गांवों में डॉक्टर नहीं, जेपी अस्पताल में भरमार … अफसरों की डॉक्टर पत्नियां भोपाल में डटीं, जिलों के ट्रॉमा सेंटर में टोटा

प्रदेश के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों के जिलों में जहां स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी है। इसके उलट राजधानी के जेपी अस्पताल में स्वीकृत पदों से ज्यादा डॉक्टर पदस्थ हैं। प्रदेश का मुख्यालय होने के चलते आईएएस-आईपीएस अफसरों की डॉक्टर पत्नियों का यह सबसे पसंदीदा अस्पताल है।

स्वास्थ्य विभाग अफसरों की पत्नियों पर इस कदर मेहरबान है कि भोपाल के जेपी हॉस्पिटल में स्वीकृत पदों से ज्यादा पर विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थ हैं। जेपी में नेत्र रोग विशेषज्ञ के 3 पद स्वीकृत हैं और यहां 5 विशेषज्ञ पदस्थ हैं। वहीं, स्त्री रोग विभाग में विशेषज्ञों के 4 पद स्वीकृत हैं और दोगुने यानि 8 विशेषज्ञ पदस्थ हैं। हालांकि एनेस्थीसिया विशेषज्ञों के 50% पद खाली हैं। मेडिकल स्पेशलिस्ट के 6 में से 4 पद खाली हैं। कागजों के मुताबिक जेपी हॉस्पिटल में 34 मेडिकल ऑफिसर पदस्थ हैं, लेकिन इनमें से कई डॉक्टरों ने दूसरी जगह अटैचमेंट करा लिया है।

IAS-IPS की डॉक्टर पत्नियों का पसंदीदा अस्पताल

जेपी अस्पताल में 13 विभाग हैं। इनमें सबसे ज्यादा IAS-IPS अफसर परिवारों की लेडी डॉक्टर नेत्ररोग विभाग में पदस्थ हैं। नेत्र रोग विभाग में पदस्थ डॉ. सीमा सिंह, डॉ. निशा मिश्रा रिटायर्ड आईएएस अफसरों की पत्नी हैं। स्त्री रोग विभाग में पदस्थ डॉ. रचना दुबे, डॉ निर्मला बाथम के पति आईएएस हैं। डॉ. यास्मीन नियाजी के पति आईएफएस और डॉ. पी. विजयकुमार के पति आईपीएस हैं। इस हॉस्पिटल में पिछले साल तक स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी की पत्नी डॉ. नीरा चौधरी और आईपीएस अधिकारी की पत्नी डॉ. रचना गुप्ता सेवाएं दे चुकी हैं। जेपी हाॅस्पिटल में पदस्थ अफसरों की पत्नियों की नाइट ड्यूटी लगाने से अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी भी बचते हैं।

दूसरे जिला अस्पतालों में घायलों को नहीं मिलता इलाज

सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल मरीजों को एमपी के जिला अस्पतालों में इलाज के इंतजाम नहीं हैं। एक्सीडेंट में घायल को जिला अस्पताल से मरहम पट्‌टी कर मेडिकल कॉलेजों और प्रायवेट अस्पतालों में रेफर करना पड़ रहा है। चार साल पहले स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पतालों की ट्रॉमा यूनिट के लिए अलग से स्टाफ स्वीकृत किया था, लेकिन आज तक एक भी डॉक्टर ट्रॉमा सेंटर में नियुक्त नहीं हुआ।

भोपाल का जयप्रकाश जिला अस्पताल कहने को प्रदेश का मॉडल हॉस्पिटल है, लेकिन यहां गंभीर अवस्था में आने वाले मरीजों को मरहम पट़्टी करके हमीदिया और दूसरे प्रायवेट हॉस्पिटल रेफर कर दिया जाता है। ओपीडी की बिल्डिंग के दो कमरों में ट्रॉमा सेंटर चल रहा है।

ट्रॉमा सेंटर का कागजों में स्वीकृत कर दिया अलग स्टाफ

साल 2018 में स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पतालों के ट्रॉमा सेंटर के लिए अलग से 2,630 पदों की स्वीकृति दी थी। 7 फरवरी 2018 को स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव अजय नथनियाल ने 102 सर्जरी विशेषज्ञ, 52 एनेस्थीसिया विशेषज्ञ, 52 अस्थि रोग विशेषज्ञ, 56 मेडिकल ऑफिसर, 1263 स्टाफ नर्स, 102 रेडियोग्राफर, 102 लैब टेक्नीशियन, 204 ओटी टेक्नीशियन, 198 ड्रेसर ग्रेड-2, 192 वार्ड वॉय के पदों की मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा प्रदेश के जिला अस्पतालों के लिए 102 वाहन चालक और 204 सफाई कर्मचारियों की आउटसोर्स से नियुक्ति की मंजूरी दी थी।

बिना विशेषज्ञों के चल रहे जिला अस्पताल

बैतूल जिला अस्पताल
विशेषज्ञ स्वीकृत पद खाली पद
एनेस्थीसिया विशेषज्ञ 4 3
शिशु रोग विशेषज्ञ 7 5
डेंटल स्पेशलिस्ट 1 1
डेंटल सर्जन 2 2
ENT विशेषज्ञ 2 2
नेत्र रोग विशेषज्ञ 2 1
मेडिकल स्पेशिलस्ट 4 1
स्त्री रोग विशेषज्ञ 4 1
पैथोलॉजिस्ट 2 1
रेडियोलॉजिस्ट 2 1
सर्जिकल स्पेशिलस्ट 4 2
टीबी स्पेशलिस्ट 1 1

 

भोपाल के जेपी अस्पताल में डॉक्टरों की स्थिति
विशेषज्ञ स्वीकृत पद खाली पद
एनेस्थीसिया 6 3
शिशु रोग 7 1
डेंटल स्पेशलिस्ट 1 1
डेंटल सर्जन 3 1
ENT स्पेशलिस्ट 3 1
नेत्र रोग विशेषज्ञ 3 0 (3 पदों पर 6 डॉक्टर पदस्थ)
मेडिकल ऑफिसर 36 2
मेडिकल स्पेशलिस्ट 6 4
आब्स. गायनिक 4 0 (4 पदों पर 8 डॉक्टर पदस्थ)
ऑर्थोपेडिक्स 5 2
पैथोलॉजिस्ट 3 1
रेडियोलॉजिस्ट 3 1
सर्जिकल स्पेशलिस्ट 5 2
टीबी स्पेशलिस्ट 1 1
ट्रॉमा सेंटर के लिए अलग से स्वीकृत हुआ था अमला
ट्रॉमा सेंटर के लिए अलग से स्वीकृत हुआ था अमला

पीजी मेडिकल ऑफिसर्स के भरोसे अस्पताल

स्वास्थ्य विभाग द्वारा मप्र विधानसभा की लोकलेखा समिति को दी गई जानकारी में पता चला कि प्रदेश भर में विशेषज्ञों के आधे से ज्यादा पद खाली हैं। विशेषज्ञों के 7908 स्वीकृत पदों में से 3521 पद खाली हैं। इनमें से 978 पीजी मेडिकल ऑफिसर्स पदस्थ हैं। ​​​​​​शाजापुर, रतलाम के जिला अस्पतालों में ENT का एक भी एक्सपर्ट नहीं हैं। नीमच जिला अस्पताल में अस्थिरोग विशेषज्ञ, मेडिसिन विशेषज्ञ के सभी तीन-तीन पद खाली हैं। मंदसौर जिला अस्पताल में टीबी विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। ​​​​हरदा जिला अस्पताल में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के 3, शिशु रोग के 3, डेंटल स्पेशलिस्ट के 1, मेडिकल ऑफीसर के 5, स्त्री रोग के 2, ऑर्थोपेडिक्स के 2, पैथोलॉजिस्ट के 2, रेडियोलॉजिस्ट के 1,सर्जिकल विशेषज्ञ के 2 और टीबी स्पेशलिस्ट का एक पद खाली है।

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