे, जिनकी मौत हो चुकी है और तीसरे नंबर पर राकेश कुमार हैं।’

राकेश गांव के प्रधान भी रहे हैं। तीन साल पहले भी उन्होंने प्रधानी का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए थे। गांववाले बताते हैं कि राकेश कुमार 3 जुलाई की सुबह ही गांव छोड़कर चले गए हैं। उन्हें डर था पुलिस अरेस्ट कर सकती है। सब ठीक होने के बाद ही वे गांव में आएंगे।

गांव में बाबा के चमत्कार के भी चर्चे
गांव के अनिल कुमार सूरजपाल बाबा की कहानी को एक चमत्कार से जोड़ते हैं। वे बताते हैं, ‘एक व्यक्ति की ज्वेलरी शॉप थी। शॉप से पूरा सोना चोरी हो गया था। बाबा की कृपा से अगले दिन सारा सोना दुकान पर वापस आ गया। इसके बाद उस व्यक्ति ने बाबा को एक गाड़ी गिफ्ट की थी। इसके बाद बाबा लोगों में पॉपुलर हो गए।’

फोटो आगरा में सूरजपाल बाबा के घर की है। हादसे के अगले दिन 3 जुलाई को कुछ महिलाएं बंद घर के सामने माथा टेकने पहुंची थीं।
फोटो आगरा में सूरजपाल बाबा के घर की है। हादसे के अगले दिन 3 जुलाई को कुछ महिलाएं बंद घर के सामने माथा टेकने पहुंची थीं।

गांव में हमें ओमवती भी मिलीं। 45 साल की ओमवती सूरजपाल और उनकी पत्नी को अच्छे से जानती हैं। सूरजपाल के बारे में पूछने पर वे कहती हैं, ‘बाबाजी हमारे गांव के हैं। सभी को अच्छी शिक्षा दे रहे हैं। हम भी उनके प्रवचन सुनते हैं, मानते हैं। वे जो भी वाणी देते हैं, उसे अमल में लाते हैं। वे कहते हैं, सच बोलो, किसी से छल-कपट मत करो। झूठ मत बोलो, निंदा मत करो, बेईमानी मत करो।’

हाथरस की भगदड़ पर ओमवती कहती हैं, ‘मैं भी सत्संग में जाने वाली थी। मेरा पूरा परिवार जाने वाला था। तभी चाचा की डेथ हो गई। हम उनकी डेडबॉडी लेने उत्तराखंड चले गए थे। लौटे तब पता चला कि ऐसा हादसा हो गया है।’

‘ऐसी घटना हमारे एरिया में कभी नहीं हुई थी। ये किसने किया, किसकी साजिश है, इसकी तो CBI जांच कर सकती है। जांच से पता चलेगा कि धक्का-मुक्की करने वाले लोग कौन थे।’

सूरजपाल बाबा पर आगरा, इटावा, कासगंज, फर्रुखाबाद और राजस्थान के दौसा में कुल 5 मुकदमे दर्ज हैं। एक केस यौन शोषण का भी है। इस पर ओमवती कहती हैं, ‘ये सब अफवाह है। लोग ऐसी अफवाह उड़ाते रहते हैं।’

‘बाबा की वजह से शराब के ठेके बंद हो गए। उनकी शिक्षा से लोगों ने शराब पीना बंद कर दिया। जुआ-सट्टा बंद हो गया। हो सकता है वे लोग अफवाहें उड़ा रहे हों। आप बताइए कि FIR करने वाले लोग कहां हैं।’

ओमवती बताती हैं, ‘बाबाजी अपनी पेंशन पर गुजारा करते हैं। लोग सेवा करने अपने खर्च पर आते हैं। आप उनके घर के बाहर सेवादारों को देख रहे हैं। उनके पास जितना टाइम होता है, उतनी ड्यूटी करता है। बाकी टाइम अपना काम करते हैं।’

सूरजपाल जिस गांव में रहता है, उसी के बगल में अलीपुर और नगलाकाजी गांव भी हैं। तीनों गांव का सरपंच एक ही होता है। सूरजपाल को मानने वाले सिर्फ बहादुरनगर में हैं। बाकी दो गांव में उसके लिए आस्था नहीं है। तीन साल पहले हुए चुनाव में अलीपुर की नाजिज खानुम ने सूरजपाल के भाई राकेश कुमार को प्रधानी के चुनाव में हराया था।

नाजिज खानुम की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए उनके पति जफर अली खान ने हमसे बात की। सूरजपाल के बारे में पूछने पर जफर अली खान कहते हैं, ‘वे 20-25 साल पहले बाबा बने हैं। अब तक हमने उनके बारे में कोई बुरी बात नहीं सुनी। पिछले साल वे गांव आए थे। तब उन्होंने अपनी पूरी जमीन अपने ट्रस्ट के नाम कर दी थी। हालांकि, इसका मैनेजमेंट अब भी वही देखते हैं।’

सूरजपाल तो हवलदार थे, उनके पास इतनी जमीन कैसे आई? जफर अली खान जवाब देते हैं, ‘वो बाबा हैं। आजकल पब्लिक खासकर महिलाएं अंधभक्ति में आ जाती हैं। ये सब पब्लिक के सपोर्ट से हुआ है।’ हाथरस की घटना पर जफर सिर्फ इतना कहते हैं कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है।

अब जान लीजिए हाथरस में क्या हुआ था

एक घंटे 20 मिनट का सत्संग, भगदड़ में 122 मौतें
15 दिन पहले से तय था कि सिकंदराराऊ के फुलरई गांव में सूरजपाल बाबा का सत्संग होना है। 2 जुलाई को सुबह 8 बजे से भीड़ जुटनी शुरू हुई। साढ़े 10 बजे तक सत्संग शुरू होना था। तय वक्त पर 50 से 60 बीघा खेत में बना पूरा पंडाल भर गया। 12 बजे 15 गाड़ियों के काफिले के साथ बाबा पहुंचा। 12 बजे सत्संग शुरू हुआ और 1 बजकर 20 मिनट पर खत्म हो गया।

सत्संग के बाद बाबा गाड़ी में बैठा और बाहर निकल गया। पीछे से उसे देखने के लिए महिलाएं दौड़ने लगीं। भीड़ हटाने के लिए वॉलंटियर्स ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। बचने के लिए भीड़ भागी और भगदड़ मच गई। इसमें जो भी आगे था, वो कुचलता चला गया। लोग एक-दूसरे को रौंदते हुए आगे बढ़ने लगे। इस भगदड़ में 122 लोगों की मौत हो गई। इनमें 112 महिलाएं और 7 बच्चे थे।

फुलरई गांव में समागम के ऐसे पर्चे बांटे गए थे। आयोजकों ने प्रशासन को कार्यक्रम में 80 हजार लोगों के आने की जानकारी दी थी, लेकिन तीन गुना लोग पहुंच गए।
फुलरई गांव में समागम के ऐसे पर्चे बांटे गए थे। आयोजकों ने प्रशासन को कार्यक्रम में 80 हजार लोगों के आने की जानकारी दी थी, लेकिन तीन गुना लोग पहुंच गए।

80 हजार लोगों की परमिशन थी, ढाई लाख पहुंच गए
हादसे के बाद मंगलवार देर रात सिकंदराराऊ थाने के दरोगा ने 22 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। इसमें ऑर्गेनाइजर देव प्रकाश मधुकर का नाम है। बाकी सब अज्ञात हैं। FIR में सूरजपाल बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का नाम नहीं है।

FIR के मुताबिक, प्रशासन ने सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन ढाई लाख लोग पहुंच गए थे। भगदड़ हुई तो सेवादार गेट पर खड़े हो गए। उन्होंने लोगों को रोक दिया। इसके बाद भीड़ खेतों में तरफ भीड़ मुड़ गई और नीचे बैठे श्रद्धालुओं को कुचलती हुई निकल गई। पुलिस और सेवादार भीड़ को नहीं संभाल पाए।

हाथरस केस में दर्ज FIR, इसमें आरोप लगाया गया है कि लोग घायल हालत में थे, लेकिन सूरजपाल बाबा के सेवादारों ने मदद नहीं की।
हाथरस केस में दर्ज FIR, इसमें आरोप लगाया गया है कि लोग घायल हालत में थे, लेकिन सूरजपाल बाबा के सेवादारों ने मदद नहीं की।

25 साल से सत्संग कर रहा बाबा, राजस्थान-हरियाणा में भी अनुयायी
सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि करीब 25 साल से सत्संग कर रहा है। पश्चिमी UP के अलावा राजस्थान, मध्यप्रदेश और हरियाणा में भी उसके अनुयायी हैं। UP पुलिस में रहते हुए सूरजपाल 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में तैनात रहा।

हेड कॉन्स्टेबल रहने के दौरान 28 साल पहले सूरजपाल इटावा में पोस्टेड था। इस दौरान उस पर चमत्कार, जादू-टोना और यौन शोषण के केस दर्ज हुए। इसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया।

साल 2000 में आगरा की शाहगंज पुलिस ने उसे 7 लोगों के साथ अरेस्ट किया था। सबूत न होने की वजह से कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। जेल से छूटने के बाद सूरजपाल ने अपना नाम नारायण हरि उर्फ साकार विश्वहरि रख लिया और उपदेशक बन गया। अनुयायी उसे भगवान शिव की तरह पूजते हैं। इसलिए उसका नाम भोले बाबा भी पड़ गया।

150 घायल हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन इलाज नहीं मिला
हादसे में 150 से ज्यादा घायल हुए थे। किसी तरह ये लोग हॉस्पिटल पहुंचे, तो 150 लोगों का इलाज करने के लिए सिर्फ एक डॉक्टर था। लोग तड़प रहे थे, लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिला। हॉस्पिटल में न ऑक्सीजन सिलेंडर था और न ही ड्रिप लगाने वाले। लोग डॉक्टर का इंतजार करते रहे, इसी इंतजार में घायलों की सांसें टूट गईं।

30 एकड़ में बना आश्रम, किसी देवता की मूर्ति नहीं
सूरजपाल बाबा ने गांव में 30 एकड़ में आश्रम बनाया है। यहां किसी देवता की मूर्ति नहीं है। 2014 में उसने बहादुर नगर से मैनपुरी के बिछवा में आश्रम बना लिया था। इसके बावजूद पुराने आश्रम में हर दिन 12 हजार तक लोग आते थे।

भोले बाबा दूसरे बाबाओं की तरह भगवा पोशाक नहीं पहनता। वो सत्संग में थ्री पीस सूट और रंगीन चश्मे में नजर आता है। हमेशा सफेद रंग के कपड़े पहनता है। हादसे के बाद से बाबा अंडरग्राउंड है। पुलिस उसकी तलाश में छापेमारी कर रही है। पुलिस मैनपुरी में उसके आश्रम में पहुंची, लेकिन वो नहीं मिला।

भोले बाबा का अगला कार्यक्रम 4 से 11 जुलाई तक आगरा में होना था। हाथरस हादसे के बाद इसकी परमिशन रद्द कर दी गई है।

हादसे के बाद सूरजपाल का पहला बयान, असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई
हाथरस में भगदड़ के 24 घंटे बाद सूरजपाल बाबा ने पहला बयान दिया। सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह के जरिए उन्होंने लिखित बयान जारी किया। इसमें लिखा है कि हादसा समागम से मेरे निकलने के बाद हुआ। वहां असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई है। मैं उन लोगों के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा। घायलों के स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

फुलरई गांव में मौके से फोरेंसिक टीम ने सबूत जुटाए हैं। आरोप है कि सेवादारों ने सबूत मिटाने की कोशिश की थी।
फुलरई गांव में मौके से फोरेंसिक टीम ने सबूत जुटाए हैं। आरोप है कि सेवादारों ने सबूत मिटाने की कोशिश की थी।

21 लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, ज्यादातर मौतें सीने में चोट और दम घुटने से
बुधवार शाम तक भगदड़ में मरने वाले 21 लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई है। ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने से हुई। उनके सीने में खून जम गया था। बॉडी मिट्‌टी से सनी हुई थी।

CMO अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि 21 डेडबॉडी को एसएन मेडिकल कॉलेज लाया गया था। मथुरा, आगरा, पीलीभीत, कासगंज और अलीगढ़ से 21 लोगों की डेडबॉडी एसएन मेडिकल कॉलेज लाई गई थीं। डॉक्टरों की एक टीम ने उनका पोस्टमॉर्टम किया। पोस्टमॉर्टम के बाद सभी शव पीड़ित परिवार को सौंप दिए गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *