सिस्टम की “कुंभकर्णी” आदत की वजह से पिछड़ता है ग्वालियर !
सिस्टम की “कुंभकर्णी” आदत की वजह से पिछड़ता है ग्वालियर
इंदौर की तरह स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार ग्वालियर भी अव्वल आ सकता है, क्योंकि इंदौर के क्षेत्रफल और जनसंख्या के हिसाब से ग्वालियर नगर निगम के पास साधन और संसाधनों की कोई कमी नहीं है। लेकिन फिर भी हर बार इंदौर आगे और हम पीछे रह जाते हैं आखिर क्यों।
- साधन संसाधन की कमी नहीं पर इच्छा शक्ति भी कमजोर
- स्वच्छ सर्वेक्षण की तारीख पास आने पर जागते हैं जिम्मेदार
- वालियर के हर बार पिछड़ने की वजह जिम्मेदारों की “कुंभकर्णी” आदत है
ग्वालियर। इंदौर की तरह स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार ग्वालियर भी अव्वल आ सकता है, क्योंकि इंदौर के क्षेत्रफल और जनसंख्या के हिसाब से ग्वालियर नगर निगम के पास साधन और संसाधनों की कोई कमी नहीं है। लेकिन फिर भी हर बार इंदौर आगे और हम पीछे रह जाते हैं आखिर क्यों। इस पर एक्सपर्ट कहते हैं कि कमी है तो योजना बनाने और उसे धरातल तक लाने की।
इसमें नगर निगम के अफसर और कर्मचारियों की इच्छा शक्ति के साथ साथ शहर के जनप्रतिनिधि और आमजन का सहयोग जरूरी है। लेकिन हकीकत यह है कि स्वच्छ सर्वेक्षण की तिथि पास आने पर ही जिम्मेदार जागते हैं। बाकी समय न योजना, न मानीटरिंग और न जागरूकता के प्रयास। ग्वालियर के हर बार पिछड़ने की वजह जिम्मेदारों की “कुंभकर्णी” आदत है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 का सर्वे सितंबर में हो सकता है।
इंदौर निगमायुक्त शिवम वर्मा ने कहा कि हर सुबह पूरी टीम के साथ अलग-अलग वार्ड में सर्वे किया जाता है। लोग अपनी जिम्मेदारी के साथ काम करते हैं, कर्मचारियों से लेकर आमजन को हर दिन मोटिवेट किया जाता है। अन्य विभागों के अफसरों का भी सहयोग लिया जाता है। योजना के तहत हर दिन पूरे साल काम किया जाता है। इसमें जन सहयोग भी मिलता है इसलिए अव्वल हैं।
365 दिन की प्लानिंग
- नगर निगम इंदौर के बतौर सलाहकार रहे असद वारसी का कहना है कि इंदौर में स्वच्छता अभियान सर्वेक्षण से पहले नहीं चलाया जाता, बल्कि वहां पर साल के 365 दिन चलता है, क्योंकि नगर निगम की योजना हर दिन की पहले ही तैयार है और जिम्मेदारी से उसे धरातल पर लाया जाता है।
- स्वच्छता की अहम कड़ी, घर-दुकान से कचरा एकत्र करना
- घर घर कचरा कलेक्शन के लिए रूट और उनका समय निर्धारित किया सुबह छह से 10 बजे तक तथा नियमित वाहनों का संचालन शुरू कराया।
- सामाजिक लोगों को साथ में जोड़ा, जिन्होंने घर-घर जाकर लोगों को सूखा-गीला कचरा अलग-अलग करने के लिए प्रेरित किया।
- सफाई व कचरा कलेक्शन में लगे कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया कि वह लोगों में जागरूकता बढ़ाएं, जो व्यक्ति कचरा अलग-अलग करके न दे तो उससे कचरा न लें।
- कचरा घर के बाहर या सड़क पर फेंकने वालों को समझाएं फिर जुर्माना भी लगाएं।
- सड़क पर झाडू नियमित लगाई जाती है और साथ में कचरा एकत्र करने के लिए वाहन भी चलता है।
- बाजार में दुकान-दुकान कचरा एकत्र करने के लिए वाहन सुबह 10 से दोपहर एक बजे के बीच और शाम को छह से नौ के बीच संचालित किए।
- बाजार में झाडू रात 12 बजे लगाई जाती है जिससे लोगों को सुबह सड़क साफ मिले।
- होटलों से कचरा लेने के लिए दोपहर तीन और रात 12 बजे का समय निर्धारित किया है।
- सड़क निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखा गया,जिससे सड़कें जल्द न टूटे। ग्वालियर की यह स्थिति-
- रूट तय है पर नियमित वाहन कचरा कलेक्शन के लिए घर-घर नहीं पहुंचता।
- गली मोहल्लों और कालोनियों में नियमित झाडू नहीं लगती और न ही सड़क से कचरा कलेक्शन नियमित होता।
- सड़कों पर जगह-जगह कचरे के ढेर लगे रहते हैं। द्यहोटल या बाजार में दुकानों से कचरा कलेक्शन का अलग से कोई मैकेनिज्म नहीं है। द्यएक ही मानसून वर्षा में सड़कों से डामर गायब हो जाता है वह टूट जाती हैं।
- सफाई कर्मचारी प्रशिक्षित नहीं है और ना ही उन्हें जागरूकता फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- सामाजिक कार्यकर्ताओं को नगर निगम अपने साथ नहीं जोड़ सका।