एजुकेशन हब इंदौर में सवा लाख लोगों को नहीं आता ‘क ख ग’ !

एजुकेशन हब इंदौर में सवा लाख लोगों को नहीं आता ‘क ख ग’, सर्वे में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी
इंदौर में 1.16 लाख लोग निरक्षर हैं, जबकि शहर में कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान हैं। उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत अब तक 60 हजार लोगों को साक्षर बनाया गया है। इस कार्यक्रम में मुफ्त शिक्षण सामग्री और परीक्षा पास करने पर प्रमाणित अंकसूची प्रदान की जाती है।
Indore News: एजुकेशन हब इंदौर में सवा लाख लोगों को नहीं आता 'क ख ग', सर्वे में सामने आई चौंकाने वाली जानकारीइंदौर में पिछले दो वर्षों में एक लाख 16 हजार लोग ऐसे मिले हैं, जिन्हें बिल्कुल भी पढ़ना-लिखना नहीं आता है। – (फाइल फोटो)
  1. भारत सरकार के उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत सर्वे।
  2. सर्वे के मुताबिक, इंदौर में करीब सवा लाख लोग वर्णामाला नहीं जानते।
  3. इंदौर शहर में शिक्षा संबंधी कारोबार का टर्नओवर करोड़ों रुपये में है।

 इंदौर । प्रदेश का एजुकेशन हब कहलाने वाले इंदौर में शिक्षा के मामले में दीपक तले अंधेरा जैसे हाल हैं। जिस इंदौर में आईआईएम और आईआईटी जैसे दिग्गज संस्थान हैं, वहीं पर भारत सरकार के एक साक्षरता कार्यक्रम के तहत हुए सर्वे में सवा लाख लोग ऐसे मिले हैं, जिन्हें क ख ग भी नहीं आता। यह तब है जबकि यहां शिक्षा का एक बड़ा ढांचा तैयार है और हजारों सरकारी व निजी संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में लगे हैं।

इसी शहर में शिक्षा संबंधी कारोबार का टर्नओवर करोड़ों रुपये में है, किंतु हाल ऐसे हैं कि एक लाख 16 हजार लोग अब तक निरक्षर हैं। चौंकाने वाला यह तथ्य भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे उल्लास नव भारत सारक्षता कार्यक्रम के तहत हुए सर्वे में सामने आया है।

इंदौर में पिछले दो वर्षों में एक लाख 16 हजार लोग ऐसे मिले हैं, जिन्हें बिल्कुल भी पढ़ना-लिखना नहीं आता है। अब इस कार्यक्रम के माध्यम से इन लोगों को साक्षर बनाया जा रहा है। अब तक 60 हजार लोग साक्षर हो चुके हैं। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 में उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसमें इंदौर में वर्ष 2027 तक कुल दो लाख लोगों को साक्षर किया जाना है। इसके तहत वर्ष 2023 में दो बार परीक्षाएं हुईं, जिनमें 23 हजार और 17 हजार लोगों ने पंजीयन करवाते हुए परीक्षा दी।

इस वर्ष मार्च माह में 20 हजार लोगों ने परीक्षा दी, वहीं सितंबर में होने वाली परीक्षा के लिए अब 56 हजार से अधिक लोगों ने पंजीयन करवाया है। इस कार्यक्रम के लिए सभी संकुल के प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर शिक्षकों को असाक्षर लोगों को खोजने की जिम्मेदारी दी गई, तो यह आंकड़ा सामने आया। शासकीय शिक्षक यह काम स्कूल समय के अलावा कर रहे हैं।

यह है कार्यक्रम

कार्यक्रम के तहत वर्ष में 2 बार मार्च और सितंबर में परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। सबसे पहले सर्वे कर असाक्षर लोगों का पंजीयन किया जाता है। इसके बाद उन्हें सरकार की ओर से निशुल्क एक कापी, कलम, स्लेट और एक पेन दिया जाना प्रस्तावित है। इन लोगों को पढ़ाने के लिए विकल्प भी दिए गए हैं, जिनमें सामाजिक चेतना केंद्र के रूप में स्कूल परिसर में, सामाजिक अध्ययन केंद्र के रूप में सार्वजनिक स्थानों पर साक्षर साथी द्वारा अध्यापन और घर पर किसी साक्षर व्यक्ति द्वारा पढ़ाया जाएगा। इसके बाद परीक्षा आयोजित होगी, जिसमें पास होने पर राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से अंकसूची मिलती है, जो कि एक प्रमाणित दस्तावेज होती है।

कुछ ऐसे भी जो साक्षर हैं, लेकिन प्रमाण नहीं

शिक्षकों द्वारा किए जा रहे सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि कई लोग ऐसे भी मिले भी हैं, जिन्हें आंशिक पढ़ना-लिखना तो आता है, लेकिन उनके पास किसी तरह अंकसूची आदि प्रमाणित दस्तावेज नहीं हैं। ऐसे में यह लोग भी इस कार्यक्रम में जुड़कर परीक्षा दे रहे हैं। परीक्षा के बाद राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा प्रमाणपत्र दिया जाता है, जो कि कक्षा तीसरी की अंकसूची के समकक्ष होता है। यह पूरी तरह प्रमाणित दस्तावेज होता है। इसके बाद आगे की पढ़ाई भी की जा सकती है।

उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत सर्वे कार्य जारी है। इस कार्यक्रम के सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं। – शीला मेरावी, जिला परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा केंद्र, इंदौर

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