मध्य प्रदेश में इन रियासतों की किस्मत दांव पर ?
चुनाव मैदान में राजा-महाराजा, राघोगढ़ से लेकर देवास तक मध्य प्रदेश में इन रियासतों की किस्मत दांव पर
Election 2023: मध्य प्रदेश में इस बार कई रियासतों की किस्मत दांव पर है। इनमें राघोगढ़ जैस चर्चित नाम हैं जिसके दो सदस्य अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। राघोगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह जबकि चचौड़ा से दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह मैदान में हैं।
चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ-साथ मध्य प्रदेश में सियासी सरगर्मी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। उधर, भाजपा और कांग्रेस दोनों ने विधानसभा चुनाव के लिए अधिकतर उम्मीदवार तय कर दिए हैं। इन सूचियों में कई ऐसे नाम हैं, जिनका ताल्लुक राजघरानों से है। सूची में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन और उनके भाई लक्ष्मण सिंह जैसे चर्चित नाम हैं। आइये जानते हैं मध्य प्रदेश में राजघरानों से भाजपा-कांग्रेस ने कितने शाही उम्मीदवारों को टिकट दिया है? इनकी राजनीतिक पकड़ कितनी है? इन राजघरानों का इतिहास क्या है?
पहले मध्य प्रदेश में भाजपा-कांग्रेस की स्थिति जानते हैं…
230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए भाजपा ने कुल 228 नाम घोषित किए हैं। वहीं, कांग्रेस ने सभी 230 उम्मीदवार तय कर दिए हैं।
230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए भाजपा ने कुल 228 नाम घोषित किए हैं। वहीं, कांग्रेस ने सभी 230 उम्मीदवार तय कर दिए हैं।
राघोगढ़ रियासत
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव राघोगढ़ राजपरिवार दो सदस्य अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस ने राघोगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं चचौड़ा से पार्टी ने दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा है। राघोगढ़ ब्रिटिश राज में ग्वालियर रेजीडेंसी की एक रियासत हुआ करती थी। इसकी स्थापना 1673 में लाल सिंह खीची ने की थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह-II इस राजघराने के अंतिम शासक रहे।
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव राघोगढ़ राजपरिवार दो सदस्य अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस ने राघोगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं चचौड़ा से पार्टी ने दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा है। राघोगढ़ ब्रिटिश राज में ग्वालियर रेजीडेंसी की एक रियासत हुआ करती थी। इसकी स्थापना 1673 में लाल सिंह खीची ने की थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह-II इस राजघराने के अंतिम शासक रहे।
चुरहट राजपरिवार
चुरहट रियासत से आने वाले दिग्गज कांग्रेसी अजय सिंह राहुल चुरहट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा अर्जुन सिंह ने पंजाब के राज्यपाल और केंद्र में मंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई है। अर्जुन सिंह के पिता शिव बहादुर सिंह चुरहट के 26वें राव थे। चुरहट रीवा राजपरिवार की एक शाखा हुआ करती थी।
चुरहट रियासत से आने वाले दिग्गज कांग्रेसी अजय सिंह राहुल चुरहट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा अर्जुन सिंह ने पंजाब के राज्यपाल और केंद्र में मंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई है। अर्जुन सिंह के पिता शिव बहादुर सिंह चुरहट के 26वें राव थे। चुरहट रीवा राजपरिवार की एक शाखा हुआ करती थी।
देवास राजघराना
देवास राजघराने से ताल्लुक रखने वाली गायत्री राजे पंवार को देवास विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। गायत्री राजे अभी इस सीट से विधायक भी हैं। उनका विवाह देवास के दिवंगत महाराजा वरिष्ठ तुकोजी राव पवार से हुआ था। देवास राजवंश के महाराज तुकोजीराव चतुर्थ विक्रमादित्य के राजवंश से संबंध रखते थे। उनके पूर्वजों ने 250 वर्षों तक देवास राजघराने पर शासन किया।वहीं देवास सीट की बात करें तो पिछले छह चुनाव से यहां भाजपा का ही कब्जा है। तुकोजी राव पवार यहां से लगातार छह बार यहां पर चुने गए और तुकोजी राव पवार का नाता शाही खानदान से रहा है। पहली बार उन्होंने 1990 के चुनाव में जीत हासिल की थी, उसके बाद वह लगातार इस सीट पर चुने जाते रहे। 2015 में तुकोजी राव का निधन हो गया, जिसके चलते उपचुनाव में उनकी पत्नी गायत्री राजे पवार ने जीत हासिल की। फिर 2018 के चुनाव में भी उन्होंने ही जीत दर्ज की। इस चुनाव में गायत्री राजे ने कांग्रेस के जयसिंह ठाकुर को हराया था। इस बार गायत्री फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी।
देवास राजघराने से ताल्लुक रखने वाली गायत्री राजे पंवार को देवास विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। गायत्री राजे अभी इस सीट से विधायक भी हैं। उनका विवाह देवास के दिवंगत महाराजा वरिष्ठ तुकोजी राव पवार से हुआ था। देवास राजवंश के महाराज तुकोजीराव चतुर्थ विक्रमादित्य के राजवंश से संबंध रखते थे। उनके पूर्वजों ने 250 वर्षों तक देवास राजघराने पर शासन किया।वहीं देवास सीट की बात करें तो पिछले छह चुनाव से यहां भाजपा का ही कब्जा है। तुकोजी राव पवार यहां से लगातार छह बार यहां पर चुने गए और तुकोजी राव पवार का नाता शाही खानदान से रहा है। पहली बार उन्होंने 1990 के चुनाव में जीत हासिल की थी, उसके बाद वह लगातार इस सीट पर चुने जाते रहे। 2015 में तुकोजी राव का निधन हो गया, जिसके चलते उपचुनाव में उनकी पत्नी गायत्री राजे पवार ने जीत हासिल की। फिर 2018 के चुनाव में भी उन्होंने ही जीत दर्ज की। इस चुनाव में गायत्री राजे ने कांग्रेस के जयसिंह ठाकुर को हराया था। इस बार गायत्री फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी।
रीवा राजघराना
रीवा राजघराने से आने वाले दिव्यराज सिंह को रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा से टिकट मिला है। दिव्यराज अभी सिरमौर सीट से ही भाजपा के विधायक हैं। उनके पिता और पुष्पराज सिंह भाजपा और कांग्रेस दोनों से रीवा से विधायक रह चुके हैं। पुष्पराज सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। पुष्पराज सिंह के दादा गुलाब सिंह ब्रिटिश राज में रीवा राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक थे।
रीवा राजघराने से आने वाले दिव्यराज सिंह को रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा से टिकट मिला है। दिव्यराज अभी सिरमौर सीट से ही भाजपा के विधायक हैं। उनके पिता और पुष्पराज सिंह भाजपा और कांग्रेस दोनों से रीवा से विधायक रह चुके हैं। पुष्पराज सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। पुष्पराज सिंह के दादा गुलाब सिंह ब्रिटिश राज में रीवा राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक थे।
मकड़ाई राजघराना
भाजपा ने हरसूद सीट पर मंत्री कुंवर विजय शाह काे उतारा है। वहीं टिमरनी से भाजपा ने विजय शाह के भाई संजय शाह को टिकट दिया है। दोनों का मकड़ाई राजघराने से नाता है। विजय ने भाजपा के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव 1990 में लड़ा था। वर्तमान में विजय शाह शिवराज सरकार में कैबिनेट वन एवं पर्यावरण मंत्री हैं। मकड़ाई रियासत से विजय शाह प्रदेश में मंत्री हैं। वहीं टिमरनी से संजय शाह वर्ष 2008 से जीत रहे हैं। 2018 के चुनाव में टिमरनी से संजय शाह ने कांग्रेस उम्मीदवार और अपने भतीजे अभिजीत शाह को हराया था। विजय शाह के एक भाई अजय शाह कांग्रेस में हैं।मकड़ाई रियासत के अंतिम शासक देवी शाह थे। इस रियासत की स्थापना 16वीं शताब्दी में राज गोंड राजा कर्कट राय ने 1663 में की थी। 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद यहां के शासक भारत संघ में शामिल हो गए और रियासत को मध्य प्रदेश राज्य में शामिल कर लिया गया। 2012 तक मकड़ाई के नामधारी महाराजा राजा अजय शाह हैं।
भाजपा ने हरसूद सीट पर मंत्री कुंवर विजय शाह काे उतारा है। वहीं टिमरनी से भाजपा ने विजय शाह के भाई संजय शाह को टिकट दिया है। दोनों का मकड़ाई राजघराने से नाता है। विजय ने भाजपा के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव 1990 में लड़ा था। वर्तमान में विजय शाह शिवराज सरकार में कैबिनेट वन एवं पर्यावरण मंत्री हैं। मकड़ाई रियासत से विजय शाह प्रदेश में मंत्री हैं। वहीं टिमरनी से संजय शाह वर्ष 2008 से जीत रहे हैं। 2018 के चुनाव में टिमरनी से संजय शाह ने कांग्रेस उम्मीदवार और अपने भतीजे अभिजीत शाह को हराया था। विजय शाह के एक भाई अजय शाह कांग्रेस में हैं।मकड़ाई रियासत के अंतिम शासक देवी शाह थे। इस रियासत की स्थापना 16वीं शताब्दी में राज गोंड राजा कर्कट राय ने 1663 में की थी। 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद यहां के शासक भारत संघ में शामिल हो गए और रियासत को मध्य प्रदेश राज्य में शामिल कर लिया गया। 2012 तक मकड़ाई के नामधारी महाराजा राजा अजय शाह हैं।
अमझेरा राजघराना
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को धार जिले की बदनावर सीट से उम्मीदवारी थमाई गई है। अमझेरा राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राजवर्धन शिवराज सरकार में उद्योग नीति और निवेश प्रोत्साहन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। स्थानीय लोग उन्हें दत्तीगांव जागीर के नामधारी मुखिया या दत्तीगांव के महाराजा या राव साहब के नाम से बुलाते हैं। राजवर्धन चार बार से बदनावर के विधायक हैं।राजवर्धन सिंह दत्तीगांव महराणा बख्तावर सिंह से वंशज हैं। दरअसल, महराणा बख्तावर सिंह अमझेरा कस्बे के शासक थे, जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से संघर्ष किया। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सन 1857 में झांसी, ग्वालियर, उत्तरप्रदेश के विद्रोह की हवा मालवा में भी आई। धार से 30 किमी दूर अमझेरा में तब बख्तावर सिंह का राज था।
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को धार जिले की बदनावर सीट से उम्मीदवारी थमाई गई है। अमझेरा राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राजवर्धन शिवराज सरकार में उद्योग नीति और निवेश प्रोत्साहन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। स्थानीय लोग उन्हें दत्तीगांव जागीर के नामधारी मुखिया या दत्तीगांव के महाराजा या राव साहब के नाम से बुलाते हैं। राजवर्धन चार बार से बदनावर के विधायक हैं।राजवर्धन सिंह दत्तीगांव महराणा बख्तावर सिंह से वंशज हैं। दरअसल, महराणा बख्तावर सिंह अमझेरा कस्बे के शासक थे, जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से संघर्ष किया। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सन 1857 में झांसी, ग्वालियर, उत्तरप्रदेश के विद्रोह की हवा मालवा में भी आई। धार से 30 किमी दूर अमझेरा में तब बख्तावर सिंह का राज था।
ग्वालियर राजघराना
ग्वालियर ऐसा राजघराना है जिसके सदस्य मध्य प्रदेश और राजस्थान से लेकर केंद्र तक की सियासत में हैं। राजस्थान की झालरापाटन सीट से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को टिकट थमाया है। दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री हैं, जबकि बहन यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सरकार में मंत्री हैं। आजादी के पहले ग्वालियर पर सिंधिया राजाओं का राज हुआ करता था। वसुंधरा के पिता जीवाजीराव सिंधिया ग्वालियर राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक थे।
ग्वालियर ऐसा राजघराना है जिसके सदस्य मध्य प्रदेश और राजस्थान से लेकर केंद्र तक की सियासत में हैं। राजस्थान की झालरापाटन सीट से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को टिकट थमाया है। दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री हैं, जबकि बहन यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सरकार में मंत्री हैं। आजादी के पहले ग्वालियर पर सिंधिया राजाओं का राज हुआ करता था। वसुंधरा के पिता जीवाजीराव सिंधिया ग्वालियर राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक थे।