ग्वालियर नगरनिगम: स्वयं के लिए अनुमति, फ्लैट बनाकर बेच रहे
ग्वालियर शहर में लोग नगरनिगम से भवन निर्माण की अनुमति तो स्वयं के लिए लेते हैं। लेकिन अनुमति लेने के बाद वे बिल्डिंग में फ्लैट बनाकर बेचते हैं। खासबात यह है कि निगम भी अनुमति लेने के बाद जांच नहीं करता कि भवन मालिक अनुमति के बाद क्या कर रहा है।
ग्वालियर शहर में भवन बनाने की अनुमति स्वयं के लिए लेते हैं लेकिन फ्लैट बनाकर बेचते हैं।
- अपने भवन की मंजूरी लेकर मुनाफा कमाने के लिए बेचते हैं आवास
- नियम-कायदों को नगर निगम के अमले की शह पर ही पलीता लगाया जा रहा है
- अनुमति देने के बाद नगरनिगम का अमला नहीं करता है जांच
ग्वालियर। शहर में भवन निर्माण के नियम-कायदों को नगर निगम के अमले की शह पर ही पलीता लगाया जा रहा है। हाल ही में हुए एक हादसे में एक मल्टी को लेकर अवैध निर्माण से लेकर पेंट हाउस तैयार करने जैसी विसंगतियां सामने आई हैं, लेकिन इन सभी के बीच एक नए नियम के नाम पर गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है।
नगर निगम द्वारा आवासीय प्लाट पर भवन निर्माण की जो अनुमति जारी की जाती है, उसकी शर्त के मुताबिक यह संपत्ति स्वामी की स्वयं की रिहायश के लिए होती है, लेकिन शहर में अधिकतर आवासीय संपत्तियों पर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग तैयार कर उसमें फ्लैट बनाकर बेचे जा रहे हैं।
यही स्थिति कामर्शियल प्रापर्टी की भी है। शहर में कई ऐसी आवासीय और व्यवसायिक इमारतें हैं, जहां बिल्डिंग बनाने के बाद आफिस तक संचालित हो रहे हैं। सारी जानकारी होने के बावजूद निगम का अमला कोई एक्शन नहीं लेता है। यदि कोई बिल्डर टाउनशिप या मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की परमिशन लेता है, तो उसमें कालोनाइजिंग लाइसेंस और शपथ पत्र भी जमा करता है।
इसमें वह उल्लेख करता है कि वह संबंधित प्रोजेक्ट में फ्लैट बनाकर बेचेगा। इसी आधार पर उसे अनुमति जारी की जाती है, लेकिन गली-मोहल्लों या छोटे प्लाटों पर तैयार होने वाली मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के लिए जानबूझकर यह बात छुपाई जाती है कि वहां फ्लैट बेचे जाएंगे। सिर्फ सामान्य मकान बनाने की अनुमति लेकर कई मंजिला इमारत तान दी जाती है और वहां धड़ल्ले से फ्लैटों की बिक्री कर दी जाती है। इस दौरान न तो गुणवत्ता देखने के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचता है और न ही नक्शे के मुताबिक निर्माण कार्य की सुध लेने के लिए। इसका नतीजा यह है कि बाद में रहवासियों को ही परेशान होना पड़ता है।
सस्ते का झांसा, फंस जाते हैं रहवासी
ऐसी गली-मोहल्लों में बनने वाली मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में तैयार किए गए फ्लैटों को सस्ते में बेचा जाता है। जिस इलाके में फ्लैटों की कीमत 30 से 32 लाख रुपये होती है, वहां 26 से 28 लाख रुपये में फ्लैट बेचे जाते हैं। इससे रहवासी भी शुरुआत में लालच में आ जाते हैं और फ्लैट खरीद लेते हैं, लेकिन बाद में होने वाली परेशानियां उन्हें ही भुगतनी पड़ती हैं। ऐसी मल्टियों में न तो मेंटेनेंस ठीक से होता है और न ही पार्किंग व साफ-सफाई। इसके अलावा वाहन खड़ा करने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ये रखें सावधानियां
- कोई भी फ्लैट खरीदने से पहले उसकी मंजूरी से संबंधित दस्तावेजों को चेक करा लें।
- नगर निगम के संबंधित भवन अधिकारी से मिलकर उस बिल्डिंग के बारे में जानकारी हासिल करें।
- बिल्डिंग के स्ट्रक्चर इंजीनियर से लेकर आर्किटेक्ट से भी बातचीत कर जानकारी लें।
- भवन की गुणवत्ता को अवश्य जांच लें, ताकि बाद में परेशान न होना पड़े।
- स्वयं जाकर देखें कि बिल्डर द्वारा किस प्रकार की सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा जो वादे फ्लैट बेचते समय किए जा रहे हैं, वे सुविधाएं मौके पर हैं या नहीं।
गलत निर्माण पर लेते हैं एक्शन कई बार भवन निर्माण की अनुमति लेकर वहां फ्लैट बनाकर बेच दिए जाते हैं। ऐसे ग्राहक फ्लैट खरीदने से पहले नगर निगम से जानकारी अवश्य प्राप्त कर लें। हमारे पास भी जब शिकायतें आती हैं, तो गलत निर्माण पर तोड़फोड़ की कार्रवाई की जाती है।
जनसंपर्क अधिकारी नगर निगम।